भारत बेरोजगारी के लम्बे दौर से गुजर रहा है लगभग सभी क्षेत्रों में रोजगार की कटौती की गयी है. देश के युवाओं को उसकी योग्यता के अनुसार रोजगार नहीं मिल रहे हैं. सार्वजानिक क्षेत्रों के रोजगार सृजन की व्यवस्था का निजीकरण किया जा रहा है. हालांकि कोरोना महामारी ने कई क्षेत्रों में रोजगार में कटौती की है, लेकिन कई क्षेत्रों में नए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की उम्मीद है.
लॉकडाउन के दौरान नकद लेनदेन की सीमाएं थीं. लोगों के पास ऑनलाइन बिक्री और खरीदारी चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. कर्मचारियों और नियोक्ताओं के सामने वर्क फ्रॉम होम ही एकमात्र रास्ता था. आवश्यकता आदत बन गई है. लॉकडाउन के बाद भी लोग ऑनलाइन लेन-देन और कारोबार का चलन जारी रखे हुए हैं. यह व्यवसाय प्रबंधन में जीवनशैली और नया मंत्र बन गया है. नियोक्ता और कर्मचारी दोनों ने इसे सहज पाया. इस तरह की संस्कृति नई चुनौतियां भी लेकर आई है. साइबर अपराध में वृद्धि हुई है. अब ऑनलाइन कंपनियों को अपने ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक सुरक्षा की आवश्यकता है. इसलिए साइबर सुरक्षा समय की आवश्यकता बन गई है, पेशेवर भर्ती सेवाओं 'साइबर सुरक्षा के मानक' की रिपोर्ट के अनुसार साइबर सुरक्षा के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है, साइबर सुरक्षा क्षेत्र में करीब 43 फीसदी विशेषज्ञों की कमी है. इन कौशलों में अनुप्रयोग विकास सुरक्षा, क्लाउड सुरक्षा जोखिम प्रबंधन, डेटा प्राथमिकता और सुरक्षा शामिल हैं.
क्या है साइबर सुरक्षा?
आज दुनिया आधुनिक दौर से गुजर रही है जहाँ सूचना और तकनीकि क्रांति ने पुरानी व्यवस्था और तंत्र को बदल कर रख दिया है. आज लोगों की जिदगी से जुड़ी सारी जानकारी इंटरनेट पर मौजूद है जिसे कोई भी हैक करके उसका उपयोग कर सकता है. इस समस्या से बचने के लिए एक प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था की गयी है जिसे साइबर सुरक्षा कहते हैं. साइबर सुरक्षा इंटरनेट से जुड़े सिस्टम जैसे हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और साइबर खतरों से डेटा की रक्षा करते हैं. इस तरीके का उपयोग व्यक्तियों और उद्यमों द्वारा डेटा केंद्रों और अन्य कम्प्यूटरीकृत प्रणालियों तक अनधिकृत पहुंच से बचाने के लिए किया जाता है. साइबर अपराध को रोकने के लिए भी साइबर सुरक्षा का इंतजाम किया गया है.
साल 2025 तक, भारत में 1.5 मिलियन से अधिक पदों की अधूरी रिक्तियां होने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई प्रशांत महाद्वीप में साइबर अपराध में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में 95 प्रतिशत व्यवसायों के लिए साइबर सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती है. इसलिए इस धंधे पर साइबर हमले बढ़ रहे हैं.
