गांधी, तुम भाड़ में जाओ!

Written by Tushar A Gandhi | Published on: January 30, 2017

तुम्हें ने हमें लंबे समय तक परेशान किया है। हमें तुम्हारी जरूरत नहीं। तुम भाड़ में जाओ।


Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी की हत्या की 68वीं बरसी पर उनके प्रपौत्र तुषार गांधी ने अब भी इस उथलपुथल भरे देश के राष्ट्रपिता के तौर पर बरकरार बापू के प्रति मौजूदा सरकार और संघ परिवार के व्यवहार का एक जायजा लिया है।
 
तुमने हमें 1947 में फाइनल सॉल्यूशन की इजाजत नहीं दी। तुम हिंदू राष्ट्र और हमारे बीच आ गए। हमने तुमसे छुटकारा पाने के लिए अपने आदमी भेजे। लेकिन अड़ियल बुड्ढे, सीने में गोलियां दागने के बावजूद तुम मरने से इनकार करते रहे। लेकिन अब हमें तुम्हें बिल्कुल नहीं चाहते। हम तुम्हारे हत्यारों की पूजा करते हैं। हमने उन्हें सत्ता भी दे दी है। तुमने अपनी गरीबी, सादे जीवन से हमें शर्मसार किया है। हम आडंबर, दिखावा और धूम-धड़ाके में विश्वास करते हैं। सच, ईमानदारी और नैतिकता आउटडेटेड हो चुकी हैं। अब हमें इन चीजों की बिल्कुल जरूरत नहीं है। गांधी, तुम भाड़ में जाओ।

हमने तुम्हारा चश्मा भी रख लिया है। ताकि तुम हमारी कलुषित आत्मा और हमारे खून से सने हाथ नहीं देख सको।

हम अब स्वच्छ भारत की बात करते हैं, इसलिए अब हमें स्वच्छ आत्मा, स्वच्छ आचरण, स्वच्छ जीवन पर तुम्हारे उपदेश की कोई जरूरत नहीं है। हमें अब तुम्हारे शब्दों की जरूरत नहीं है। हम तो अब जुमलों के आदी हो चुके हैं। तुम भाड़ में जाओ गांधी। 

तुम्हारा सादा जीवन और गरीबी अपनाना अब हमें प्रभावित नहीं करता। हमें तो अब लाखों का सूट पसंद आता है। तुम्हारी खद्दर की धोती पहनने से अब हमें शर्म आती है। अब हम अतुल्य भारतीय हैं। गांधी, तुम तो भाड़ में जाओ।

हमने तुम्हारा चश्मा ले लिया था। अब हमें खादी के लिए भी एक नया पोस्टर ब्वॉय मिल गया है। वह चरखे के साथ काफी अच्छा पोज देता है और बड़ा कूल लगता है। तुमने तो चरखा कात कर सिर्फ अपना वक्त गंवाया है। तुम्हारे नाम पर तो अब खद्दर भी नहीं बिकती। पॉली वस्त्रों को बेचने वाला अब हमें एक नया सेल्समैन मिल गया है। इसलिए तुम भाड़ में जाओ।

गांधी तुम खद्दर की धोती पहन कर बंकिघम पैलेस चले गए गए थे। इसलिए ब्रिटिश पीएम ने खीज में तुम्हें अधनंगा फकीर कह दिया था। तुम अपनी सिकुड़ी छाती लेकर बेशर्मी से वहां पहुंच गए। तुमने हमें शर्मसार किया। हमारे नए सुप्रीम नेता को तो अपनी 56 इंच की छाती पर गर्व है। और वह डिजाइनर जैकेट पहनना पसंद करता है। लिहाजा गांधी अब हमें तुम्हारी जरूरत नहीं है। तुम भाड़ में जाओ।

