एक बनारसी का दर्द: बनारस में अतिक्रमणकारी थे तो उन्हें करोड़ों मुआवजा क्यों दिया गया मोदी जी ?

Written by विश्वनाथ गोकर्ण | Published on: March 26, 2019
(वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण काशी के नगीना हैं। सैंकडों वर्ष से महात्म्य के कारण देश के कई भागों के लोग काशी के विभिन्न मोहल्ले में बसे हैं। आम तौर पर देश के विभिन्न भागों के राजे, महाराजे, जमींदार, समृद्ध लोग 'काशी-वास' के लिए भवन निर्माण करते और अपने इलाके के ब्राह्मणों को रहने के लिए दे देते थे। काशी का कॉस्मोपोलिटन चरित्र इस वजह से रहा है।)

इन दिनों वर्चुअल वर्ल्ड में एक वीडियो वायरल हो रहा है। जाने कितने लाख लोगों ने उसे अब तक देख लिया है। वीडियो में बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर से जुड़ी चीजें शूट की गयी हैं। वीडियो में कुछ तमिल तीर्थयात्री दिखते हैं। वीडियो के साथ ऑडियो हिन्दी में है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का नतीजा है कि अतिक्रमण से घिरे बाबा विश्वनाथ आज मुक्त हो कर सांस ले रहे हैं। खुद मोदी जी ने भी जब आठ मार्च को इस कॉरिडोर की आधारशिला रखी तब भी उन्होंने कहा कि चालीस हजार वर्गमीटर में बन रहे इस कॉरिडोर को जब हमने खाली कराया तो यहां 44 ऐसे अति प्राचीन मंदिर मिले जिन्हें इलाके के लोगों ने अतिक्रमण कर अपने घरों में छिपा लिया था। उन मंदिरों और शिवालयों में लोगों ने टॉयलेट बना लिया था।

मोदी जी, आपका बयान रिकॉर्डेड है। अब आप यह कह नहीं सकते कि नहीं हमने तो ऐसा कहा ही नहीं था। क्योंकि आपके इस झूठ को पूरी दुनिया ने लाइव टेलिकास्ट में देखा। हमें नहीं मालूम कि आपको किसने यह सब पढ़ा दिया लेकिन हम बनारस के लोग उस दिन इस सचाई को जान कर हैरान थे कि दुनिया में ताकतवर माने जाने वाले हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री का सामान्य ज्ञान कितना कमजोर है। मोदी जी पिछले पांच सालों से आप इतिहास से भी पुराने इस बनारस के सांसद हैं। बीते आठ मार्च तक आपने अपने संसदीय क्षेत्र का 19 बार दौरा भी किया। तथाकथित रूप से आपने इस शहर को कई हजार करोड़ रूपए का तोहफा भी दे डाला पर हजरत अफसोस कि इस शहर को आप अब तक समझ नहीं सके। 

आप न तो इसके इतिहास से वाकिफ हुए और न आपने इसके भूगोल को जानने की कोशिश की। आपके लिए इतिहास मतलब केवल अस्सी घाट और भूगोल मतलब शहर के बाहरी हिस्से मंडुआडीह स्थित डीजल रेल इंजन कारखाने से लंका के बीएचयू गेट तक का सड़क ही रहा। आपने इस चुनावी साल के जनवरी महीने में बनारस में प्रवासी भारतीय सम्मेलन पर अरबों रूपए खर्च कर वाहवाही बटोरी। इस आयोजन का मकसद आज तक कोई समझ नहीं सका। आपने प्रवासियों को बनारस के गली कूचे में तमाम सारी जानकारी दिलवायी लेकिन अफसोस कि इन बीते पांच सालों में आप खुद आज तक कभी किसी गली में गये ही नहीं। 

आपने जापान के पीएम शिंजो अबे से लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति तक के साथ कई बार स्टीमर पर बैठकर गंगा यात्रा की लेकिन जनाब आपने कभी इन घाटों की उन सीढ़ियों पर अपने चरण नहीं धरे जिन पर लेट कर कबीर ने अपने गुरू से राम राम कहो का ज्ञान हासिल किया। आपने कभी तुलसी घाट के उस हुजरे को भी नहीं देखा जहां बाबा तुलसी दास ने रामचरित मानस लिखा। आपने रविदास मंदिर में मत्था टेक कर पंजाब के लिए अपना राजनीतिक मंतव्य साधने का प्रयास जरूर किया लेकिन मोदी जी आपने कभी उस सारनाथ को जानना नहीं चाहा जहां तथागत बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। 