इंटरनेट के उपयोग करने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है. भारत में ऐसे साइबर हमलों की दर बहुत बढ़ी है. यह बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से चिंताजनक है. इसलिए इस क्षेत्र में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की काफी मांग है. वहीं, मैन्युफैक्चरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, हॉस्पिटल, आरएंडडी और आईपी आधारित संगठनों की रिपोर्ट है कि इस रोजगार की मांग भी बढ़ रही है. इस साल 74% कंपनियों को साइबर सुरक्षा बढ़ाने की उच्च प्राथमिकता है. साल 2019 में एशियाई महाद्वीप में साइबर सुरक्षा बाजार 30.45 बिलियन डॉलर था और अब 2020 से 2025 तक पांच वर्षों में 18.3 फीसदी है. सीएनबीसीटीवी-18 के अनुसार, अकेले 2021 में, 15,651 भारतीय वेबसाइटों को हैक किया गया है. अब बाजार की प्रतिस्पर्धा में जीवित रहने के लिए साइबर सुरक्षा बड़ी कंपनियों की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है. इसलिए, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अन्य पारंपरिक नौकरियों की तुलना में सर्वोत्तम उचित वेतन पैकेज प्राप्त कर रहे हैं. साइबर सुरक्षा में काम करने के लिए कई क्षेत्र हैं. साइबर सुरक्षा की प्रकृति हैं:
1. मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी
2. आईटी सुरक्षा अभियंता
3. एथिकल हैकर / पेनेट्रेशन टेस्टर
4. अनुपालन और लेखा परीक्षा
5. सुरक्षा सलाहकार
6. फोरेंसिक विश्लेषक / अन्वेषक
7. हादसा विश्लेषक / उत्तरदाता
8. सुरक्षा प्रणाली प्रशासक
साइबर सुरक्षा की जरुरत क्यों पड़ी?
दुनिया भर में इंटरनेट उपयोग करने वालों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. भारत तीसरा सबसे अधिक इंटरनेट उपयोग करने वाला देश है ऐसे में साइबर अपराध का शिकार होने की सम्भावना भारत में बहुत अधिक बढ़ जाती है. डाटा चोरी के अलावा कई प्रकार के साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा की ज़रूरत पड़ती है। जिससे इंटरनेट यूजर के डिवाइस के साथ उसकी सभी प्रकार के जानकारी को सुरक्षित रखा जा सके.
आज इंटरनेट की दुनिया में हर रोज हैकिंग, फ्रॉड, डाटा चोरी जैसी समस्या लगातार आ रही है, ऐसे में साइबर सुरक्षा के द्वारा ही इन सारी समस्याओं से बचने के लिए एक प्रकार का सुरक्षा कवच तैयार किया जाता है, जो इंटरनेट पर होने वाले साइबर अटैक को रोकता है.
भारत में साइबर सुरक्षा पेशेवरों की जरूरत तेजी से बढ़ रही है. एक भारतीय फर्म यह सब अच्छी तरह से समझती है. CIO.com के अनुसार, यह देश प्रति सप्ताह 1,738 साइबर हमलों का सामना कर रहा है. ऐसी रिपोर्टें उपलब्ध हैं जो दुनिया भर में रैंसमवेयर हमलों की संख्या में 93% की वृद्धि का संकेत देती हैं.
साइबर सुरक्षा नौकरियों के लिए आवश्यक शीर्ष कौशल हैं- समस्या-समाधान कौशल, तकनीकी योग्यता, विभिन्न प्लेटफार्मों में सुरक्षा का ज्ञान, विस्तार पर ध्यान, मौलिक कंप्यूटर फोरेंसिक कौशल, सीखने की इच्छा, हैकिंग की समझ.
जिज्ञासु प्रकृति और आईटी क्षेत्र में गहरी दिलचस्पी की वजह से भारत में साइबर अपराध बढ़ रही है क्योंकि संगठन साइबर हमले के प्रति अधिक संवेदनशील होते जा रहे हैं. इसका मुख्य कारण COVID-19 महामारी है. इसने कंपनियों को तीव्र गति से डिजिटल परिवर्तन को अपनाने के लिए प्रेरित किया है. वास्तव में, इंडिया टाइम्स के अनुसार, 2020 में भारत में साइबर हमलों में 300% की वृद्धि हुई, इसलिए जिन युवाओं और कर्मचारियों ने नौकरी खो दी है, उन्हें श्रम बाजार में जीवित रहने के लिए बाजार के रुझानों की दिशा के अनुसार अपने करियर की योजना बनानी चाहिए.
साइबर सुरक्षा के क्या लाभ हैं?
साइबर सुरक्षा प्रथाओं को लागू करने और बनाए रखने के लाभों में शामिल हैं:
साइबर हमले और डेटा उल्लंघनों के खिलाफ व्यावसायिक सुरक्षा.
