झारखंड में ई-केवाईसी की प्रक्रिया के कारण लाखों राशनकार्ड धारकों को खाद्य सुरक्षा से वंचित होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति से राज्य में भूख और कुपोषण की समस्या और गंभीर हो सकती है।

झारखंड में ई-केवाईसी प्रक्रिया के कारण लाखों राशन कार्डधारक सुविधा पाने से वंचित रह गए हैं। तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं के कारण इन लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है। इससे राज्य में गंभीर कुपोषण की समस्या और बढ़ सकती है और भूख का खतरा बढ़ने की संभावना है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, लातेहार जिले के मनिका प्रखंड स्थित बिचलीदाग गांव में रहने वाले 55 वर्षीय सतेंद्र सिंह के 15 वर्षीय बेटे विनीत का राशन कार्ड अब तक ई-केवाईसी से नहीं जुड़ पाया है। प्रखंड कार्यालय का कहना है कि ई-केवाईसी से पहले आधार अपडेट कराना अनिवार्य है और इसके लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाना जरूरी है। सतेंद्र कई बार कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन न तो आधार अपडेट हो पाया है और न ही ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी हुई है।
सतेंद्र सिंह बताते हैं, ‘पता नहीं ‘आधार अपटूडेट’ का क्या मतलब होता है।’
क्यों जरूरी है ई-केवाईसी?
जन वितरण प्रणाली में ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिकली नो योर कस्टमर) एक आधार-आधारित पहचान सत्यापन प्रक्रिया है। यह सत्यापन ई-पॉस मशीन पर बायोमेट्रिक तरीके से या ‘मेरा ई-केवाईसी’ ऐप के जरिए चेहरे की पहचान (फेस ऑथेंटिकेशन) से किया जाता है। इसका उद्देश्य डुप्लीकेट और अयोग्य राशन कार्डों को हटाना और वास्तविक जरूरतमंद नागरिकों को इस प्रणाली में शामिल करना है।
केंद्र सरकार ने ई-केवाईसी को सभी राशनकार्ड धारकों के लिए अनिवार्य कर दिया है और इसकी अंतिम तिथि 30 जून 2025 निर्धारित की है। तय समय सीमा के बाद जिन राशन कार्डों में ई-केवाईसी पूरी नहीं होगी, उनके लिए सब्सिडी रोकने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
ज्ञात हो कि 5 अगस्त 2025 तक झारखंड में 72.9 लाख राशनकार्ड धारकों की ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी। इनमें से 14.6 लाख लोगों के आधार नंबर राशन कार्ड से लिंक ही नहीं हैं, जिसके कारण ये लाभार्थी ई-केवाईसी प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सके और स्वतः ही इससे बाहर हो गए।
नवंबर 2024 से जून 2025 के बीच चली ई-केवाईसी प्रक्रिया में कई तकनीकी अड़चनें सामने आईं। इनमें 2जी मशीनों का इस्तेमाल, नेटवर्क की कमी, सर्वर का बार-बार ठप होना, धीमा इंटरनेट, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का विफल होना, आधार में मोबाइल नंबर न जुड़ा होना और राशन कार्ड में गलत आधार सीडिंग जैसी समस्याएं प्रमुख रहीं। इन कारणों से बड़ी संख्या में लाभार्थी समय पर ई-केवाईसी नहीं करवा सके।
दिसंबर 2024 में खाद्य आपूर्ति विभाग के प्रभारी सचिव उमाशंकर सिंह ने एक पत्र जारी कर यह स्वीकार किया था कि सर्वर पर अत्यधिक लोड होने के कारण न तो राशन का वितरण ठीक से हो पा रहा था और न ही ई-केवाईसी की प्रक्रिया सुचारु रूप से चल रही थी।
