नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों ने कोरोना के खिलाफ भी कमर कस ली है। उन्होंने ऑक्सीजन सिलिंडर और कंसन्ट्रेटर ही नहीं, डॉक्टरों तक का बंदोबस्त कर डाला है कि पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए। मंच पर से किसान नेता अब कृषि कानूनों की खामियां तो बताते ही हैं, यह भी बताते हैं कि कोरोना से कैसे बचा जाए। यह काम एक-दो बार नहीं, पांच-पांच, छह-छह बार किया जाता है।
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, टिकरी बॉर्डर पर आंदोलनरत बलजीत कौर ने बताया कि पहले भाषणों में कृषि कानूनों पर ही जोर रहता था, अब उग्रहन समेत तमाम नेता मंच से बार-बार मास्क पहनने, एक-दूसरे से दूरी रखने और बार-बार हाथ धोने के लिए कहते रहते हैं।किसान जगसिर सिंह कहते हैं कि मंच से उन्हें गरम पानी पीने, गला तर रखने और खाली पेट न रहने की सलाह भी दी जाती रहती है। चाय में इलायची, लौंग, अदरक और अजवाइन लेने के लिए भी बराबर ताकीद की जाती रहती है।
बीकेयू-उग्राहन के उपाध्यक्ष वसंत सिंह कोठा गुरु ने कहा कि कोई जरा भी बीमार पड़ता है तो उसे डॉक्टरों की एक टीम तुरंत देखती है क्योंकि यह पक्का करना जरूरी है कि आदमी में कोविड के लक्षण तो नहीं। धरना स्थल पर स्प्रे के जरिए सैनिटाइजेशन और फॉगिंग के जरिए मच्छर नियंत्रण भी रोजाना किया जाता है।
उधर, सिंघू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक टेम्परेरी अस्पताल खड़ा कर रखा है। इसके अलावा किसानों को मास्क और हाथ धोने की उपयोगिता समझाई जाती रहती है। इसके अलावा छोटे-छोटे हेल्थ कैम्प भी हैं, जो किसी के बीमार पड़ते ही देखभाल शुरू कर देते हैं। टिकरी की तरह सिंघू में भी इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन के सिलिंडर तैयार रखे गए हैं।
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, टिकरी बॉर्डर पर आंदोलनरत बलजीत कौर ने बताया कि पहले भाषणों में कृषि कानूनों पर ही जोर रहता था, अब उग्रहन समेत तमाम नेता मंच से बार-बार मास्क पहनने, एक-दूसरे से दूरी रखने और बार-बार हाथ धोने के लिए कहते रहते हैं।किसान जगसिर सिंह कहते हैं कि मंच से उन्हें गरम पानी पीने, गला तर रखने और खाली पेट न रहने की सलाह भी दी जाती रहती है। चाय में इलायची, लौंग, अदरक और अजवाइन लेने के लिए भी बराबर ताकीद की जाती रहती है।
बीकेयू-उग्राहन के उपाध्यक्ष वसंत सिंह कोठा गुरु ने कहा कि कोई जरा भी बीमार पड़ता है तो उसे डॉक्टरों की एक टीम तुरंत देखती है क्योंकि यह पक्का करना जरूरी है कि आदमी में कोविड के लक्षण तो नहीं। धरना स्थल पर स्प्रे के जरिए सैनिटाइजेशन और फॉगिंग के जरिए मच्छर नियंत्रण भी रोजाना किया जाता है।
उधर, सिंघू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने एक टेम्परेरी अस्पताल खड़ा कर रखा है। इसके अलावा किसानों को मास्क और हाथ धोने की उपयोगिता समझाई जाती रहती है। इसके अलावा छोटे-छोटे हेल्थ कैम्प भी हैं, जो किसी के बीमार पड़ते ही देखभाल शुरू कर देते हैं। टिकरी की तरह सिंघू में भी इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन के सिलिंडर तैयार रखे गए हैं।