विवादास्पद 'अयोध्या' फिल्म की गोद में योगी, मोदी और शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख

Written by Amir Rizvi | Published on: November 24, 2018

फिल्म रामजन्मभूमि का ट्रेलर सामने आने के बाद विवाद शुरु हो गया है. दरअसल रामजन्मभूमि ने जिस तरह के दृश्य दिखाए गए हैं वह न केवल उत्तेजक नजर आते हैं बल्कि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण भी  कर सकते हैं. सवाल यह है कि सिनेक्राफ्ट प्रोडक्शंस का मालिक कौन है जिसने फिल्म रामजन्मभूमि बनाई है. आखिर इस फिल्म को किसने फंडिंग की? 



सैय्यद वसीम रिजवी जो कि इस फिल्म के लेखक और निर्माता होने का दावा कर रहे हैं, दरअसल वह यूपी में शिया वक्फ बोर्ड प्रमुख हैं। आरोप है कि वसीम रिजवी भगवा शासन के हाथों के ऊपकरण के रुप में काम कर रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि रिजवी दावा कर रहे हैं कि फिल्म का शूट अयोध्या में किया गया है. लेकिन सवाल यह है कि उन्हें शूटिंग की अनुमति किसने दी. इसमें विवादास्पद आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार को हिंदू नेता के रुप में सबसे आगे दिखाया गया है.

फिल्म का ट्रेलर और पोस्टर बीते सोमवार को रिलीज किया गया था और यह समुयदायों के बीच तनाव का हिस्सा बन चुका है. भारत के लगभग सभी सीनियर सुन्नी और शिया नेताओं ने आधिकारिक तौर पर इस ट्रेलर की निंदा की है और नफरत रोकने के लिए सरकार से इस फिल्म को रोकने के लिए कहा है. उन्होने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि वसीम रिजवी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए. 

सेंटर फॉर जस्टिस एंड पीस इस विवाद की गहराई में गए तो यह नफरत भरे ट्रेलर से पहले ही तनाव पैदा कर चुका है. मुंबई में इसके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा चुका है. 

ट्रेलर का विश्लेषण क्या बताता है?

यह ट्रेलर 1990 की वास्तविक घटनाओं पर आधारित है जब यूपी पुलिस ने कार सेवकों पर इसलिए गोली चला दी थी क्योंकि उन्होने कानून को जबरदस्ती तोड़ने का प्रयास किया था. हालांकि कहानी में आरएसएस-वीएचपी का भी ट्विस्ट डाला गया है जिसमें कारसेवकों को केवल एक शांतिपूर्ण हिंदू कार्यकर्ता के रुप में दिखाया गया है. इसके अलावा फिल्म में कुछ झूठे और मनगढंत सीन भी दिखाए गए हैं. मुसलमानों को हिंदुत्ववादी लोगों को उकससाते हुए दिखाया गया है. इसके बाद हिंदुओं के मुसलमानों के द्वारा हिंसा की एक श्रृंखला दिखायी गई है. इसमें नेताजी (मुलायम सिंह, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री 1990) को पुलिस के साथ साजिश करते हुए दिखाया गया है. 

यह ट्रेलर स्वयं में एक पूरी तरह से शॉर्ट फिल्म हैं, समझने के लिए इससे ज्यादा कुछ भी नहीं बचा है. शिया वक्फ बोर्ड को रणनीतिक रुप से इसे भीतर रखा गया है. शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी भी ट्रेलर में अभिनय करते नजर आ रहे हैं. विवादित आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार (जिनके खिलाफ अजमेर ब्लास्ट केस में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है) को भी फिल्म के भीतर एक टेलीविजन कार्यक्रम के हिस्से रुप में बतौर गेस्ट के रुप में दिखाया गया है.

इस शॉर्ट फिल्म में जफर खान नाम से एक उत्तेजक और भड़काउ विलेन भी दिखाया गया है जिसे न केवल एक आतंकी के रुप में दिखाया गया है बल्कि शरिया बोर्ड के सदस्य बताया गया है जो शराब पीता है और हलाला करता है. इसके अलावा मुस्लिम लोगों को हिदुत्ववादी कारसेवकों की लिंचिंग करते हुए दिखाया गया है. 