इन तमाम तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं के कारण राशन कार्डधारकों को अक्सर जन वितरण प्रणाली की दुकानों, प्रखंड कार्यालयों, आधार केंद्रों और प्रज्ञा केंद्रों के कई चक्कर लगाने पड़े। स्थिति उन लोगों के लिए और भी कठिन हो गई जो प्रवासी मजदूर हैं, बुजुर्ग हैं या गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं -ई-केवाईसी की जटिल प्रक्रिया उनके लिए लगभग पहुंच से बाहर रही।
मई 2025 तक मनिका प्रखंड के 1120 आदिम जनजाति समुदाय के राशन कार्डधारकों में से 797, यानी लगभग 71% लाभार्थियों का ई-केवाईसी पूरा नहीं हो पाया था। इसके अलावा, कुल आदिम जनजाति कार्डधारकों में से 21% के आधार नंबर राशन कार्ड से जुड़े ही नहीं थे।
मनिका प्रखंड के उचवाबाल गांव में अधिकांश आदिम जनजाति परिवारों के राशन कार्डों पर केवल एक ही सदस्य का ई-केवाईसी किया गया था। इन परिवारों को अधिकारियों की ओर से यह बताया गया कि राशन कार्ड में सिर्फ एक सदस्य का ई-केवाईसी ही पर्याप्त है।
सरकारी निर्देश व समस्याएं
केंद्र सरकार ने बायोमेट्रिक विफलता का सामना कर रहे लोगों की पहचान करने, अनुपस्थित लाभार्थियों को ट्रैक करने और ई-केवाईसी न होने के कारणों को दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद झारखंड सरकार ने राशन डीलरों से इन कारणों को दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें एक समान फॉर्मेट उपलब्ध नहीं कराया गया। परिणामस्वरूप, कारण अलग-अलग तरीकों से लिखे गए और इन आंकड़ों की डिजिटल प्रविष्टि भी नहीं हो सकी।
अब तक राज्य सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि ई-केवाईसी न होने पर कार्डधारकों का क्या होगा।
रद्द करने की घोषणा, पारदर्शिता पर सवाल
पश्चिमी सिंहभूम जिले में छह माह से राशन न लेने और ई-केवाईसी न कराने वाले राशन कार्डधारकों के कार्ड रद्द करने की घोषणा की गई है। केंद्र सरकार ने 41 लाख अयोग्य कार्डधारकों-जिनमें मृतक, डुप्लीकेट कार्डधारक और 2.4 एकड़ से अधिक भूमि वाले व्यक्ति शामिल हैं-की सूची राज्य सरकार को भेजी है। झारखंड में 4 अगस्त तक लगभग 2.5 लाख कार्ड रद्द भी किए जा चुके हैं, लेकिन इस प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर अभी भी सवाल बने हुए हैं।
मनिका प्रखंड के कोपे गांव में हुई जांच में यह पाया गया कि पंचायत प्रतिनिधियों को राशन कार्ड रद्दीकरण की कोई जानकारी या नोटिस नहीं दी गई थी। यह कार्रवाई ‘झारखंड जन वितरण प्रणाली (नियंत्रक), 2024’ के नियमों के खिलाफ है।
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झारखंड में ई-केवाईसी प्रक्रिया के कारण लाखों राशन कार्डधारक सुविधा पाने से वंचित रह गए हैं। तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं के कारण इन लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है। इससे राज्य में गंभीर कुपोषण की समस्या और बढ़ सकती है और भूख का खतरा बढ़ने की संभावना है।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, लातेहार जिले के मनिका प्रखंड स्थित बिचलीदाग गांव में रहने वाले 55 वर्षीय सतेंद्र सिंह के 15 वर्षीय बेटे विनीत का राशन कार्ड अब तक ई-केवाईसी से नहीं जुड़ पाया है। प्रखंड कार्यालय का कहना है कि ई-केवाईसी से पहले आधार अपडेट कराना अनिवार्य है और इसके लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाना जरूरी है। सतेंद्र कई बार कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन न तो आधार अपडेट हो पाया है और न ही ई-केवाईसी की प्रक्रिया पूरी हुई है।
सतेंद्र सिंह बताते हैं, ‘पता नहीं ‘आधार अपटूडेट’ का क्या मतलब होता है।’
क्यों जरूरी है ई-केवाईसी?
