पुलिस आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि आबिद शेख पर दायर किया गया मुकदमा वापस लिया जाए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से न रोका जाए। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि ऐसे कार्यकर्ताओं को सहारा देने की बजाए उन्हें परेशान करना समाज के हित में नहीं है।
उत्तर प्रदेश के बनारस निवासी और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता आबिद शेख पर दर्ज किए गए मुकदमा के विरोध में 22 जनवरी 2025 को वाराणसी के जिला मुख्यालय पर विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिकों और बौद्धिक वर्ग के लोगों ने प्रदर्शन किया। इन सभी ने पुलिस आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि आबिद शेख पर दायर किया गया मुकदमा वापस लिया जाए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से न रोका जाए। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि ऐसे कार्यकर्ताओं को सहारा देने की बजाए उन्हें परेशान करना समाज के हित में नहीं है।
प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि आबिद शेख पर झूठा मुकदमा दायर किया गया है। यह मुकदमा उन पर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने और अल्पसंख्यक समुदाय के हक में बोलने के कारण किया गया है। आबिद शेख हमेशा अपने क्षेत्र के जरूरतमंदों और कमजोर वर्गों के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने न केवल समाज की असमानताओं के खिलाफ आवाज बल्कि शोषण और उत्पीड़न के मामलों में हमेशा अपनी आवाज उठाई है।
इसमें आगे कहा गया कि आबिद शेख की आलोचनात्मक आवाज को दबाने के लिए शक्तियों ने इन पर ये झूठा आरोप लगाया है। यह कदम केवल एक ईमानदारी और निडर नागरिक की आवाज को चुप कराने के लिए उठाया गया है जो समाज के गरीब और अल्पसंख्यक वर्ग के लिए कार्य करता है। इस कदम से न केवल लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है बल्कि यह एक संदेश भी भेजा जा रहा है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनके अधिकारों के लिए बोलने से रोका जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिकों और बौद्धिक वर्ग का कहना है कि इस प्रकार की गलत कार्यवाहियां, लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों के खिलाफ है। हर व्यक्ति को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है और कोई भी सरकार या संगठन इस अधिकार को छीनने का प्रयास नहीं कर सकता। मनीष शर्मा, हरीश मिश्रा उर्फ बनारस वाले मिश्रा जी, मुनीजा खान, एडवोकेट राजेश, एडवोकेट जुनैद जाफरी, पत्रकार इमरान, शमशाद खान, रवि प्रकाश यदुवंशी, अमरजीत यादव, जुबैर खान, मुख्तार अहमद अंसारी और एडवोकेट प्रेम प्रकाश यादव समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
मीडिया से बात करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आज हम लोग पुलिस आयुक्त से मिलने के लिए आये थे और पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि से युवा पत्रकार, विधि के छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता आबिद शेख के प्रकरण में हमलोगों ने मुलाकात की है। आबिद शेख के खिलाफ पंद्रह दिसंबर को एक एफआईआर दर्ज हुई जिसके बाद उनके घरवालों से सूचना मिली कि उनके खिलाफ एक फर्जी मुकदमा आशिष कनौजिया द्वारा दर्ज कराया गया है। पंद्रह दिसंबर को प्रार्थना पत्र दिया जाता है और वो एफआईआर उसी दिन दर्ज हो जाता है। जबकि घटना 5-6 अक्टूबर 2024 की बताई जाती है। लगभग ढाई महीने बाद एप्लिकेशन दिया जाता है और बिना किसी जांच और प्रक्रिया के एफआईआर दर्ज हो जाता है। तो ये एफआईआर निश्चित रूप से कूटरचित दस्तावेज के आधार पर चेकगंज पुलिस और आशिष कनौजिया की मिली भगत से किया गया है। हम लोगों ने साफ साफ कहा है कि इस एफआईआर की उच्च स्तरीय जांच करा कर के इस पर एफआईआर दर्ज किया जाए। जो दोषी पुलिस कर्मी है जिन्होंने एफआईआर दर्ज करवाया है और आशिष कनौजिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किया जाए।