करेंसी पर तुम्हारी तस्वीर ने हमारा मान घटाया है। हमारे नेता बेहद साफगोई के साथ इस तथ्य को स्वीकार करते हैं। हम वहां से भी तुम्हें धीरे-धीरे हटा देंगे क्योंकि हमारे सुप्रीम नेता कैशलेस इंडिया और पेटीएम को प्रमोट कर रहे हैं और जिसमें तुम्हारी तस्वीर नहीं होती। गांधी अब तुम भाड़ में जाओ।

तुम्हारा ‘सिक’ यूलिरिज्म ने हमें बहुत  परेशान किया है और ‘मियाओं’ को बेधड़क बना दिया है। अब तो हमारे नेता ने दिखा दिया है कि मुस्लिमों को मारना ठीक है। वह कहते हैं कि मुसलमानों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। 2002 ने इसे साबित कर दिया है। हमने ऐसे नेताओं को सत्ता की चाबी देकर पुरस्कृत भी किया है। हमारे पास ऐसी अदालतें भी हैं जो कहती हैं कि किसी दूसरे धर्म के लोगों की हत्या करना स्वीकार्य है। यह कोई जघन्य अपराध नहीं है। अब कोई भी शख्स खून सने हाथ से सर्वोच्च पद की शपथ ले सकता है। गांधी अगर आज तुम आने की कोशिश करो और आमरण अनशन करो तो हम तुम्हें मरने से नहीं रोकेंगे। हमें तुम्हारा कोई परवाह नहीं है। तुम भाड़ में जाओ।

नैतिकता एक बुरा शब्द है। हम किचन से बाहर निकल कर जिंस और टी-शर्ट पहन कर बाहर आने वाली महिलाओं को पाठ पढ़ाने में इसका इस्तेमाल करते हैं। हम उनका रेप करते हैं और उन्हें याद दिलाते हैं कि वे सिर्फ बच्चा पैदा करने की मशीन हैं। हमारे यहां महिलाओं को अग्निपरीक्षा से गुजारने की परंपरा है। हम बड़े गर्व के साथ अपनी पुरानी परंपरा को दोबारा लाना चाहते हैं। तुम्हारा महिला सशक्तिकरण की बात भाड़ में जाए। हम चुनावों में दलितों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अपनी भूख मिटाने के लिए अगर वे फल खा लें या हमारे नल से प्यास बुझाने के लिए पानी पी लें तो उनका हाथ काट लेते हैं। इसलिए भाड़ में जाओ गांधी।

हमने तुम्हारा चश्मा और चरखा चुरा लिया है। हम तुम्हारी लाठी का इस्तेमाल उन लोगों को पीटने या झुकाने में करेंगे जो हमारे खिलाफ खड़े हैं। हम उनके खिलाफ मुकदमा करेंगे। उन्हें बदनाम करें और उन्हें पीटेंगे। गांधी हमें तुम्हारी अहिंसा की जरूरत नहीं है। हम तुम्हारे हत्यारे गोडसे की पूजा करते हैं। तुम भाड़ में जाओ।

तुम्हारा वक्त बीत चुका है भले ही तुम्हारी घड़ी 30 जनवरी, 1948 से सुबह के 5.17 का वक्त बता रही है। यह वह वक्त है, जब हमने तुम्हारे सीने में गोलियां दागने के लिए आदमी भेजा था। अब गोडसे का वक्त है। तुम्हारा वक्त बीत चुका है। हमने नौ मिमी की तीन गोलियां का जो उपहार तुम्हें दिया था, उसी से खुश रहो। हमें अब तुम्हारी जरूरत नहीं हो। भाड़ में जाओ।

अब एक ही जगह तुम्हारा स्वागत होगा और वह यह जगह है एयर इंडिया का वीआईपी प्लेन। हमारे सुप्रीम लीडर अक्सर अपने विदेश दौरे में इसका इस्तेमाल करते हैं। और दुर्भाग्य से उनका काम बापू के बगैर नहीं चलता।

इसलिए अतुल्य भारत से गांधी तुम तो दफा हो जाओ।

सुन ले बापू ये पैगाम, मेरी चिट्ठी तेरे नाम, चिट्ठी में सबसे पहले करता तुझको राम-राम......
 
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