जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने से सीआरपीएफ महानिदेशालय ने इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार शहीदों के नाम भी साझा नहीं करेगी। न ही यह बताने को तैयार है कि सरकार ने 40 जवानों को शहीद माना है या नहीं।
पानीपत निवासी आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने दो अलग-अलग आरटीआई के तहत पांच बिंदुओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ महानिदेशक से जानकारी मांगी थी। जिसे देने से सीआरपीएफ महानिदेशालय के डीआईजी (प्रशासन) एवं जन सूचना अधिकारी राकेश सेठी ने इनकार कर दिया।
कपूर ने जनवरी 2020 में आरटीआई लगाई थी। कपूर ने बताया कि उन्होंने नौ जनवरी व 10 जनवरी 2020 को दो अलग-अलग आरटीआई केंद्रीय गृह मंत्रालय व सीआरपीएफ के महानिदेशक को भेजकर पांच बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। जन सूचना अधिकारी राकेश सेठी ने सूचना सार्वजनिक न करने के पीछे कारण बताया है कि आरटीआई एक्ट-2005 के अध्याय-6 के पैरा-24(1) के प्रावधानों अनुसार सीआरपीएफ को भ्रष्टाचार व मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार की सूचना देने से मुक्त रखा गया है।
कपूर ने कहा कि पुलवामा हमला सीआरपीएफ जवानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का सीधा मामला है। इसलिए मांगी गई सूचना से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर सुरक्षा व्यवस्था में कमी न होती तो क्विंटलों विस्फोटक पदार्थ हमले वाली जगह न पहुंचते। बेवजह सीआरपीएफ के जवानों का शहीद होना भी मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा हमले को लेकर ट्विटर के जरिए तीखे सवाल किये हैं। उन्होंने पूछा, आज हम पुलवामा हमले में मारे गए अपने 40 जवानों को याद कर रहे हैं तो आइए हम कुछ सवाल पूछ लेते हैं-
1- इस हमले से किसको फायदा हुआ?
2- इस हमले की जांच में क्या निष्कर्ष निकला?
3- इस हमले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में खामी के लिए अब तक भाजपा सरकार में किसे जिम्मेवार ठहराया गया?
राहुल गांधी के सवालों से बीजेपी बौखला गई है। बीजेपी के दिल्ली विधायक पद के उम्मीदवार रहे कपिल मिश्रा ने इसे शर्मनाक करार दिया है। हालांकि बीजेपी नेता ऐसे सवालों पर पहले भी बौखलाकर इसी तरह का जवाब देते नजर आए हैं।
पानीपत निवासी आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने दो अलग-अलग आरटीआई के तहत पांच बिंदुओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ महानिदेशक से जानकारी मांगी थी। जिसे देने से सीआरपीएफ महानिदेशालय के डीआईजी (प्रशासन) एवं जन सूचना अधिकारी राकेश सेठी ने इनकार कर दिया।
कपूर ने जनवरी 2020 में आरटीआई लगाई थी। कपूर ने बताया कि उन्होंने नौ जनवरी व 10 जनवरी 2020 को दो अलग-अलग आरटीआई केंद्रीय गृह मंत्रालय व सीआरपीएफ के महानिदेशक को भेजकर पांच बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। जन सूचना अधिकारी राकेश सेठी ने सूचना सार्वजनिक न करने के पीछे कारण बताया है कि आरटीआई एक्ट-2005 के अध्याय-6 के पैरा-24(1) के प्रावधानों अनुसार सीआरपीएफ को भ्रष्टाचार व मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार की सूचना देने से मुक्त रखा गया है।
कपूर ने कहा कि पुलवामा हमला सीआरपीएफ जवानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन का सीधा मामला है। इसलिए मांगी गई सूचना से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर सुरक्षा व्यवस्था में कमी न होती तो क्विंटलों विस्फोटक पदार्थ हमले वाली जगह न पहुंचते। बेवजह सीआरपीएफ के जवानों का शहीद होना भी मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा हमले को लेकर ट्विटर के जरिए तीखे सवाल किये हैं। उन्होंने पूछा, आज हम पुलवामा हमले में मारे गए अपने 40 जवानों को याद कर रहे हैं तो आइए हम कुछ सवाल पूछ लेते हैं-
1- इस हमले से किसको फायदा हुआ?
2- इस हमले की जांच में क्या निष्कर्ष निकला?
3- इस हमले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में खामी के लिए अब तक भाजपा सरकार में किसे जिम्मेवार ठहराया गया?
राहुल गांधी के सवालों से बीजेपी बौखला गई है। बीजेपी के दिल्ली विधायक पद के उम्मीदवार रहे कपिल मिश्रा ने इसे शर्मनाक करार दिया है। हालांकि बीजेपी नेता ऐसे सवालों पर पहले भी बौखलाकर इसी तरह का जवाब देते नजर आए हैं।