अखबारनामा: राजनीतिक दलों पर राजनीति का आरोप लगाने की अखबारों की राजनीति पहचानिए !

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: February 22, 2019
पुलवामा हमले के बाद सरकार का साथ देने के विपक्ष के निर्णय के बाद सबसे पहले ममता बनर्जी ने सरकार से हमले से संबंधित कुछ सवाल पूछे थे। उनका जवाब नहीं आया। कल कांग्रेस की ओर से रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि पुलवामा हमले क बाद सरकार सत्ता बचाए रखने के लिए जवानों की शहादत और राजधर्म भूल गई। पार्टी ने कहा कि हमले के बारे में मोदी सरकार न तो कोई राजनीतिक जवाब दे रही है और न ही अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही है। दूसरी ओर, सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि पुलवामा हमले से जब पूरा देश सदमे में था तो उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कॉर्बेट नेशनल पार्क में शूटिंग कर रहे थे।

दैनिक हिन्दुस्तान और नवोदय टाइम्स ने इसे राजनीति शुरू के रूप में छापा है। हिन्दुस्तान ने तो लीड ही बना दिया है जबकि नवोदय टाइम्स में यह खबर लीड है। अंतर सिर्फ इतना है कि हिन्दुस्तान में सुरजेवाला के आरोपों का जवाब केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दिया है और नवोदय टाइम्स में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने। कांग्रेस के आरोप और भाजपा के जवाब को तो अखबार राजनीति बता रहे हैं पर जवानों को विमान से कश्मीर जाने की सुविधा दिए जाने की खबर को राजनीतिक तौर पर छाप रहे हैं। हिन्दुस्तान ने इस खबर को पहले पन्ने पर बड़ा फैसला के तहत दो कॉलम में छापा है।

शीर्षक है, कश्मीर में जवानों की आवाजाही विमान से होगी. आगे लिखा है जवान दिल्ली से श्रीनगर, श्रीनगर से दिल्ली और जम्मू से श्रीनगर या श्रीनगर से जम्मू के बीच विमान से सफर कर सकेंगे. कहने की जरूरत नहीं है कि यह सुविधा सेवा विमानों से सरकारी दौरे पर (या छुट्टी पर जाने या वापस लौटने के समय) मिलेगी और निश्चित रूप से जवानों के लिए सुविधाजनक है. पर शीर्षक से ऐसा लग रहा है कि अब जवान सड़क मार्ग से नहीं चलेंगे या जहां सेवा उड़ान नहीं हैं वहां भी विमान उतार दिए जाएंगे.

सरकार ने इतना भर किया है कि जवान जो सरकारी यात्रा पर या छुट्टी पर जाते या लौटते समय विमान यात्रा के हकदार नहीं थे उन्हें अब इसका हकदार बना दिया है और वे विमान से जाएंगे तो उन्हें पैसे मिल जाएंगे (शायद सिर्फ कश्मीर मामले में). मुद्दा यह नहीं था. पुलवामा हमले के बाद सवाल यह उठा था कि जम्मू-श्रीनगर मार्ग जब बंद था और जम्मू में जवान इकट्ठे हो रहे थे तो उन्हें विमान से श्रीनगर क्यों नहीं ले जाया गया. इस मामले में खबर छपी कि फाइल चार महीने से दबी पड़ी थी. यह सही न भी हो तो जरूरत के अनुसार समय पर फैसला लिया गया होता तो जवानों का काफिला इतना बड़ा नहीं बनता और मुमकिन है हताहतों की संख्या ज्यादा होती.

इसीलिए द टेलीग्राफ ने इस खबर का शीर्षक लगाया है, “फ्री फ्लाइट्स अमिड एयरलिफ्ट स्टॉर्म” यानी जवानों को विमान से क्यों नहीं ले जाया गया के शोर के बीच मुफ्त विमान यात्रा की सुविधा। दैनिक भास्कर ने भी इस खबर का शीर्षक ठीक लगाया है, जवान अब कमर्शियल फ्लाइट से दिल्ली से सीधे जम्मू और श्रीनगर जाएंगे। लेकिन ज्यादातर अखबारों में यह शीर्षक भ्रमित करने वाला है। सरकार ने मूल सवाल का जवाब नहीं दिया है। कुछ गोल मोल करने की कोशिश जरूर की और अब इस निर्णय से मूल सवाल को दबाने की कोशिश जरूर कर रही है।

इस क्रम में नवभारत टाइम्स ने, “अब उड़ान से कश्मीर पहुंचेंगे सभी जवान” शीर्षक खबर को लीड बनाया है. दैनिक जागरण ने पाकिस्तान को नहीं मिलेगा भारत के हिस्से का पानी खबर को लीड बनाया है और अब कश्मीर के लिए अर्ध सैन्य बलों को विमान की सुविधा शीर्षक खबर भी पहले पन्ने पर छापी है. अमर उजाला में अब पाकिस्तान का पानी बंद शीर्षक खबर लीड है लेकिन जवानों को हवाई यात्रा की सुविधा वाली खबर पहले पन्ने पर नहीं है. राजस्थान पत्रिका में न तो कांग्रेस के आरोप हैं ना भाजपा के जवाब न जवानों को विमान यात्रा की सुविधा. यहां पाक जा रहा अपने हिस्से का पानी रोकेगा भारत लीड है.

