नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छे दिन का वादा कर सत्ता में आए थे। इसके बाद उन्होंने नोटबंदी कर इसे कालेधन पर चोट, आतंकवाद, नक्सलवाद आदि का खात्मा करने के लिए कड़वी दवा बताया। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था, रोजगार आदि सभी की दवा नोटबंदी को बताया। नोटबंदी के दौरान लाइन में लगकर करीब सौ लोगों की मौत की खबरें सामने आईं लेकिन सरकार इससे इंकार करती रही। सरकार से जब संसद में पूछा गया तो उसे नोटबंदी से असुविधा की बात मान ली है।
नोटबंदी को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में संसद को बताया कि नोटबंदी वाले साल 2016-17 में नोटों की प्रिंटिंग की लागत बढ़कर 7,965 करोड़ रुपये तक हो गई थी। सरकार ने यह भी माना कि नोटबंदी के बाद एसबीआई के तीन कर्मचारियों और लाइन में लगे एक ग्राहक की जान चली गई। एक अन्य जवाब में यह भी साफ किया कि सरकार जनता के पास बचे हुए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट लेने पर विचार नहीं कर रही है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में दिए एक लिखित जवाब में कहा कि नोटबंदी के साल प्रिंटिंग लागत 7,965 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, लेकिन अगले ही साल 2017-18 में इसमें भारी गिरावट आई और 4,912 करोड़ रुपये रह गई। जवाब में कहा गया है कि नोटबंदी से पहले 2015-16 में नोटों की प्रिटिंग पर 3,421 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
इसके अलावा नोटों को देशभर में भेजने पर 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में क्रमश: 109 करोड़, 147 करोड़ और 115 करोड़ रुपये खर्च हुए। वित्त मंत्री ने यह जवाब नोटबंदी की वजह से आरबीआई द्वारा उठाए गए खर्च के संबंध में पूछे गए सवाल पर दिया।
जेटली ने बताया कि एसबीआई ने नोटबंदी के दौरान तीन कर्मचारियों और एक ग्राहक की मौत होने की जानकारी दी। बैंक ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे के रूप में 44।06 लाख रुपये दिए। इसमें से तीन लाख रुपये मृतक ग्राहक के परिजनों को दिए गए।
सीपीएम के ई करीम ने नोटबंदी के दौरान बैंकों में नोट बदलने वालों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा मांगा था। जिसके जवाब में जेटली ने ये बातें कही। सरकार ने मंगलवार को इस बात से इनकार किया कि चलन से बाहर हो गए। जनता के पास बचे 500 और 1000 रुपये के नोटों को वापस लेने पर विचार कर रही है। वित्त राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने रवि प्रकाश वर्मा और नीरज शेखर के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि नए बैंक नोटों का सामान्य जीवनकाल होने की उम्मीद की जाती है, क्योंकि 2016 सीरीज के बैंक नोटों के लिए प्रयोग की मशीनें, विनिर्माण प्रक्रिया और कच्चा माल, सुरक्षा विशेषताएं आदि वहीं हैं, जो पिछली सीरीज में प्रयोग की गई थीं। कच्चा माल के तहत कागज, स्याही आदि आते हैं।
साभार- मीडिया इनपुट्स
नोटबंदी को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में संसद को बताया कि नोटबंदी वाले साल 2016-17 में नोटों की प्रिंटिंग की लागत बढ़कर 7,965 करोड़ रुपये तक हो गई थी। सरकार ने यह भी माना कि नोटबंदी के बाद एसबीआई के तीन कर्मचारियों और लाइन में लगे एक ग्राहक की जान चली गई। एक अन्य जवाब में यह भी साफ किया कि सरकार जनता के पास बचे हुए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट लेने पर विचार नहीं कर रही है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्य सभा में दिए एक लिखित जवाब में कहा कि नोटबंदी के साल प्रिंटिंग लागत 7,965 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, लेकिन अगले ही साल 2017-18 में इसमें भारी गिरावट आई और 4,912 करोड़ रुपये रह गई। जवाब में कहा गया है कि नोटबंदी से पहले 2015-16 में नोटों की प्रिटिंग पर 3,421 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
इसके अलावा नोटों को देशभर में भेजने पर 2015-16, 2016-17 और 2017-18 में क्रमश: 109 करोड़, 147 करोड़ और 115 करोड़ रुपये खर्च हुए। वित्त मंत्री ने यह जवाब नोटबंदी की वजह से आरबीआई द्वारा उठाए गए खर्च के संबंध में पूछे गए सवाल पर दिया।
जेटली ने बताया कि एसबीआई ने नोटबंदी के दौरान तीन कर्मचारियों और एक ग्राहक की मौत होने की जानकारी दी। बैंक ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे के रूप में 44।06 लाख रुपये दिए। इसमें से तीन लाख रुपये मृतक ग्राहक के परिजनों को दिए गए।
सीपीएम के ई करीम ने नोटबंदी के दौरान बैंकों में नोट बदलने वालों की लाइन में लगे लोगों की मौत का ब्योरा मांगा था। जिसके जवाब में जेटली ने ये बातें कही। सरकार ने मंगलवार को इस बात से इनकार किया कि चलन से बाहर हो गए। जनता के पास बचे 500 और 1000 रुपये के नोटों को वापस लेने पर विचार कर रही है। वित्त राज्य मंत्री पी राधाकृष्णन ने रवि प्रकाश वर्मा और नीरज शेखर के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि नए बैंक नोटों का सामान्य जीवनकाल होने की उम्मीद की जाती है, क्योंकि 2016 सीरीज के बैंक नोटों के लिए प्रयोग की मशीनें, विनिर्माण प्रक्रिया और कच्चा माल, सुरक्षा विशेषताएं आदि वहीं हैं, जो पिछली सीरीज में प्रयोग की गई थीं। कच्चा माल के तहत कागज, स्याही आदि आते हैं।
साभार- मीडिया इनपुट्स