डेटा और नेटवर्क के लिए सुरक्षा कवच.
अनधिकृत उपयोगकर्ता पहुंच की रोकथाम.
अंतिम उपयोगकर्ताओं और समापन बिंदु उपकरणों के लिए सुरक्षा.
विनियामक अनुपालन.
व्यावसायिक निरंतरता.
डेवलपर्स, भागीदारों, ग्राहकों, हितधारकों और कर्मचारियों के लिए कंपनी की प्रतिष्ठा और विश्वास में बेहतर भरोशा.
भारत में साइबर सुरक्षा कानून
साइबर अपराध एक गैर कानूनी काम है और इसमें कुछ आपराधिक गतिविधियाँ भी शामिल हो सकती है. इनमें डाटा चोरी, धोखाधड़ी, जालसाज़ी, के साथ अन्य कई कार्य भारतीय दंड सहिंता के अंतर्गत आते है. इन गैर कानूनी कार्यों को रोकने के लिए भारत में भी साइबर सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है.
साइबर अपराधों को संज्ञान में लेते हुए भारत में “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000” पारित किया गया. जिसके अंतर्गत साइबर हमलों को निपटाने के प्रबंध किये गये है. “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000” में कई धाराएँ बनायीं गई है जो हैकिंग और साइबर अपराधों से जुड़ी हुई है जैसे 43, 43A, 66, 66, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 70, 72, 72A और 74 आदि.
भारत सरकार द्वारा देश में होने वाले साइबर अपराधों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा की दिशा में कई कदम उठाये गए हैं जो इस प्रकार हैं-
1. “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000” पारित किया गया, जिससे साइबर अपराध कम हो सके.
2. इसके अंतर्गत ये धाराएँ 43, 43A, 66, 66, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 70, 72, 72A और 74 हैं जो हैकिंग और साइबर अपराधों से संबंधित हैं.
3. साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को नोडल एजेंसी बनाया है, इसके साथ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान संगठन को भी नोडल एजेंसी बनी गई है.
4. भारत सरकार द्वारा 2013 में राष्ट्रीय सुरक्षा नीति जारी की गई, इसके तहत राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure protection center-NCIIPC) का भी गठन किया गया है.
5. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In)’ की स्थापना की गई, जो साइबर सुरक्षा के लिए बनाया गया है.
6. भारत सरकार ने Indian Cyber Crime Co-ordination Centre-I4C की स्थापना की है.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्ट-इन (CERT-In) ने सभी सरकारी और निजी एजेंसियों को साइबर सुरक्षा उलंघन की घटनाओं को रिपोर्ट करने के साथ छह घंटे के अन्दर अनिवार्य रूप से सूचित करने के लिए कहा है. CERT-In को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 70B के तहत साइबर सुरक्षा घटनाओं पर जानकारी एकत्र करने, विश्लेषण करने और प्रसारित करने का अधिकार है.
CERT-In (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम-इंडिया) क्या है?
यह एक नोडल एजेंसी है जिसका कार्य हैकिंग और फ़िशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटना है. CERT-In भारतीय साइबर स्पेस को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संगठन है. यह संगठन साइबर घटनाओं पर जानकारी को एकत्र करने, उसका विश्लेषण और प्रसार करता है, साथ ही साइबर सुरक्षा घटनाओं पर अलर्ट भी जारी करता है. CERT-In घटना निवारण और प्रतिक्रिया सेवाओं के साथ-साथ सुरक्षा गुणवत्ता प्रबंधन सेवाएँ भी प्रदान करता है.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि तकनीकि क्रांति के फायदे और नुकसान दोनों ही हैं लेकिन तकनीकी बदलाव अवश्यम्भावी है और उससे पैदा हुए अवसर का उपयोग और चुनौतियों का सामना करना लोगों की नियति है. तकनीकि क्रांति के परिणामस्वरूप सामने आए साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा को सख्त बनाया जा रहा है. आपदा में भी अवसर तलाश करने वाली सरकार को आज जरुरत है साइबर सुरक्षा में पैदा हुए अवसर को युवाओं तक पहुँचाने की समुचित व्यवस्था की जाए.