सारनाथ में आपकी दिलचस्पी शायद इसलिए नहीं थी क्योंकि आपके सलाहकारों ने आपको शायद ये समझा दिया था कि बुद्ध को मानने वाले तो किसी और पार्टी के वोट बैंक हैं। हां, याद आया आप इस पूरे टेन्योर में एक बार कालभैरव गये थे। वो भी इसलिए कि जब आपने देखा कि हर बार आपके बनारस आगमन पर बिन मौसम बरसात हो जाती है और कुछ न कुछ हादसा हो जाता है। तो ऐसे में आपको मशवरा देने वाला बुद्धिमान गिरोह बनारसियों के दबाव में आ गया और आपकी वहां हाजिरी लगवा दी गयी।

मोदी जी, बनारस का इतिहास बहुत पुराना है। यहां के प्राग ऐतिहासिक मंदिरों का अपना वजूद है। यहां के मोहल्लों का भी अपना एक तिलिस्म है। गुस्ताखी माफ सर, काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के नाम पर आपने एक पूरे इलाके की जिस तरह से कुर्बानी ली है, इसके लिए इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा। ज्ञानवापी से लेकर सरस्वती फाटक तक और फिर लाहौरी टोला से लेकर ललिता घाट तक के लोगों को आपने अपने इगो के लिए जबरन पैसे देकर जिस तरह उजाड़ा है उसे पुश्तों तक दर्द के साथ याद रखा जाएगा। साहब, ये लोग अतिक्रमणकारी नहीं थे। ये तो वो लोग थे जो पार्टीशन के वक्त पाकिस्तान से उजड़ कर यहां आये थे। ये वो लोग थे जिन्हें उस जमाने में रिफ्यूजी कहा गया। 

लाहौर में अपना सब कुछ गंवा कर लौटे इन लोगों को जहां जगह मिली बनारस ने अपने साथ रचा बसा लिया। इसलिए इस मोहल्ले का नाम लाहौरी टोला रखा गया। आपकी जानकारी के लिए साहेब, ये सब के सब हिन्दू थे, जिनकी खैरख्वाही का आप दम भरते हैं। अफसोस कि हिन्दुत्व की आपकी झंडाबरदारी सच नहीं है। आपने उन्हें उजाड़ा है। आपको पता है, खत्री पंजाबी बिरादरी से लेकर राजस्थानी गौड़ सारस्वत ब्राह्मण बिरादरी तक के ये लोग उजाड़े जाने के बावजूद हर रोज इस इलाके में आते हैं और यहां के मिट्टी की सोंधी खूशबू अपने फेफड़ों में भर कर जाते है। जानते हैं क्यों? क्योंकि आपके बहुत ज्यादा मुआवजा देने के बावजूद अपनी जड़ों से दोबारा बेदखल किये जाने का दर्द उन्हें रातों में सोने नहीं देता।

मुआवजे की बात के साथ एक बात याद आयी। मोदी जी, आपने कहा कि 44 मंदिरों पर अवैध कब्जा था। लोगों ने उसे घेर कर घर बनवा लिया था। जनाब यह पूरी तरह से फरेब है। झूठ है। बेइमानी है। आपको शायद नहीं मालूम होगा कि हूण, तुगलक और मुगलों ने देश के तमाम मंदिरों के साथ बनारस के मंदिरों पर भी हमले किये। उन्हें ढ़हाया। उसे नष्ट किया और लूटा। 

उस जमाने में मोहल्ले के लोगों ने इन प्राचीन मंदिरों को आक्रमणकारियों से छिपाने के लिए उसके इर्द गिर्द दीवार खड़े किये। उस जमाने में जान हथेली पर रख कर वहां पूजा पाठ का क्रम बनाये रखा। ऐसे में क्या उन्हें अतिक्रमणकारी कहना चाहिए। आप बेशक होंगे प्रधानमंत्री लेकिन किसी को बेइमान कहने का हक तो आपको संविधान भी नहीं देता जनाब। 