मीडिया से बात करते हुए प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा कि हम लोगों की मांग के आधार पर डीसीपी काशी ज़ोन को जांच के लिए लिखा गया है। हमारा प्रतिनिधि मंडल डीसीपी काशी जोन से मिलेगा। पूरे प्रकरण से अवगत कराएगा। हम लोग मांग करेंगे की मुकदमा निस्तारित किया जाए। जिन लोगों ने फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है और जिन्होंने फर्जी मुकदमा दर्ज किया है बिना किसी कारण के, बिना किसी आधार के उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई किया जाए। इन्हीं तीन मांगों के साथ हमलोगों ने मुलाकात की है। उन्होंने आश्वासन दिया है। डीसीपी काशी जोन से मिलने को कहा है और उनको पत्र फॉरवर्ड किया है।
आबिद शेख पर कार्रवाई को लेकर पत्रकार के सवाल के जवाब देते हुए टीम के सदस्य ने कहा कि इस वक्त देश के जो हालात है और जो खासकर हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है उस पर हमले बराबर हो रहे हैं। आप सब लोग इसी से जुड़े हुए लोग है।
उन्होंने कहा कि आबिद शेख पर जिस तरह से फर्जी मुकदमा किया गया है उनके समर्थन में हम लोग यहां आए हैं कि उन पर किए गए फर्जी मुकदमे को हटाया जाए। ये डराने की एक नई नीति अपनाई गई है। लोगों को तो डराया ही जा रहा है। पत्रकार, वकील और जो लोग किसी गरीब की आवाज बनने की कोशिश कर रहे हैं उनको भी दबाने की कोशिश की जा रही है। उन पर फर्जी मुकदमा किया गया है। उन पर से फर्जी मुकदमा हटाया जाए जिससे हमारा लोकतंत्र मजबूत हो जिससे हमारा संविधान मजबूत हो।
उत्तर प्रदेश के बनारस निवासी और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता आबिद शेख पर दर्ज किए गए मुकदमा के विरोध में 22 जनवरी 2025 को वाराणसी के जिला मुख्यालय पर विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिकों और बौद्धिक वर्ग के लोगों ने प्रदर्शन किया। इन सभी ने पुलिस आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपते हुए मांग की कि आबिद शेख पर दायर किया गया मुकदमा वापस लिया जाए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से न रोका जाए। ज्ञापन में यह भी कहा गया कि ऐसे कार्यकर्ताओं को सहारा देने की बजाए उन्हें परेशान करना समाज के हित में नहीं है।
प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया कि आबिद शेख पर झूठा मुकदमा दायर किया गया है। यह मुकदमा उन पर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने और अल्पसंख्यक समुदाय के हक में बोलने के कारण किया गया है। आबिद शेख हमेशा अपने क्षेत्र के जरूरतमंदों और कमजोर वर्गों के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने न केवल समाज की असमानताओं के खिलाफ आवाज बल्कि शोषण और उत्पीड़न के मामलों में हमेशा अपनी आवाज उठाई है।
इसमें आगे कहा गया कि आबिद शेख की आलोचनात्मक आवाज को दबाने के लिए शक्तियों ने इन पर ये झूठा आरोप लगाया है। यह कदम केवल एक ईमानदारी और निडर नागरिक की आवाज को चुप कराने के लिए उठाया गया है जो समाज के गरीब और अल्पसंख्यक वर्ग के लिए कार्य करता है। इस कदम से न केवल लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है बल्कि यह एक संदेश भी भेजा जा रहा है कि सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनके अधिकारों के लिए बोलने से रोका जाएगा।
सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिकों और बौद्धिक वर्ग का कहना है कि इस प्रकार की गलत कार्यवाहियां, लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों के खिलाफ है। हर व्यक्ति को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है और कोई भी सरकार या संगठन इस अधिकार को छीनने का प्रयास नहीं कर सकता। मनीष शर्मा, हरीश मिश्रा उर्फ बनारस वाले मिश्रा जी, मुनीजा खान, एडवोकेट राजेश, एडवोकेट जुनैद जाफरी, पत्रकार इमरान, शमशाद खान, रवि प्रकाश यदुवंशी, अमरजीत यादव, जुबैर खान, मुख्तार अहमद अंसारी और एडवोकेट प्रेम प्रकाश यादव समेत बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
मीडिया से बात करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि आज हम लोग पुलिस आयुक्त से मिलने के लिए आये थे और पुलिस आयुक्त की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि से युवा पत्रकार, विधि के छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता आबिद शेख के प्रकरण में हमलोगों ने मुलाकात की है। आबिद शेख के खिलाफ पंद्रह दिसंबर को एक एफआईआर दर्ज हुई जिसके बाद उनके घरवालों से सूचना मिली कि उनके खिलाफ एक फर्जी मुकदमा आशिष कनौजिया द्वारा दर्ज कराया गया है। पंद्रह दिसंबर को प्रार्थना पत्र दिया जाता है और वो एफआईआर उसी दिन दर्ज हो जाता है। जबकि घटना 5-6 अक्टूबर 2024 की बताई जाती है। लगभग ढाई महीने बाद एप्लिकेशन दिया जाता है और बिना किसी जांच और प्रक्रिया के एफआईआर दर्ज हो जाता है। तो ये एफआईआर निश्चित रूप से कूटरचित दस्तावेज के आधार पर चेकगंज पुलिस और आशिष कनौजिया की मिली भगत से किया गया है। हम लोगों ने साफ साफ कहा है कि इस एफआईआर की उच्च स्तरीय जांच करा कर के इस पर एफआईआर दर्ज किया जाए। जो दोषी पुलिस कर्मी है जिन्होंने एफआईआर दर्ज करवाया है और आशिष कनौजिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किया जाए।
मीडिया से बात करते हुए प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा कि हम लोगों की मांग के आधार पर डीसीपी काशी ज़ोन को जांच के लिए लिखा गया है। हमारा प्रतिनिधि मंडल डीसीपी काशी जोन से मिलेगा। पूरे प्रकरण से अवगत कराएगा। हम लोग मांग करेंगे की मुकदमा निस्तारित किया जाए। जिन लोगों ने फर्जी मुकदमा दर्ज कराया है और जिन्होंने फर्जी मुकदमा दर्ज किया है बिना किसी कारण के, बिना किसी आधार के उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई किया जाए। इन्हीं तीन मांगों के साथ हमलोगों ने मुलाकात की है। उन्होंने आश्वासन दिया है। डीसीपी काशी जोन से मिलने को कहा है और उनको पत्र फॉरवर्ड किया है।
आबिद शेख पर कार्रवाई को लेकर पत्रकार के सवाल के जवाब देते हुए टीम के सदस्य ने कहा कि इस वक्त देश के जो हालात है और जो खासकर हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है उस पर हमले बराबर हो रहे हैं। आप सब लोग इसी से जुड़े हुए लोग है।
उन्होंने कहा कि आबिद शेख पर जिस तरह से फर्जी मुकदमा किया गया है उनके समर्थन में हम लोग यहां आए हैं कि उन पर किए गए फर्जी मुकदमे को हटाया जाए। ये डराने की एक नई नीति अपनाई गई है। लोगों को तो डराया ही जा रहा है। पत्रकार, वकील और जो लोग किसी गरीब की आवाज बनने की कोशिश कर रहे हैं उनको भी दबाने की कोशिश की जा रही है। उन पर फर्जी मुकदमा किया गया है। उन पर से फर्जी मुकदमा हटाया जाए जिससे हमारा लोकतंत्र मजबूत हो जिससे हमारा संविधान मजबूत हो।