नई दिल्ली। मोदी सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओँ पर किसान 100 दिन से ज्यादा समय से डटे हुए हैं। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने लोगों से अपील की है कि वे 10 मार्च को राज्य विधानसभा में हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा-जेजेपी गठबंधन के विधायकों पर दबाव बनायें।
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ धरनारत किसान यूनियनों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मोर्चा की यह अपील इसलिए आयी है क्योंकि कांग्रेस बुधवार को भाजपा-जेजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
पंजाब के वरिष्ठ किसान नेता और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक प्रमुख सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने रविवार को हरियाणा के किसानों और राज्य के निवासियों के लिए जारी एक वीडियो अपील में कहा कि किसानों और अन्य निवासियों को भाजपा, जेजेपी के विधायकों से उनके घरों और कार्यालयों में संपर्क करना चाहिए।
डॉ. दर्शनपाल ने कहा, ‘‘आपको विशेष रूप से भाजपा-जेजेपी विधायकों पर दबाव डालना चाहिए क्योंकि केंद्र किसानों की मांगों पर सहमत नहीं हो रहा है और उसने एक महीने से अधिक समय से चुप्पी साध रखी है।’’ उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 10 मार्च को राज्य विधानसभा में लाया जा रहा है।
डॉ. पाल ने कहा, ‘‘हम एक पत्र भेजेंगे जिसे आपको ले जाना चाहिए और इन विधायकों को बताना चाहिए कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना चाहिए ताकि खट्टर सरकार को पता चले कि लोग इस आंदोलन के साथ खड़े हैं और जो सरकार विरोध करती है, उसे सबक सिखाया जाएगा तथा 10 मार्च को वे इस सरकार को गिराने में अपनी भूमिका निभाएंगे।’’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब एसकेएम के इस कदम पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि किसान नेताओं को इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए। चौटाला ने पिछले एक महीने में किसान नेताओं द्वारा आयोजित किये गए ‘‘किसान महापंचायतों’’ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि उनका नेतृत्व सीमाओं (विरोध स्थलों) पर कम और देश में अन्य मंचों पर अधिक देखा जाता है।’’
यह दावा करते हुए कि सरकार का समर्थन करने वाले विधायकों के बीच ‘‘असंतोष के स्वर’’ सुनाई दे रहे हैं, कांग्रेस ने शुक्रवार से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में राज्य सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाने का पिछले महीने फैसला किया था।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था, ‘‘अविश्वास प्रस्ताव से लोगों को पता चल जाएगा कि कौन सा विधायक सरकार के साथ खड़ा है और कौन सा विधायक किसानों के साथ खड़ा है।’’
शुरुआत में कांग्रेस बजट सत्र के पहले दिन पांच मार्च को अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाना चाहती थी, लेकिन इसके अनुरोध को विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने ठुकरा दिया और उन्होंने इसके लिए 10 मार्च की तिथि तय की थी।
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ धरनारत किसान यूनियनों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मोर्चा की यह अपील इसलिए आयी है क्योंकि कांग्रेस बुधवार को भाजपा-जेजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।
पंजाब के वरिष्ठ किसान नेता और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक प्रमुख सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने रविवार को हरियाणा के किसानों और राज्य के निवासियों के लिए जारी एक वीडियो अपील में कहा कि किसानों और अन्य निवासियों को भाजपा, जेजेपी के विधायकों से उनके घरों और कार्यालयों में संपर्क करना चाहिए।
डॉ. दर्शनपाल ने कहा, ‘‘आपको विशेष रूप से भाजपा-जेजेपी विधायकों पर दबाव डालना चाहिए क्योंकि केंद्र किसानों की मांगों पर सहमत नहीं हो रहा है और उसने एक महीने से अधिक समय से चुप्पी साध रखी है।’’ उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 10 मार्च को राज्य विधानसभा में लाया जा रहा है।
डॉ. पाल ने कहा, ‘‘हम एक पत्र भेजेंगे जिसे आपको ले जाना चाहिए और इन विधायकों को बताना चाहिए कि उन्हें अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना चाहिए ताकि खट्टर सरकार को पता चले कि लोग इस आंदोलन के साथ खड़े हैं और जो सरकार विरोध करती है, उसे सबक सिखाया जाएगा तथा 10 मार्च को वे इस सरकार को गिराने में अपनी भूमिका निभाएंगे।’’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब एसकेएम के इस कदम पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया तो हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि किसान नेताओं को इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए। चौटाला ने पिछले एक महीने में किसान नेताओं द्वारा आयोजित किये गए ‘‘किसान महापंचायतों’’ का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि उनका नेतृत्व सीमाओं (विरोध स्थलों) पर कम और देश में अन्य मंचों पर अधिक देखा जाता है।’’
यह दावा करते हुए कि सरकार का समर्थन करने वाले विधायकों के बीच ‘‘असंतोष के स्वर’’ सुनाई दे रहे हैं, कांग्रेस ने शुक्रवार से शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में राज्य सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाने का पिछले महीने फैसला किया था।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था, ‘‘अविश्वास प्रस्ताव से लोगों को पता चल जाएगा कि कौन सा विधायक सरकार के साथ खड़ा है और कौन सा विधायक किसानों के साथ खड़ा है।’’
शुरुआत में कांग्रेस बजट सत्र के पहले दिन पांच मार्च को अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाना चाहती थी, लेकिन इसके अनुरोध को विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने ठुकरा दिया और उन्होंने इसके लिए 10 मार्च की तिथि तय की थी।