बलात्कार संकट प्रकोष्ठ बंद होने की कगार पर

Written by महेंद्र नारायण सिंह यादव | Published on: October 31, 2016
दिल्ली में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के बीच दिल्ली महिला आयोग का बलात्कार संकट प्रकोष्ठ बंद होने की कगार पर आ गया है। दिल्ली महिला आयोग ने कहा है कि महिला निकाय को अपने मोबाइल हेल्पलाइन और बलात्कार संकट प्रकोष्ठ को बंद करने पर विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है क्योंकि कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।

Swati Maliwal
Image: Indian Express

आयोग का आरोप है कि उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त् आयोग की सदस्य सचिव अलका दीवान ने कर्मचारियों का वेतन जारी करना बंद कर दिया है।

आयोग ने अपने एक बयान में कहा है कि आयोग के पिछले एक साल में किए गए कार्यों के बावजूद, खास निहित स्वार्थों ने पैनल की स्वायत्ता पर हमले की शुरूआत कर दी है। इसमें ताजा घटनाक्रम केंद्र द्वारा सदस्य सचिव की अवैध नियुक्ति है। बयान में कहा गया है कि आयोग में अक्टूबर में नियुक्त अलका दीवान ने ठेके पर कार्यरत सभी कर्मचारियों का वेतन पिछले दो महीनों से रोक दिया है। वेतन का भुगतान नहीं किए जाने के नतीजतन महिला हेल्पलाइन 181, बलात्कार संकट प्रकोष्ठ, मोबाइल हेल्पलाइन सहित आयोग के अन्य कार्यक्रम बंद हो जाएँगे।

इसमें कहा गया है कि ये कर्मचारी काफी संवेदनशील पृष्ठभूमि से आते हैं और वे बिना वेतन लंबे समय तक काम नहीं कर सकते।

आयोग के अधिकारियों ने आगे यह भी आरोप लगाया कि इस पद पर दीवान की नियुक्ति अवैध है।

आयोग के बयान में कहा गया है कि आयोग में दीवान की नियुक्ति पूरी तरह से अवैध है क्योंकि इसके लिए सरकार की ओर से कोई मंजूरी नहीं मिली और एक कार्यालय आदेश के जरिए ही नियुक्ति कर दी गयी। वे अभी सरकारी अधिकारी हैं और
वैट आयुक्त पद पर कार्यरत हैं तथा उन्हें आयोग में सदस्य सचिव का अतिरिक्त पद दिया गया है।

आयोग ने कहा है कि यह दिल्ली महिला आयोग कानून का उल्लंघन है जिसमें पूर्णकालिक सदस्य सचिव की बात की गयी है।

Source: PTI

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