जन वितरण प्रणाली में ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिकली नो योर कस्टमर) एक आधार-आधारित पहचान सत्यापन प्रक्रिया है। यह सत्यापन ई-पॉस मशीन पर बायोमेट्रिक तरीके से या ‘मेरा ई-केवाईसी’ ऐप के जरिए चेहरे की पहचान (फेस ऑथेंटिकेशन) से किया जाता है। इसका उद्देश्य डुप्लीकेट और अयोग्य राशन कार्डों को हटाना और वास्तविक जरूरतमंद नागरिकों को इस प्रणाली में शामिल करना है।
केंद्र सरकार ने ई-केवाईसी को सभी राशनकार्ड धारकों के लिए अनिवार्य कर दिया है और इसकी अंतिम तिथि 30 जून 2025 निर्धारित की है। तय समय सीमा के बाद जिन राशन कार्डों में ई-केवाईसी पूरी नहीं होगी, उनके लिए सब्सिडी रोकने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
ज्ञात हो कि 5 अगस्त 2025 तक झारखंड में 72.9 लाख राशनकार्ड धारकों की ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी। इनमें से 14.6 लाख लोगों के आधार नंबर राशन कार्ड से लिंक ही नहीं हैं, जिसके कारण ये लाभार्थी ई-केवाईसी प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सके और स्वतः ही इससे बाहर हो गए।
नवंबर 2024 से जून 2025 के बीच चली ई-केवाईसी प्रक्रिया में कई तकनीकी अड़चनें सामने आईं। इनमें 2जी मशीनों का इस्तेमाल, नेटवर्क की कमी, सर्वर का बार-बार ठप होना, धीमा इंटरनेट, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण का विफल होना, आधार में मोबाइल नंबर न जुड़ा होना और राशन कार्ड में गलत आधार सीडिंग जैसी समस्याएं प्रमुख रहीं। इन कारणों से बड़ी संख्या में लाभार्थी समय पर ई-केवाईसी नहीं करवा सके।
दिसंबर 2024 में खाद्य आपूर्ति विभाग के प्रभारी सचिव उमाशंकर सिंह ने एक पत्र जारी कर यह स्वीकार किया था कि सर्वर पर अत्यधिक लोड होने के कारण न तो राशन का वितरण ठीक से हो पा रहा था और न ही ई-केवाईसी की प्रक्रिया सुचारु रूप से चल रही थी।
इन तमाम तकनीकी और प्रशासनिक समस्याओं के कारण राशन कार्डधारकों को अक्सर जन वितरण प्रणाली की दुकानों, प्रखंड कार्यालयों, आधार केंद्रों और प्रज्ञा केंद्रों के कई चक्कर लगाने पड़े। स्थिति उन लोगों के लिए और भी कठिन हो गई जो प्रवासी मजदूर हैं, बुजुर्ग हैं या गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं -ई-केवाईसी की जटिल प्रक्रिया उनके लिए लगभग पहुंच से बाहर रही।
मई 2025 तक मनिका प्रखंड के 1120 आदिम जनजाति समुदाय के राशन कार्डधारकों में से 797, यानी लगभग 71% लाभार्थियों का ई-केवाईसी पूरा नहीं हो पाया था। इसके अलावा, कुल आदिम जनजाति कार्डधारकों में से 21% के आधार नंबर राशन कार्ड से जुड़े ही नहीं थे।
मनिका प्रखंड के उचवाबाल गांव में अधिकांश आदिम जनजाति परिवारों के राशन कार्डों पर केवल एक ही सदस्य का ई-केवाईसी किया गया था। इन परिवारों को अधिकारियों की ओर से यह बताया गया कि राशन कार्ड में सिर्फ एक सदस्य का ई-केवाईसी ही पर्याप्त है।
सरकारी निर्देश व समस्याएं
केंद्र सरकार ने बायोमेट्रिक विफलता का सामना कर रहे लोगों की पहचान करने, अनुपस्थित लाभार्थियों को ट्रैक करने और ई-केवाईसी न होने के कारणों को दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद झारखंड सरकार ने राशन डीलरों से इन कारणों को दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें एक समान फॉर्मेट उपलब्ध नहीं कराया गया। परिणामस्वरूप, कारण अलग-अलग तरीकों से लिखे गए और इन आंकड़ों की डिजिटल प्रविष्टि भी नहीं हो सकी।
अब तक राज्य सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि ई-केवाईसी न होने पर कार्डधारकों का क्या होगा।
रद्द करने की घोषणा, पारदर्शिता पर सवाल
पश्चिमी सिंहभूम जिले में छह माह से राशन न लेने और ई-केवाईसी न कराने वाले राशन कार्डधारकों के कार्ड रद्द करने की घोषणा की गई है। केंद्र सरकार ने 41 लाख अयोग्य कार्डधारकों-जिनमें मृतक, डुप्लीकेट कार्डधारक और 2.4 एकड़ से अधिक भूमि वाले व्यक्ति शामिल हैं-की सूची राज्य सरकार को भेजी है। झारखंड में 4 अगस्त तक लगभग 2.5 लाख कार्ड रद्द भी किए जा चुके हैं, लेकिन इस प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर अभी भी सवाल बने हुए हैं।
मनिका प्रखंड के कोपे गांव में हुई जांच में यह पाया गया कि पंचायत प्रतिनिधियों को राशन कार्ड रद्दीकरण की कोई जानकारी या नोटिस नहीं दी गई थी। यह कार्रवाई ‘झारखंड जन वितरण प्रणाली (नियंत्रक), 2024’ के नियमों के खिलाफ है।
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