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क्या है साइबर सुरक्षा?
आज दुनिया आधुनिक दौर से गुजर रही है जहाँ सूचना और तकनीकि क्रांति ने पुरानी व्यवस्था और तंत्र को बदल कर रख दिया है. आज लोगों की जिदगी से जुड़ी सारी जानकारी इंटरनेट पर मौजूद है जिसे कोई भी हैक करके उसका उपयोग कर सकता है. इस समस्या से बचने के लिए एक प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था की गयी है जिसे साइबर सुरक्षा कहते हैं. साइबर सुरक्षा इंटरनेट से जुड़े सिस्टम जैसे हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और साइबर खतरों से डेटा की रक्षा करते हैं. इस तरीके का उपयोग व्यक्तियों और उद्यमों द्वारा डेटा केंद्रों और अन्य कम्प्यूटरीकृत प्रणालियों तक अनधिकृत पहुंच से बचाने के लिए किया जाता है. साइबर अपराध को रोकने के लिए भी साइबर सुरक्षा का इंतजाम किया गया है.
साल 2025 तक, भारत में 1.5 मिलियन से अधिक पदों की अधूरी रिक्तियां होने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई प्रशांत महाद्वीप में साइबर अपराध में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. एशिया प्रशांत क्षेत्र में 95 प्रतिशत व्यवसायों के लिए साइबर सुरक्षा प्रदान नहीं की जाती है. इसलिए इस धंधे पर साइबर हमले बढ़ रहे हैं.
इंटरनेट के उपयोग करने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है. भारत में ऐसे साइबर हमलों की दर बहुत बढ़ी है. यह बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से चिंताजनक है. इसलिए इस क्षेत्र में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की काफी मांग है. वहीं, मैन्युफैक्चरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, हॉस्पिटल, आरएंडडी और आईपी आधारित संगठनों की रिपोर्ट है कि इस रोजगार की मांग भी बढ़ रही है. इस साल 74% कंपनियों को साइबर सुरक्षा बढ़ाने की उच्च प्राथमिकता है. साल 2019 में एशियाई महाद्वीप में साइबर सुरक्षा बाजार 30.45 बिलियन डॉलर था और अब 2020 से 2025 तक पांच वर्षों में 18.3 फीसदी है. सीएनबीसीटीवी-18 के अनुसार, अकेले 2021 में, 15,651 भारतीय वेबसाइटों को हैक किया गया है. अब बाजार की प्रतिस्पर्धा में जीवित रहने के लिए साइबर सुरक्षा बड़ी कंपनियों की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है. इसलिए, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ अन्य पारंपरिक नौकरियों की तुलना में सर्वोत्तम उचित वेतन पैकेज प्राप्त कर रहे हैं. साइबर सुरक्षा में काम करने के लिए कई क्षेत्र हैं. साइबर सुरक्षा की प्रकृति हैं:
1. मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी
2. आईटी सुरक्षा अभियंता
3. एथिकल हैकर / पेनेट्रेशन टेस्टर
4. अनुपालन और लेखा परीक्षा
5. सुरक्षा सलाहकार
6. फोरेंसिक विश्लेषक / अन्वेषक
7. हादसा विश्लेषक / उत्तरदाता
8. सुरक्षा प्रणाली प्रशासक
साइबर सुरक्षा की जरुरत क्यों पड़ी?
दुनिया भर में इंटरनेट उपयोग करने वालों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. भारत तीसरा सबसे अधिक इंटरनेट उपयोग करने वाला देश है ऐसे में साइबर अपराध का शिकार होने की सम्भावना भारत में बहुत अधिक बढ़ जाती है. डाटा चोरी के अलावा कई प्रकार के साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा की ज़रूरत पड़ती है। जिससे इंटरनेट यूजर के डिवाइस के साथ उसकी सभी प्रकार के जानकारी को सुरक्षित रखा जा सके.
आज इंटरनेट की दुनिया में हर रोज हैकिंग, फ्रॉड, डाटा चोरी जैसी समस्या लगातार आ रही है, ऐसे में साइबर सुरक्षा के द्वारा ही इन सारी समस्याओं से बचने के लिए एक प्रकार का सुरक्षा कवच तैयार किया जाता है, जो इंटरनेट पर होने वाले साइबर अटैक को रोकता है.
