कल फाइनली तीन महीने के बाद नीतीश कुमार को मुजफ्फरपुर वाली घटना पर शर्म आ गयी वो बोले यह घटना बेहद शर्मसार करनेवाली है. मामला उजागर होने के बाद से हम आत्मग्लानि के शिकार हो गये हैंओर आज मुजफ्फरपुर पुलिस ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि इस कांड का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सरकारी फंड और ऑर्डर पाने के लिए सेक्स रैकेट चलाता था उसके तार नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक जुड़े हुए थे.
अब सरकारी फंड तो सालो से नीतीश कुमार ही बांटा करते थे तो उन्हें इस खुलासे के बाद गंगा में छलांग ही लगा देना चाहिए लेकिन वो नही लगाएंगे इसका हमे पूरा यकीन है.
उनकी प्रशासनिक कुशलता के सुबूत भी इस घटना में मिलना शुरू हो गए हैं.
ताजा खुलासा यह है कि मुजफ्फरपुर के स्वास्थ्य विभाग में बालिका गृह के बच्चियों के स्वास्थ्य जांच से संबंधी कोई दस्तावेज नहीं है, जबकि बालक और बालिका दोनों गृह में रहने वाले 18 साल से कम के बच्चे और बच्चियों के स्वास्थ्य की जांच सप्ताह में दो बार सरकारी डॉक्टरों को करना था. 2013 से लेकर 2018 तक में बालिका गृह में जांच के लिए गए सरकारी डॉक्टरों के नाम रिकॉर्ड से गायब हैं.
साफ दिख रहा है कि सीबीआई जांच शुरू होने के बाद बालिका गृह से संबंधित दस्तावेज को खत्म करने की कोशिश की जा रही है.
ब्रजेश ठाकुर पर नीतीश सरकार की मेहरबानी का आलम तो यह था कि वह सेवा संकल्प एवं विकास समिति नामक एनजीओ के प्रतिनिधि के तौर पर पिछले 5 सालों से जिला रोगी कल्याण समिति का सदस्य बना बैठा था, उसकी सहयोगी मधु को जिला महिला सम्मान के लिए जिला स्तरीय कमेटी ने सिफारिश कर रही थी मधु ब्रजेश ठाकुर के संगठनों को देखना, चलाने का काम करती थी.
ब्रजेश ठाकुर के अखबार को एफआईआर दर्ज होने के बाद भी सरकारी विज्ञापन मिलते रहे हैं वायर की रिपोर्ट बताती हैं कि एक जून से 14 जून तक बिहार के सूचना व जनसंपर्क विभाग की ओर से मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के अख़बार ‘प्रातः कमल’ के नाम 14 विज्ञापन जारी किए गए जबकि सूचना व जनसंपर्क विभाग ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संभालते हैं न सिर्फ ब्रजेश ठाकुर को बल्कि उसके तीनो अखबार मिलाकर कुल नौ पत्रकारों को सरकारी मान्यता वाले एक्रेडिएशन कार्ड मिले हुए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बता रही है कि राज्य सरकार की तरफ से ‘प्रातः कमल’ व अन्य दो अख़बारों को सालाना करीब 30 लाख रुपये का विज्ञापन मिलता था.
स्वाति मालीवाल ने आज नीतीश कुमार को पत्र लिखते हुए पूछा 'सर, इनमें से आपकी कोई बेटी नहीं है पर मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि अगर उन 34 लड़कियों में से एक भी आपकी बेटी होती, तो भी आप किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेते?
स्वाति मालीवाल ने यह भी बिल्कुल ठीक कहा कि 'मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की कहानी शायद इस दुनिया की सबसे भयावह कहानियों में से एक हैं'
अब सरकारी फंड तो सालो से नीतीश कुमार ही बांटा करते थे तो उन्हें इस खुलासे के बाद गंगा में छलांग ही लगा देना चाहिए लेकिन वो नही लगाएंगे इसका हमे पूरा यकीन है.
उनकी प्रशासनिक कुशलता के सुबूत भी इस घटना में मिलना शुरू हो गए हैं.
ताजा खुलासा यह है कि मुजफ्फरपुर के स्वास्थ्य विभाग में बालिका गृह के बच्चियों के स्वास्थ्य जांच से संबंधी कोई दस्तावेज नहीं है, जबकि बालक और बालिका दोनों गृह में रहने वाले 18 साल से कम के बच्चे और बच्चियों के स्वास्थ्य की जांच सप्ताह में दो बार सरकारी डॉक्टरों को करना था. 2013 से लेकर 2018 तक में बालिका गृह में जांच के लिए गए सरकारी डॉक्टरों के नाम रिकॉर्ड से गायब हैं.
साफ दिख रहा है कि सीबीआई जांच शुरू होने के बाद बालिका गृह से संबंधित दस्तावेज को खत्म करने की कोशिश की जा रही है.
ब्रजेश ठाकुर पर नीतीश सरकार की मेहरबानी का आलम तो यह था कि वह सेवा संकल्प एवं विकास समिति नामक एनजीओ के प्रतिनिधि के तौर पर पिछले 5 सालों से जिला रोगी कल्याण समिति का सदस्य बना बैठा था, उसकी सहयोगी मधु को जिला महिला सम्मान के लिए जिला स्तरीय कमेटी ने सिफारिश कर रही थी मधु ब्रजेश ठाकुर के संगठनों को देखना, चलाने का काम करती थी.
ब्रजेश ठाकुर के अखबार को एफआईआर दर्ज होने के बाद भी सरकारी विज्ञापन मिलते रहे हैं वायर की रिपोर्ट बताती हैं कि एक जून से 14 जून तक बिहार के सूचना व जनसंपर्क विभाग की ओर से मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के अख़बार ‘प्रातः कमल’ के नाम 14 विज्ञापन जारी किए गए जबकि सूचना व जनसंपर्क विभाग ख़ुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संभालते हैं न सिर्फ ब्रजेश ठाकुर को बल्कि उसके तीनो अखबार मिलाकर कुल नौ पत्रकारों को सरकारी मान्यता वाले एक्रेडिएशन कार्ड मिले हुए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बता रही है कि राज्य सरकार की तरफ से ‘प्रातः कमल’ व अन्य दो अख़बारों को सालाना करीब 30 लाख रुपये का विज्ञापन मिलता था.
स्वाति मालीवाल ने आज नीतीश कुमार को पत्र लिखते हुए पूछा 'सर, इनमें से आपकी कोई बेटी नहीं है पर मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि अगर उन 34 लड़कियों में से एक भी आपकी बेटी होती, तो भी आप किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेते?
स्वाति मालीवाल ने यह भी बिल्कुल ठीक कहा कि 'मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की कहानी शायद इस दुनिया की सबसे भयावह कहानियों में से एक हैं'