राजस्थान पत्रिका में रफाल फैसले की समीक्षा याचिकाओं पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार शीर्षक खबर प्रमुखता से है. कई दूसरे अखबारों में यह खबर या तो पहले पन्ने पर नहीं है या दब गई है। इस लिहाज से द टेलीग्राफ की लीड खबर भी किसी अखबार में प्रमुखता से नहीं दिखी। द टेलीग्राफ ने खबर छापी है कि कैसे हम कश्मीर को अलग-थलग करते जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने कल श्रीनगर में प्रेस कांफ्रेंस कर यह आरोप लगाया पर आज यह खबर किसी अखबार में प्रमुखता से नहीं है। पुलवामा हमले के बाद वे देश भर में कश्मीरियों के साथ हो रहे अत्याचार पर अपनी प्रतिक्रिया रख रहे थे।

नवोदय टाइम्स ने पानी की धार से पाक पर चोट खबर को लीड बनाया है। यहां, “हफ्ता बीता नहीं, खुला खेल राजनीति का फिर शुरू के तहत सुरजेवाला के आरोप, “देश सदमे में था, प्रधानमंत्री शूटिंग में व्यस्त थे” और “अमित शाह का जवाब कांग्रेस हमें न सिखाए देशभक्ति”, चार कॉलम में टॉप पर छापा है. अखबार ने अब अब जहाज से जाएंगे और आएंगे जवान शीर्षक खबर को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की फोटो के साथ छापा है. कांग्रेस नेता सुरजेवाला के आरोपों के जवाब में हिन्दुस्तान ने सिर्फ रविशंकर प्रसाद को छापा है जबकि नवोदय टाइम्स ने सिर्फ भाजपा अध्यक्ष को। पता नहीं यह कौन सा बंटवारा है या ऐसा क्यों है।

केंद्रीय जहाजरानी और जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कल एक और महत्वपूर्ण एलान किया था। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को सबक सिखाने की भारत सरकार की कोशिशों के क्रम में कल का यह एलान महत्वपूर्ण था कि पाकिस्तान को नहीं देंगे अपने हिस्से का पानी। हिन्दुस्तान ने इसे दो कॉलम में टॉप पर लगाया है तो राजस्थान पत्रिका ने लीड लगाया है और कई अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर भी नहीं है। जैसे टेलीग्राफ में। अखबार ने इसे अंदर राष्ट्रीय खबरों के पन्ने पर छापा है और शीर्षक लगाया है, गडकरी सेल्स ओल्ड वाटर इन पुलवामा बॉटल। यानी गडकरी ने पुलवामा की बोतल में पुराना पानी बेचा। कहने की जरूरत नहीं है कि यह नई बोतल में पुरानी शराब की तर्ज पर है और मंत्री जी असल में यही कर रहे हैं क्योंकि यह बात उरी हमले के बाद भी उठी थी। अखबार के मुताबिक कल मंत्री जी ने इस संबंध में एक ट्वीट दाग दिया है।

इंडियन एक्सप्रेस ने आज पहले पन्ने पर एक खबर छापी है कि दिल्ली का जामिया मिलिया इस्लामिया अपने पूर्व छात्र मशहूर अभिनेता शाहरुख खान को डॉक्टरेट की मानद उपाधि देना चाहता है पर सरकार यानी मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इससे मना कर दिया है। सरकार का तर्क है कि उन्हें मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी से ऐसी ही डिग्री मिल चुकी है इसलिए जामिया मिलिया द्वारा भी ऐसा करना ठीक नहीं होगा। क्यों इसकी राजनीति शायद दूसरे अखबार बाद में समझाएं। अखबार ने लिखा है कि सरकार को यह निर्णय लेने में तीन महीने लगे और ऐसा उच्च शिक्षा सचिव ने कहा कि इस संबंध में यूजीसी ने अभी तक कोई नियम नहीं बनाया है। कहने की जरूरत नहीं है कि राजनीतिक दलों की राजनीति की खबर छापने वाले अखबारों को आरटीआई से मिली यह खबर नहीं मिली।

टाइम्स ऑफ इंडिया में एक खबर प्रमुखता से दिखी कि देश भर के करीब 12 करोड़ किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत इतवार को 2000 रुपए की पहली किस्त मिल जाएगी। राजनीति तो यह भी है पर टाइम्स ने एक और खबर पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर पीछे की ओर छापी है जो छूट ही जाती पर दिख गई कि पुलवामा हमले के बाद देश भर में निशाना बनाए जा रहे कश्मीरियों में ज्यादातर छात्र हैं और कश्मीरियों को अलग-थलग करने की राजनीतिक कोशिशों के बाद सीआरपीएफ द्वारा शुरू की गई हेल्पलाइन पर रोज 60 से 70 कॉल आ रही है। मेरे ख्याल से असली खबर तो यह है जिसे राजनीति करने वाले अखबार छिपा रहे हैं।

असली राजनीति की खबर को द हिन्दू ने ही लीड बनाया है। खबर उत्तर प्रदेश की है और यह कि राज्य में बसपा-सपा में समझौते के बाद सीटों का बंटवारा हो गया तथा बसपा 38 सीटों पर और सपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चौधरी चरण सिंह के पुत्र अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल राज्य में तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ये तो आपने महसूस किया ही होगा कि पुलवामा हमले के बाद राफेल ठंडे बस्ते में है। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका की खबर आज कितनी छपी है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक और मीडिया समीक्षक हैं।)

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