फिल्म के भीतर लगाए गए सबसे विवादास्पद दृश्य का उद्देश्य स्पष्ट रूप से शिया बनाम सुन्नी सांप्रदायिक विभाजन के साथ मुसलमानों को विभाजित करना है. वसीम रिजवी मेज पर बैठे हैं और खलीफा और उमैय्याद राजवंश के संस्थापकों को अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करे हैं जिन्हें कई सुन्नी मुस्लिमों के द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.

पाठकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यह बीजेपी के नेतृत्व वाले संघ परिवार की इतनी छिपी रणनीति का हिस्सा नहीं रहा है. याद करें 14 सितंबर, 2017 को जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हिंदुओं को एकजुट करने, मुसलमानों के बीच विभाजन बनाने को कहा था.

कौन और क्या है सिन प्रोडक्शन?

यह फिल्म सिनेक्राफ्ट प्रोडक्शंस के द्वारा बनाई गई है जिसमें उनके यूट्यूब चैनल पर केवल दो वीडियो हैं. पहला यह ट्रेलर है जबकि दूसरा उनका शोरील है, जो बेहद अनप्रोफेशनल और खराब गुणवत्ता के हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि शोरील से पता चलता है कि सिनेक्राफ्ट प्रोडक्शन ने उत्तर प्रदेश सरकार के लिए भी फिल्में बनाई हैं. सिनेक्राफ्ट प्रोडक्शंस के द्वारा 18 नवंबर 2018 को पोस्ट किए केवल दो वीडियो ही मिल सकते हैं. इसमें रामजन्मभूमि फिल्म बनाने से पहले आशा बहू पर उत्तर प्रदेश सरकार के लिए किए गए वीडियो शामिल हैं.

हिंदी फिल्म रामजन्मभूमि वसीम रिजवी के द्वारा लिखित और निर्मित हैं, यह फिल्म रामजन्मभूमि और हलाला के मुद्दे से संबंधित है. सिनेक्राफ्ट प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म का संजय मिश्रा के द्वारा निर्देशित किया गया है. फिल्म राम जन्मभूमि में स्टार अभिनेता मनोज जोशी, गोविंद नामदेव, नजिन पटनी, राजवीर सिंह, दिषा सचदेवा और आदित्य महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।

फिल्म के पोस्टर में बाबरी मस्जिद के गुंबद के शीर्ष पर एक भगवा झंडा है. पोस्टर आने दिनों में निश्चित रुप से मीडिया की सुर्खियां बनेगा. दिसंबर 2010 तक फिल्म स्क्रीन पर हिंट करने को तैयार है. 

कौन हैं इंद्रेश कुमार?

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार अजमेर ब्लास्ट मामले में चार्जशीटेड होने के अलावा इजराइल और अमेरिका के सक्रिय समर्थक हैं. रिपोर्ट्स से पता चलता है कि उन्होने और 75 अन्य लोगों ने इजराइल में हाईइफा शताब्दी समारोह में भाग लिया है. आज  इंद्रेश एक राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य और आरएसएस के सहप्रचार प्रमुख हैं. मालेगांव विस्फोट के मुख्य आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित से पूछताछ के दौरान उनका सबसे पहले आया था.

वसीम रिजवी और इंद्रेश कुमार दोनों में विशेष रिश्ते हैं. इस साल जून-जुलाई में सोशल मीडिया पर वसीम रिजवी ने इंद्रेश कुमार के उस स्टैंड का भी खुलेतौर पर समर्थन किया था जब उन्होने कहा था कि मुस्लिमों को गाय मांस खाना बंद करना चाहिए, गायों को मारना बंद होना चाहिए. इस्लाम में गायों का मांस हराम है. आप भीड़ को नहीं रोक सकते, सुरक्षा हर जगह तैनात नहीं की जा सकती है. इसलिए गायों को मारने वालों को सख्ते सजा देने के लिए एक कानून बनाया जाना चाहिए. 

मुझे लगता है कि इंद्रेश जी का बयान एक मुद्दा है. किसी की धार्मिक भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाई जानी चाहिए. यदि गायों की हत्या को रोकने के लिए कानून बनाया जाता है तो लिंचिंग रुक जाएगी. आप किसी की हत्या नहीं कर सकते जिसे किसी समुदाय ने मां का स्टेटस दिया है. 

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