महिला किसान दिवस: महिलाओं के हाथ में रही आंदोलन की कमान

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 18, 2021
नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन लगातार 54वें दिन जारी है और किसान आज 18 जनवरी को ‘महिला किसान दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। वहीं, किसान आंदोलन को मज़बूती प्रदान करने के लिए महिला कांग्रेस ने आज देश भर के, हर जिले में ‘’महिला किसान दिवस’ मनाने का ऐलान किया है।



दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसान लगातार पहुंच रहे हैं। हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश से किसानों का जत्था लगातार दिल्ली पहुंच रहा है। आज दिल्ली की सीमाओं पर भारी संख्या में महिलाएं पहुंच रही हैं।

शाहजहांपुर बॉर्डर पर जारी क्रमिक अनशन में भी महिलाओं ने ही भाग लिया। 24 घंटे के अनशन पर जो कार्यकर्ताएं बैठी हैं उनमें राजबाला यादव, परमेश्वरी, गीता छींपा, अश्वनी संतोष चौहान, लता बाई नामदेव, सकूबाई धनराज, शोभाबाई शुक्र लाल, मंगल शिवाजी वाग, वानू बाई जीरा, कम्मू बाई मनोहर, दुर्गा देवी और मंनू देवी शामिल हैं।

इससे पहले दूध पिलाकर रविवार के क्रमिक अनशकारियों का अनशन खुलवाया गया। महाराष्ट्र व गुजरात से हजारों महिलाएं शाहजहांपुर मोर्चे पर पहुंची। सर्वोच्च न्यायालय में महिलाओं की भागीदारी के प्रति नकारात्मक टिप्पणी से आहत होकर महिला किसानों का दल गुजरात व महाराष्ट्र से शाहजहाँपुर के लिए रवाना हुआ था। आज सभा का संचालन भी महिलाओं ने ही किया और भाषण भी केवल महिलाओं के हुए। अध्यक्ष मंडली में प्रतिभा शिंदे, चन्द्रकला, निशा, राजबाला ब वर्षा देशपांडे शामिल थीं।



वक्ताओं में रुक्मणी, वर्षा चोपड़ा, सुमित्रा चोपड़ा, कविता श्रीवास्तव, सुनीता चतुर्वेदी, प्रतिभा शिंदे, राइजा बाई व मंजू यादव शामिल थे। वक्ताओं ने आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ाने का संकल्प लिया।

महिला किसान दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया गया। आस-पास की महिलाओं ने ट्रैक्टर मार्च निकाल कर आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन को आने वाले दौर में महिलाओं के अग्रणी योगदान के लिए भी याद किया जाएगा।

किसान मजदूर संगठन, पंजाब की तरफ से आज सिंघु बॉर्डर पर कई कॉरपोरेट कंपनियों और केंद्र सरकार के पुतले भी जलाए गए। किसान आंदोलन के दौरान आज मंच का संचालन महिलाओं के हाथ में है।

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