संसद में बुधवार को प्रस्तुत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली विदेश मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
नयी दिल्ली: संसद की एक समिति ने दुनियाभर में फैले व्यापक प्रवासी भारतीय समुदाय का कोई ‘प्रामाणिक आंकड़ा’ नहीं होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि विदेशों में भारतीय दूतावास / उच्चायोग/मिशन को प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ वृहद एवं करीबी सम्पर्क स्थापित कर उन्हें पंजीकरण कराने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उनका आंकड़ा तैयार किया जा सके ।
संसद में बुधवार को प्रस्तुत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली विदेश मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजी गयी रकम के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय ने बताया कि दूसरे देश से अपने परिवारों को भेजी जाने वाली धनराशि के बारे में कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इस विषय पर विश्व बैंक की रिपोर्ट से बात सामने आई है कि वर्ष 2021 में प्रवासी भारतीयों ने परिवारों को 87 अरब डॉलर की राशि भेजी और इस श्रेणी में भारत सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बना।
इसमें कहा गया है कि ऐसी उम्मीद की जा रही कि वित्त वर्ष 2022 में इसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
समिति ने इस बात को नोट किया है कि विदेशों में रहने वाले भारतवंशियों में 1.8 करोड़ भारतीय मूल के लोग (पीआईओ), 1.3 करोड़ अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) हैं जो दुनियाभर में फैले हैं और यह सबसे बड़े प्रवासी समुदाय में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भारतवंशी समुदाय की प्रकृति विविधतापूर्ण है जिसमें श्रमिक, कामगार, कारोबारी, राजनेता, पेशेवर लोग और छात्र आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस बात से आश्चर्यचकित है कि मंत्रालय के पास विदेशों में रहने वाले भारतवंशी समुदाय का कोई प्रामाणिक आंकड़ा नहीं है।
मंत्रालय ने इस बारे में कहा कि विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय द्वारा पंजीकरण कराना स्वैच्छिक है, ऐसे में संपूर्ण भारतीय समुदाय विदेशों में भारतीय उच्चायोगों/दूतावासों में पंजीकरण नहीं कराते। साथ ही भारतवंशियों की आवाजाही के कारण भी आंकड़ों में अंतर आता है।
रिपोर्ट के अनुसार समिति को लगता है कि समग्र और अद्यतन आंकड़ों के आभाव में मंत्रालय प्रवासी भारतीय समुदाय की कल्याणकारी योजनाओं एवं उनको पेश आ रही चुनौतियों से प्रभावी ढंग से नहीं निपट सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, समिति चाहती है कि विदेशों में भारतीय दूतावास/ उच्चायोग/मिशन को प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ वृहद एवं करीबी सम्पर्क स्थापित करना चाहिए और उन्हें विभिन्न मिशन, सांस्कृतिक संगठनों, छात्र संगठनों आदि के साथ पंजीकरण कराने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उनका प्रामाणिक आंकड़ा तैयार किया जा सके।
Courtesy: Newsclick
नयी दिल्ली: संसद की एक समिति ने दुनियाभर में फैले व्यापक प्रवासी भारतीय समुदाय का कोई ‘प्रामाणिक आंकड़ा’ नहीं होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि विदेशों में भारतीय दूतावास / उच्चायोग/मिशन को प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ वृहद एवं करीबी सम्पर्क स्थापित कर उन्हें पंजीकरण कराने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उनका आंकड़ा तैयार किया जा सके ।
संसद में बुधवार को प्रस्तुत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली विदेश मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजी गयी रकम के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय ने बताया कि दूसरे देश से अपने परिवारों को भेजी जाने वाली धनराशि के बारे में कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, इस विषय पर विश्व बैंक की रिपोर्ट से बात सामने आई है कि वर्ष 2021 में प्रवासी भारतीयों ने परिवारों को 87 अरब डॉलर की राशि भेजी और इस श्रेणी में भारत सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बना।
इसमें कहा गया है कि ऐसी उम्मीद की जा रही कि वित्त वर्ष 2022 में इसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
समिति ने इस बात को नोट किया है कि विदेशों में रहने वाले भारतवंशियों में 1.8 करोड़ भारतीय मूल के लोग (पीआईओ), 1.3 करोड़ अप्रवासी भारतीय (एनआरआई) हैं जो दुनियाभर में फैले हैं और यह सबसे बड़े प्रवासी समुदाय में शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भारतवंशी समुदाय की प्रकृति विविधतापूर्ण है जिसमें श्रमिक, कामगार, कारोबारी, राजनेता, पेशेवर लोग और छात्र आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस बात से आश्चर्यचकित है कि मंत्रालय के पास विदेशों में रहने वाले भारतवंशी समुदाय का कोई प्रामाणिक आंकड़ा नहीं है।
मंत्रालय ने इस बारे में कहा कि विदेशों में रहने वाले भारतीय समुदाय द्वारा पंजीकरण कराना स्वैच्छिक है, ऐसे में संपूर्ण भारतीय समुदाय विदेशों में भारतीय उच्चायोगों/दूतावासों में पंजीकरण नहीं कराते। साथ ही भारतवंशियों की आवाजाही के कारण भी आंकड़ों में अंतर आता है।
रिपोर्ट के अनुसार समिति को लगता है कि समग्र और अद्यतन आंकड़ों के आभाव में मंत्रालय प्रवासी भारतीय समुदाय की कल्याणकारी योजनाओं एवं उनको पेश आ रही चुनौतियों से प्रभावी ढंग से नहीं निपट सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि, समिति चाहती है कि विदेशों में भारतीय दूतावास/ उच्चायोग/मिशन को प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ वृहद एवं करीबी सम्पर्क स्थापित करना चाहिए और उन्हें विभिन्न मिशन, सांस्कृतिक संगठनों, छात्र संगठनों आदि के साथ पंजीकरण कराने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उनका प्रामाणिक आंकड़ा तैयार किया जा सके।
Courtesy: Newsclick