पीएमओ ने अपने यहां अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों की संख्या बताने से इनकार कर दिया। एक आरटीआई आवेदन में पीएमओ ने ऐसा करने में खुद को असमर्थ बताया है।
पीएमओ ने अपने यहां अल्पसंख्यक समुदायों के कर्मचारियों की संख्या बताने से इनकार कर दिया है। पीएमओ ने कहा है कि उसके यहां अल्पसंख्यक समुदाय के कितने कर्मचारी काम कर रहे हैं, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
पीएमओ में देश के प्रधानमंत्री नजदीकी स्टाफ काम करते हैं। इसके साथ ही सपोर्ट स्टाफ के कई स्तर होते हैं जो पीएम को रिपोर्ट करते हैं।

पीएमओ ने अपने यहां अल्पसंख्यक कर्मचारियों की संख्या बताने से इनकार, टू सर्किल्स. नेट के स्टाफ रिपोर्टर के आरटीआई आवेदन के जवाब में किया था।

इस आवेदन में पूछा गया था कि पीएमओ में कितने मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी और जैन कर्मचारी हैं। उनकी रैंक या पोजीशन क्या है। आरटीआई आवेदन में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की संख्या बताने की मांग की गई है।
पीएमओ ने अपने जवाब में कहा है कि इस समय उसके यहां 399 कर्मचारी काम कर रहे है। उनके नाम, पद समेत अन्य ब्योरे पीएमओ की वेबसाइट पर मौजूद हैं। लेकिन जब हमने पीएमओ की वेबसाइट खंगाली तो उसमें सिर्फ 41 कर्मचारियों के नाम थे। इन 41 कर्मचारियों में सिर्फ एक मुस्लिम नाम था और वह है- सैयद इकराम रिजवी। जो आरटीआई विभाग के डायरेक्टर हैं।
पीएमओ के जवाब में कहा गया है कि उसके यहां काम करने वाले अल्पसंख्यक या अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के नाम अलग-अलग फाइलों में हैं और उन्हें एक जगह इकट्ठा नहीं किया जा सकता। ये नाम एक जगह इकट्ठा करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। पीएमओ को लगता है कि एक साथ कई रिकार्ड से आंकड़ों को एक जगह इकट्ठा करने में जन संसाधनों का अपव्यय होगा।
पीएमओ का कहना है कि ऐसा करना आरटीआई एक्ट की धारा 7 (9) के प्रावधानों पर चोट है। आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 7(9) के तहत सूचना उसी स्थिति में दी जाएगी जब तक कि इससे सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधनों का गैर जरूरी तरीके से अपव्यय न हो। यह मांगे गए रिकार्ड की सुरक्षा की दृष्टि से भी ठीक नहीं है।
पिछले महीने, एक आरटीई आवेदन के जवाब में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने खुलासा किया था कि वहां अल्पसंख्यक समुदाय 74 कर्मचारियों में सिर्फ आठ मंत्री हैं। सात मुस्लिम और एक ईसाई।
सौजन्य – टू सर्किल्स.नेट Two Circles. Net
पीएमओ ने अपने यहां अल्पसंख्यक समुदायों के कर्मचारियों की संख्या बताने से इनकार कर दिया है। पीएमओ ने कहा है कि उसके यहां अल्पसंख्यक समुदाय के कितने कर्मचारी काम कर रहे हैं, इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
पीएमओ में देश के प्रधानमंत्री नजदीकी स्टाफ काम करते हैं। इसके साथ ही सपोर्ट स्टाफ के कई स्तर होते हैं जो पीएम को रिपोर्ट करते हैं।

पीएमओ ने अपने यहां अल्पसंख्यक कर्मचारियों की संख्या बताने से इनकार, टू सर्किल्स. नेट के स्टाफ रिपोर्टर के आरटीआई आवेदन के जवाब में किया था।

इस आवेदन में पूछा गया था कि पीएमओ में कितने मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, सिख, पारसी और जैन कर्मचारी हैं। उनकी रैंक या पोजीशन क्या है। आरटीआई आवेदन में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की संख्या बताने की मांग की गई है।
पीएमओ ने अपने जवाब में कहा है कि इस समय उसके यहां 399 कर्मचारी काम कर रहे है। उनके नाम, पद समेत अन्य ब्योरे पीएमओ की वेबसाइट पर मौजूद हैं। लेकिन जब हमने पीएमओ की वेबसाइट खंगाली तो उसमें सिर्फ 41 कर्मचारियों के नाम थे। इन 41 कर्मचारियों में सिर्फ एक मुस्लिम नाम था और वह है- सैयद इकराम रिजवी। जो आरटीआई विभाग के डायरेक्टर हैं।
पीएमओ के जवाब में कहा गया है कि उसके यहां काम करने वाले अल्पसंख्यक या अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के नाम अलग-अलग फाइलों में हैं और उन्हें एक जगह इकट्ठा नहीं किया जा सकता। ये नाम एक जगह इकट्ठा करने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। पीएमओ को लगता है कि एक साथ कई रिकार्ड से आंकड़ों को एक जगह इकट्ठा करने में जन संसाधनों का अपव्यय होगा।
पीएमओ का कहना है कि ऐसा करना आरटीआई एक्ट की धारा 7 (9) के प्रावधानों पर चोट है। आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 7(9) के तहत सूचना उसी स्थिति में दी जाएगी जब तक कि इससे सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधनों का गैर जरूरी तरीके से अपव्यय न हो। यह मांगे गए रिकार्ड की सुरक्षा की दृष्टि से भी ठीक नहीं है।
पिछले महीने, एक आरटीई आवेदन के जवाब में अल्पसंख्यक मंत्रालय ने खुलासा किया था कि वहां अल्पसंख्यक समुदाय 74 कर्मचारियों में सिर्फ आठ मंत्री हैं। सात मुस्लिम और एक ईसाई।
सौजन्य – टू सर्किल्स.नेट Two Circles. Net