उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ ने शपथ ले ली है। योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को भव्य समारोह में लगातार दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ 2 डेप्युटी सीएम समेत 52 मंत्रियों ने शपथ ली। सिराथू से हार के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य इस बार भी डेप्युटी सीएम बने हैं लेकिन दिनेश शर्मा का पत्ता कट गया है। उनकी जगह पर एक और ब्राह्मण चेहरे ब्रजेश पाठक को डेप्युटी सीएम बनाया गया है।

योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में इस बार भी जातिगत समीकरण का खासा ध्यान रखा गया है। सबसे ज्यादा 8 ब्राह्मण और इतने ही दलित समाज से आने वाले लोगों को मंत्री बनाया गया है। यह भी खास है कि विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं देने वाली भाजपा ने एक मुस्लिम चेहरे को मंत्री बनाया है।
योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में पिछली बार की तरह ही इस बार 2 डेप्युटी सीएम बनाए गए हैं। दोनों उप मुख्यमंत्रियों के अलावा 16 कैबिनेट मंत्री, 14 स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री और 20 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली।
मुस्लिम, सिख और कायस्थ समाज से 1-1 मंत्री
योगी के मंत्रीमंडल में कायस्थ, मुस्लिम और सिख समुदाय से एक-एक मंत्री शामिल हैं। पिछली बार इकलौते मुस्लिम मंत्री रहे मोहसिन रजा का पत्ता कटा है तो उनकी जगह बलिया के तेजतर्रार युवा नेता दानिश आजाद अंसारी राज्यमंत्री बनाए गए हैं। इस बार सिद्धार्थनाथ सिंह का पत्ता कटा है लेकिन अरुण कुमार सक्सेना के रूप में कायस्थ चेहरे की एंट्री हुई है।
कौन हैं दानिश आजाद अंसारी
बलिया के रहने वाले 34 वर्षीय दानिश आजाद अंसारी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश महामंत्री हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी से छात्र नेता के रूप में राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले आजाद भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कई पदों पर रह चुके हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी से 2009 में बीकॉम करने वाले दानिश ने टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट से पीजी किया है। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से भी मास्टर डिग्री ले चुके हैं।
आजाद ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय में भाजपा के प्रति विश्वास जगाने के लिए काफी मेहनत की थी। वह लगातार मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस बात का विश्वास दिलाने की कोशिश में जुटे रहे कि उनका विकास भाजपा सरकार ही कर सकती है। दानिश आजाद को सीएम योगी का भी करीबी माना जाता है। वह यूपी सरकार के फखरुद्दीन अली मेमोरियल समिति के सदस्य भी रहे हैं। इसके अलावा राज्य भाषा समिति के भी सदस्य हैं।
योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में 5 जाट, 2 यादव और 2 भूमिहार समाज के मंत्री हैं। यूपी में बीजेपी के कुल 46 ब्राह्मण विधायक है। मंत्रिपरिषद में इस समाज को 8 पद मिला है। इसी तरह बीजेपी के 43 विधायक राजपूत हैं और इस समाज के 6 नेताओं को मंत्री पद मिला है। एससी और एसटी समाज से बीजेपी के पास 65 विधायक हैं। इस समाज के 8 नेता योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में शामिल हैं।
सपा गठबंधन से विधानसभा पहुंचे हैं 36 मुस्लिम विधायक
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ 273 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इसके अलावा मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी को 111 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। इन चुनावों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की बात की जाए तो इस बार 36 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, ये सभी सपा गठबंधन से चुने गए हैं।
18 से 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स और 403 विधानसभा सीट वाले राज्य में 36 मुस्लिम वोटर्स का चुना जाना बहुत ज्यादा नहीं है। 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले राज्य के कुल 403 विधायकों में नवनिर्वाचित विधायक 8.93 प्रतिशत हैं। हालांकि यह संख्या 2017 से ज्यादा है क्योंकि पिछली बार 24 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 64 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। वहीं बसपा ने 88 और कांग्रेस ने 75 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था। वहीं, एआईएमआईएम ने 60 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक को भी जीत नहीं मिली। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने में माहिर भारतीय जनता पार्टी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था। हालांकि, एनडीए के सहयोगी अपना दल (सोनेवाल) ने एक मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगाया था जिसे हार का सामना करना पड़ा।
बीजेपी नेताओं की तरफ से हुई थीं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें
यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी नेताओं ने मुस्लिमों के खिलाफ जमकर जहर उगला था। इनमें टी. राजा से लेकर राघवेंद्र प्रताप सिंह का नाम आता है। इसके साथ ही यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव को 80 बनाम 20 करार दिया था। हमारे सहयोगी संगठन सीजेपी ने बीजेपी नेताओं की हेट स्पीच को सूचीबद्ध कर आयोग को अवगत कराया था।
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योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में पिछली बार की तरह ही इस बार 2 डेप्युटी सीएम बनाए गए हैं। दोनों उप मुख्यमंत्रियों के अलावा 16 कैबिनेट मंत्री, 14 स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री और 20 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली।
मुस्लिम, सिख और कायस्थ समाज से 1-1 मंत्री
योगी के मंत्रीमंडल में कायस्थ, मुस्लिम और सिख समुदाय से एक-एक मंत्री शामिल हैं। पिछली बार इकलौते मुस्लिम मंत्री रहे मोहसिन रजा का पत्ता कटा है तो उनकी जगह बलिया के तेजतर्रार युवा नेता दानिश आजाद अंसारी राज्यमंत्री बनाए गए हैं। इस बार सिद्धार्थनाथ सिंह का पत्ता कटा है लेकिन अरुण कुमार सक्सेना के रूप में कायस्थ चेहरे की एंट्री हुई है।
कौन हैं दानिश आजाद अंसारी
बलिया के रहने वाले 34 वर्षीय दानिश आजाद अंसारी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेश महामंत्री हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी से छात्र नेता के रूप में राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले आजाद भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कई पदों पर रह चुके हैं। लखनऊ यूनिवर्सिटी से 2009 में बीकॉम करने वाले दानिश ने टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट से पीजी किया है। पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से भी मास्टर डिग्री ले चुके हैं।
आजाद ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय में भाजपा के प्रति विश्वास जगाने के लिए काफी मेहनत की थी। वह लगातार मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस बात का विश्वास दिलाने की कोशिश में जुटे रहे कि उनका विकास भाजपा सरकार ही कर सकती है। दानिश आजाद को सीएम योगी का भी करीबी माना जाता है। वह यूपी सरकार के फखरुद्दीन अली मेमोरियल समिति के सदस्य भी रहे हैं। इसके अलावा राज्य भाषा समिति के भी सदस्य हैं।
योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में 5 जाट, 2 यादव और 2 भूमिहार समाज के मंत्री हैं। यूपी में बीजेपी के कुल 46 ब्राह्मण विधायक है। मंत्रिपरिषद में इस समाज को 8 पद मिला है। इसी तरह बीजेपी के 43 विधायक राजपूत हैं और इस समाज के 6 नेताओं को मंत्री पद मिला है। एससी और एसटी समाज से बीजेपी के पास 65 विधायक हैं। इस समाज के 8 नेता योगी 2.0 मंत्रिपरिषद में शामिल हैं।
सपा गठबंधन से विधानसभा पहुंचे हैं 36 मुस्लिम विधायक
बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ 273 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इसके अलावा मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी को 111 सीटों पर विजय प्राप्त हुई है। इन चुनावों में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की बात की जाए तो इस बार 36 मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, ये सभी सपा गठबंधन से चुने गए हैं।
18 से 20 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स और 403 विधानसभा सीट वाले राज्य में 36 मुस्लिम वोटर्स का चुना जाना बहुत ज्यादा नहीं है। 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले राज्य के कुल 403 विधायकों में नवनिर्वाचित विधायक 8.93 प्रतिशत हैं। हालांकि यह संख्या 2017 से ज्यादा है क्योंकि पिछली बार 24 मुस्लिम विधायक विधानसभा पहुंचे थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 64 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। वहीं बसपा ने 88 और कांग्रेस ने 75 मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया था। वहीं, एआईएमआईएम ने 60 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन एक को भी जीत नहीं मिली। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने में माहिर भारतीय जनता पार्टी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था। हालांकि, एनडीए के सहयोगी अपना दल (सोनेवाल) ने एक मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगाया था जिसे हार का सामना करना पड़ा।
बीजेपी नेताओं की तरफ से हुई थीं सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिशें
यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी नेताओं ने मुस्लिमों के खिलाफ जमकर जहर उगला था। इनमें टी. राजा से लेकर राघवेंद्र प्रताप सिंह का नाम आता है। इसके साथ ही यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव को 80 बनाम 20 करार दिया था। हमारे सहयोगी संगठन सीजेपी ने बीजेपी नेताओं की हेट स्पीच को सूचीबद्ध कर आयोग को अवगत कराया था।
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