नीतीश जी,
आप 2005 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। आपने बिहारियों को यह सपना दिखाया कि बिहार जो बहुत बदहाल है, उसे आप ठीक कर देंगे। आपके 2005 के घोषणापत्र में टर्नअराउंड शब्द है।
आपने शिक्षा और स्वास्थ्य में चमत्कारिक बदलाव का वादा किया। उस समय की आपकी पार्टनर बीजेपी का भी यही वादा था।
नीतीश जी, इस पत्र के माध्यम से मैं फ़िलहाल सिर्फ शिक्षा की बात करना चाहता हूँ।
नीतीश जी, 2005 में आपके पहली बार मुख्यमंत्री बनते समय जो बच्चे पहली कक्षा में गए थे, उन्होंने इस साल 12वीं यानी इंटर की परीक्षा दी थी। दो साल बाद 2007 में जिन्होंने पहली कक्षा में दाख़िला लिया था, उन्होंने इस साल दसवीं की परीक्षा दी।
उनका 2017 का रिज़ल्ट आपके सामने है।
– दसवीं में 50% बच्चे फ़ेल हो गए।
– 12 वीं में 65% बच्चे फ़ेल हो गए।
– 237 स्कूल तो ऐसे रहे, जिनसे एक भी बच्चा पास नहीं हुआ।
यह बच्चों का नहीं, आपके कामकाज का रिज़ल्ट है।
नीतीश जी, आप 12 साल से बिहार के अभिभावक हैं। आपके 65% बच्चे क्यों फ़ेल हो गए? पूरे देश में कहीं इतने बच्चे फेल नहीं होते।
बिहार में वैसे भी ड्रॉपआउट सबसे ज़्यादा है। पहली में दाख़िला लेने वालों में चुनींदा बच्चे ही 12वीं तक पहुँचते हैं। उनमें भी मुश्किल से 35% पास हो पाए। साइंस में तो 70% फेल हो गए।
अगर मान भी लें कि 2005 तक लालू जी ने सब बर्बाद कर दिया था, तो आप के सीएम बनने के बाद जिस बच्चे ने पहली में दाख़िला लिया उसके बारह साल का ज़िम्मा किसका है? ये बारह साल तो आप के हैं।
12 साल आपका निरंकुश शासन रहा है। शिक्षा विभाग RJD से दूर रहा। आपने जिसे चाहा, वह मंत्री और अफ़सर बना। बोर्ड का चेयरमैन बना। आपने शिक्षा का बजट तय किया।
आप 12 साल में कुछ नहीं कर पाए? आपको किसने रोका? 12 साल कम नहीं होते।
मनीष सिसोदिया मेरे दोस्त हैं। हम साथ काम कर चुके हैं। उनसे सीखिए कि दो साल में शिक्षा की तस्वीर कैसे बदली जाती है। उन्होंने मुझे बताया कि यह बहुत मुश्किल नहीं है। दिल्ली में देखिए। यहाँ कम से कम एक ईमानदार कोशिश तो हो रही है।
लेकिन आप यह चाहते ही नहीं हैं।
बिहार में आज़ादी के बाद का सबसे बुरा रिज़ल्ट आपने दिया।
आपने दरअसल बिहार की शिक्षा को बर्बाद कर दिया है। यह 1990 और 2005 की तुलना में बहुत बुरे हाल में है।
दलितों और पिछड़ों के ही ज़्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों में जाते हैं। आपने वहीं शिक्षा का और शिक्षकों का स्तर गिरा दिया।
नीतीश कुमार, आप बिहार के बच्चों के गुनहगार हैं। अपराधी हैं।
आपको माफ़ी माँगनी चाहिए।
एक भारतीय नागरिक
Courtesy: National Dastak
आपने शिक्षा और स्वास्थ्य में चमत्कारिक बदलाव का वादा किया। उस समय की आपकी पार्टनर बीजेपी का भी यही वादा था।
नीतीश जी, 2005 में आपके पहली बार मुख्यमंत्री बनते समय जो बच्चे पहली कक्षा में गए थे, उन्होंने इस साल 12वीं यानी इंटर की परीक्षा दी थी। दो साल बाद 2007 में जिन्होंने पहली कक्षा में दाख़िला लिया था, उन्होंने इस साल दसवीं की परीक्षा दी।
– दसवीं में 50% बच्चे फ़ेल हो गए।
– 12 वीं में 65% बच्चे फ़ेल हो गए।
– 237 स्कूल तो ऐसे रहे, जिनसे एक भी बच्चा पास नहीं हुआ।
यह बच्चों का नहीं, आपके कामकाज का रिज़ल्ट है।
नीतीश जी, आप 12 साल से बिहार के अभिभावक हैं। आपके 65% बच्चे क्यों फ़ेल हो गए? पूरे देश में कहीं इतने बच्चे फेल नहीं होते।
बिहार में वैसे भी ड्रॉपआउट सबसे ज़्यादा है। पहली में दाख़िला लेने वालों में चुनींदा बच्चे ही 12वीं तक पहुँचते हैं। उनमें भी मुश्किल से 35% पास हो पाए। साइंस में तो 70% फेल हो गए।
अगर मान भी लें कि 2005 तक लालू जी ने सब बर्बाद कर दिया था, तो आप के सीएम बनने के बाद जिस बच्चे ने पहली में दाख़िला लिया उसके बारह साल का ज़िम्मा किसका है? ये बारह साल तो आप के हैं।
12 साल आपका निरंकुश शासन रहा है। शिक्षा विभाग RJD से दूर रहा। आपने जिसे चाहा, वह मंत्री और अफ़सर बना। बोर्ड का चेयरमैन बना। आपने शिक्षा का बजट तय किया।
आप 12 साल में कुछ नहीं कर पाए? आपको किसने रोका? 12 साल कम नहीं होते।
मनीष सिसोदिया मेरे दोस्त हैं। हम साथ काम कर चुके हैं। उनसे सीखिए कि दो साल में शिक्षा की तस्वीर कैसे बदली जाती है। उन्होंने मुझे बताया कि यह बहुत मुश्किल नहीं है। दिल्ली में देखिए। यहाँ कम से कम एक ईमानदार कोशिश तो हो रही है।
लेकिन आप यह चाहते ही नहीं हैं।
बिहार में आज़ादी के बाद का सबसे बुरा रिज़ल्ट आपने दिया।
आपने दरअसल बिहार की शिक्षा को बर्बाद कर दिया है। यह 1990 और 2005 की तुलना में बहुत बुरे हाल में है।
दलितों और पिछड़ों के ही ज़्यादातर बच्चे सरकारी स्कूलों में जाते हैं। आपने वहीं शिक्षा का और शिक्षकों का स्तर गिरा दिया।
नीतीश कुमार, आप बिहार के बच्चों के गुनहगार हैं। अपराधी हैं।
आपको माफ़ी माँगनी चाहिए।
Courtesy: National Dastak