अमृतसर : पंजाब सैनिकों की विधवाएँ पेंशन के लिए भटक रही हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर पूर्व सैनिकों और शहीदों के सम्मान समारोह हो रहे हैं, और दिखाया जा रहा है कि सरकार शहीद सैनिकों का बहुत सम्मान करती है।
Image: Bhaskar
पेंशन के लिए परेशान सैनिकों की विधवाओं से मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल मिलने तक को तैयार नहीं है। लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया। इन महिलाओं की पीड़ा ये है कि उनके पतियों की मौत हो जाने के बाद उन्हें आज तक पेंशन नहीं मिली है।
मुक्तसर की हरजिंदर कौर पूर्व रिटायर्ड मेजर करतार सिंह की पत्नी हैं। करतार सिंह का देहांत 1978 में हो गया था। कुछ समय तक तो उन्हें पेंशन मिली, लेकिन फिर बंद हो गई। अधिकारियों के चक्कर काटते सालों बीत चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। मुख्यमंत्री बादल के पास आईं तो यहाँ से भी भगा दिया गया।
एक और पूर्व सैनिक हरजिंदर सिंह की पत्नी अमरजीत कौर ने कहती हैं कि 1971 की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले उनके पति का देहांत 2012 में हो गया। गया था, लेकिन अब वे पेंशन के लिए परेशान हो रही हैं तो कोई सुनने वाला नहीं।
चीन की लड़ाई में 1962 में शहीद होने वाले सैनिक बूटा सिंह की पत्नी को भी आज तक न कोई आर्थिक मदद मिली और न ही पेंशन।
कल्लेवाल की सुखदीप कौर के पति धरमिंदर सिंह 2015 में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। स्थानीय विधायक ने उनके नाम पर स्कूल का नामकरण करने का वादा किया था जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया।
अमृतसर में वार हीरोज मैमोरियल एवं म्यूजियम के उद्घाटन के बाद रणजीत एवेन्यू में पूर्व सैनिकों और सैनिक विधवाओं को रैली में बुलाया गया लेकिन वहाँ भी उनका अपमान हुआ। इन लोगों को मंच पर ही नहीं आने दिय गया।
1984 में एक अग्निकांड में बच्चों को बचाते हुए शहीद हुए शौर्यचक्र विजेता पूरन सिंह की पत्नी की सुखविंदर कौर का कहना है कि उन्हें प्रोग्राम में केवल भीड़ बढ़ाने और भाषण सुनने के लिए बुलाया गया और उनकी दिक्कतों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
Source: Bhaskar.com
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पेंशन के लिए परेशान सैनिकों की विधवाओं से मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल मिलने तक को तैयार नहीं है। लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया। इन महिलाओं की पीड़ा ये है कि उनके पतियों की मौत हो जाने के बाद उन्हें आज तक पेंशन नहीं मिली है।
मुक्तसर की हरजिंदर कौर पूर्व रिटायर्ड मेजर करतार सिंह की पत्नी हैं। करतार सिंह का देहांत 1978 में हो गया था। कुछ समय तक तो उन्हें पेंशन मिली, लेकिन फिर बंद हो गई। अधिकारियों के चक्कर काटते सालों बीत चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। मुख्यमंत्री बादल के पास आईं तो यहाँ से भी भगा दिया गया।
एक और पूर्व सैनिक हरजिंदर सिंह की पत्नी अमरजीत कौर ने कहती हैं कि 1971 की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले उनके पति का देहांत 2012 में हो गया। गया था, लेकिन अब वे पेंशन के लिए परेशान हो रही हैं तो कोई सुनने वाला नहीं।
चीन की लड़ाई में 1962 में शहीद होने वाले सैनिक बूटा सिंह की पत्नी को भी आज तक न कोई आर्थिक मदद मिली और न ही पेंशन।
कल्लेवाल की सुखदीप कौर के पति धरमिंदर सिंह 2015 में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। स्थानीय विधायक ने उनके नाम पर स्कूल का नामकरण करने का वादा किया था जिसे आज तक पूरा नहीं किया गया।
अमृतसर में वार हीरोज मैमोरियल एवं म्यूजियम के उद्घाटन के बाद रणजीत एवेन्यू में पूर्व सैनिकों और सैनिक विधवाओं को रैली में बुलाया गया लेकिन वहाँ भी उनका अपमान हुआ। इन लोगों को मंच पर ही नहीं आने दिय गया।
1984 में एक अग्निकांड में बच्चों को बचाते हुए शहीद हुए शौर्यचक्र विजेता पूरन सिंह की पत्नी की सुखविंदर कौर का कहना है कि उन्हें प्रोग्राम में केवल भीड़ बढ़ाने और भाषण सुनने के लिए बुलाया गया और उनकी दिक्कतों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
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