चलिए मान लेते हैं कि 40 हजार वर्ग मीटर में आने वाले 280 मकान अतिक्रमण ही थे तो साहेब, आपने या आपकी सूबाई सरकार ने संविधान की किस धारा के तहत इन अतिक्रमणकारियों को करोड़ों का मुआवजा दे दिया? इन्हें तो कायदे से जेल में डाला जाना चाहिए था फिर आपने कैसे यह सब होने दिया? आपको शायद पता होगा कि पांच सौ फीट के एक मकान का मुआवजा एक करोड़ रूपए दिया गया, जबकि उसकी कीमत महज कुछ लाख ही थी। कुछ रसूख वालों को तो आपके चहेते योगी आदित्यनाथ की सरकार ने नौ करोड़ का मुआवजा दिया। सर, ऐसा क्यों? योगी जी की सरकार में इसी क्षेत्र से आने वाले एक नये मंत्री से लेकर कभी शिवसेना के नाम पर राजनीति करने वाले इस इलाके के एक छुटभैया नेता तक ने घर उजाड़े जाने के इस धंधे में अरबों रूपए कूट डाले।

सर, आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि आपको कुछ पता ही नहीं रहा। आपको इस बात का भी पता है कि इन रिफ्यूजीस के घर उजाड़ने में किसने कितनी दलाली ली। सुन कर शर्म आती है कि आपकी सरकार ने बनारस के लोगों को सिर्फ दलाली के टुकड़े फेंके और औरंगजेब सरीखे इन आततायियों ने अपनों का सिर कलम कर दिया। बाकी धंधे का असली माल तो गुजरात से आये धंधेबाजों ने आपस में बांट लिया। कॉरिडोर कैसे बनेगा और उसमें कहां क्या बनेगा ये सब तो गुजरात के हाथ लगा है। इसके पीछे दलालों की दलील है कि हमारे यहां ईमान नहीं है। साहेब, ये कह कर तो आपने पूरे बनारस को बेइमान घोषित कर दिया। सब रिकॉर्डेड है साहेब कि पिछले पांच सालों में बनारस में जो कुछ भी तथाकथित विकास हुआ उसमें बनारस के हाथ कुछ नहीं लगा। एक भी ठेका बनारस वालों को नहीं दिया गया। सबके सब गुजरात वालों को। 

वो गुजराती ठेकेदार अपने साथ मजूदर भी लेकर आये। क्या हम बनारसी मजदूरी के लायक भी नहीं हैं? मोदी जी, क्या हम इतने खराब हैं कि आप हमें मजदूरी के लायक भी न समझें? सर, ये कुछ चंद सवालात बनारस वालों का इगो नहीं है, ये ऐसे यक्ष प्रश्न हैं जिनके जवाब आपके पास तो क्या संघ के पुरोधाओं के पास भी नहीं हैं। आपकी सूबाई सरकार ने कॉरिडोर के नाम पर दर्जनों मंदिर तोड़े हैं। इन मंदिरों से उखाड़ कर फेंके गये देवी देवताओं के सैकड़ों विग्रह और शिवलिंग अक्सर ही किसी कॉलोनी के खाली पड़े प्लॉट में कूड़े के बीच पड़े मिलते हैं। साहेब, ये विग्रह नहीं उन देवताओं की रूहें हैं जिनकी प्राण प्रतिष्ठा कर कई पुश्तों ने इन्हें पूजा था। ये रूहें आज लाहौरी टोला के लोगों को सोने नहीं दे रही हैं लेकिन यकीन मान लीजिए जनाब कि चुनाव बाद आप और आपकी पार्टी भी चैन से सो नहीं पाएगी। क्योंकि हिन्दूत्व के नाम पर आपने पाप किया है।

(लेखक एक्टिविस्ट हैं। यह आर्टिकल अफलातून अफलू के ब्लॉग काशी विश्वविद्यालय वर्डप्रेस डॉट कॉम से साभार लिया गया है।)
 

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