राजस्थान: मंदिर प्रवेश पर विवाद को लेकर दलित युवकों से मारपीट का आरोप

Written by sabrang india | Published on: September 23, 2025
सरदारशहर के साडासर गांव में जातिगत भेदभाव का मामला सामने आया है जहां भागवत कथा के बाद दर्शन को पहुंचे युवकों से मारपीट की गई। वीडियो वायरल होने पर FIR दर्ज किया गया।



राजस्थान के चारू जिले की सरदारशहर तहसील में स्थित सादासर गांव के मंदिर में प्रवेश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बताया जा रहा है कि दलित समुदाय के कुछ युवाओं को मंदिर में प्रवेश से न केवल रोका गया बल्कि उनके साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए मारपीट भी की गई। इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद इलाके में तनाव फैल गया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, घटना उस समय हुई जब गांव में आयोजित एक भागवत कथा के समापन पर शोभायात्रा निकाली जा रही थी। शोभायात्रा के बाद, 19 वर्षीय कानाराम मेघवाल अपने दोस्त संदीप, मुकेश, विष्णु और कालूराम के साथ गांव के ठाकुरजी मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। पीड़ित कानाराम द्वारा दर्ज कराई गई FIR के अनुसार, मंदिर परिसर में पहले से मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें जाति का हवाला देकर रोक लिया।

शिकायत के अनुसार, जब दलित समुदाय के युवकों ने मंदिर में प्रवेश से रोके जाने और भेदभाव का विरोध किया, तो आरोपियों - सुरजदास स्वामी, शंकरलाल, हिम्मत कुमार और अनिल - ने उनके साथ गाली-गलौज शुरू कर दी। देखते ही देखते विवाद इतना बढ़ गया कि आरोपियों ने कथित रूप से युवकों के साथ थप्पड़ और मुक्कों से मारपीट की। पीड़ित कानाराम का आरोप है कि शंकरलाल ने उनके हाथ पर डंडे से वार किया, जिससे वह घायल होकर गिर पड़े। दर्ज एफआईआर में यह भी उल्लेख किया गया है कि आरोपी भीड़ के सामने चिल्ला-चिल्लाकर धमकी दे रहे थे कि "किसी भी दलित को मंदिर में घुसने नहीं दिया जाएगा।"

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। पीड़ित की शिकायत के आधार पर भानीपुरा थाने में संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। इस घटना को लेकर दलित समुदाय में गहरा आक्रोश फैल गया और बड़ी संख्या में लोगों ने थाने के बाहर प्रदर्शन कर आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की। हालात को देखते हुए गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। पुलिस अधिकारियों ने मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

दलित समाज के लोगों के मंदिरों में प्रवेश को रोकने का मामले देश के कई हिस्सों में सामने आया है। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के आसींद थाना क्षेत्र के बराणा गांव में पिछले महीने खाखुलदेव मंदिर में एक दलित पुजारी और उसके परिवार पर कुछ जातिवादी लोगों द्वारा सामूहिक हमला करने का मामला सामने आया। यह घटना केवल साधारण मारपीट नहीं थी, बल्कि इसे उस दलित परिवार से अधिकार छीनने की एक सुनियोजित और संगठित साजिश माना जा रहा है, जो पिछले चार पीढ़ियों से इस 400 साल पुराने मंदिर का अधिकार और प्रबंधन संभाल रहा था।

इन निष्कर्षों को एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में पेश किया है। इस टीम ने घटनास्थल का दौरा कर पीड़ित परिवार, स्थानीय लोगों और संबंधित अधिकारियों से बातचीत की। यह रिपोर्ट 22 अगस्त 2025 को गठित फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच पर आधारित है, जिसे दलित आदिवासी एवं घुमंतू अधिकार अभियान राजस्थान, पीपल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़ (PUCL), अंबेडकर वेलफेयर सोसाइटी और अन्य मानवाधिकार संगठनों ने मिलकर तैयार किया। इस दल का प्रमुख उद्देश्य था कि 14 अगस्त को दलित पुजारी विष्णु मेघवंशी और उनके परिवार पर हुए सुनियोजित हमले की सच्चाई उजागर की जाए, पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाया जाए और राजस्थान में दलित समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा व उनकी आवाज़ को सशक्त बनाया जाए।

इस साल अप्रैल महीने में गुजरात में दलित समाज को मंदिर के समारोह में नहीं आमंत्रित किया गया। यह मामला 28 से 30 अप्रैल के बीच पालड़ी गांव में आयोजित दूधेश्वर महादेव मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से जुड़ा था। एफआईआर के अनुसार, समारोह में गांव और आसपास के सभी समुदायों को आमंत्रित किया गया था, लेकिन अनुसूचित जाति के सदस्यों को जानबूझकर आमंत्रित नहीं किया गया। शिकायतकर्ता गांव के 55 वर्षीय सरपंच अनुसूचित जाति के थे।

एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आयोजकों ने न केवल अनुसूचित जाति के लोगों को समारोह में आमंत्रित नहीं किया, बल्कि उनके सहयोग और योगदान को भी अस्वीकार कर दिया। शिकायत में इसे एक सुनियोजित साजिश बताया गया है, जिसका उद्देश्य अनुसूचित जाति के सदस्यों को अपमानित करना और सामाजिक रूप से अलग-थलग करना था। आरोप था कि उनके साथ छुआछूत जैसा व्यवहार किया गया।

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