भारत में साइबर सुरक्षा पेशेवरों की जरूरत तेजी से बढ़ रही है. एक भारतीय फर्म यह सब अच्छी तरह से समझती है. CIO.com के अनुसार, यह देश प्रति सप्ताह 1,738 साइबर हमलों का सामना कर रहा है. ऐसी रिपोर्टें उपलब्ध हैं जो दुनिया भर में रैंसमवेयर हमलों की संख्या में 93% की वृद्धि का संकेत देती हैं.
साइबर सुरक्षा नौकरियों के लिए आवश्यक शीर्ष कौशल हैं- समस्या-समाधान कौशल, तकनीकी योग्यता, विभिन्न प्लेटफार्मों में सुरक्षा का ज्ञान, विस्तार पर ध्यान, मौलिक कंप्यूटर फोरेंसिक कौशल, सीखने की इच्छा, हैकिंग की समझ.
जिज्ञासु प्रकृति और आईटी क्षेत्र में गहरी दिलचस्पी की वजह से भारत में साइबर अपराध बढ़ रही है क्योंकि संगठन साइबर हमले के प्रति अधिक संवेदनशील होते जा रहे हैं. इसका मुख्य कारण COVID-19 महामारी है. इसने कंपनियों को तीव्र गति से डिजिटल परिवर्तन को अपनाने के लिए प्रेरित किया है. वास्तव में, इंडिया टाइम्स के अनुसार, 2020 में भारत में साइबर हमलों में 300% की वृद्धि हुई, इसलिए जिन युवाओं और कर्मचारियों ने नौकरी खो दी है, उन्हें श्रम बाजार में जीवित रहने के लिए बाजार के रुझानों की दिशा के अनुसार अपने करियर की योजना बनानी चाहिए.
साइबर सुरक्षा के क्या लाभ हैं?
साइबर सुरक्षा प्रथाओं को लागू करने और बनाए रखने के लाभों में शामिल हैं:
साइबर हमले और डेटा उल्लंघनों के खिलाफ व्यावसायिक सुरक्षा.
डेटा और नेटवर्क के लिए सुरक्षा कवच.
अनधिकृत उपयोगकर्ता पहुंच की रोकथाम.
अंतिम उपयोगकर्ताओं और समापन बिंदु उपकरणों के लिए सुरक्षा.
विनियामक अनुपालन.
व्यावसायिक निरंतरता.
डेवलपर्स, भागीदारों, ग्राहकों, हितधारकों और कर्मचारियों के लिए कंपनी की प्रतिष्ठा और विश्वास में बेहतर भरोशा.
भारत में साइबर सुरक्षा कानून
साइबर अपराध एक गैर कानूनी काम है और इसमें कुछ आपराधिक गतिविधियाँ भी शामिल हो सकती है. इनमें डाटा चोरी, धोखाधड़ी, जालसाज़ी, के साथ अन्य कई कार्य भारतीय दंड सहिंता के अंतर्गत आते है. इन गैर कानूनी कार्यों को रोकने के लिए भारत में भी साइबर सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है.
साइबर अपराधों को संज्ञान में लेते हुए भारत में “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000” पारित किया गया. जिसके अंतर्गत साइबर हमलों को निपटाने के प्रबंध किये गये है. “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000” में कई धाराएँ बनायीं गई है जो हैकिंग और साइबर अपराधों से जुड़ी हुई है जैसे 43, 43A, 66, 66, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 70, 72, 72A और 74 आदि.
भारत सरकार द्वारा देश में होने वाले साइबर अपराधों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा की दिशा में कई कदम उठाये गए हैं जो इस प्रकार हैं-
1. “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000” पारित किया गया, जिससे साइबर अपराध कम हो सके.
2. इसके अंतर्गत ये धाराएँ 43, 43A, 66, 66, 66C, 66D, 66E, 66F, 67, 67A, 67B, 70, 72, 72A और 74 हैं जो हैकिंग और साइबर अपराधों से संबंधित हैं.
3. साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय को नोडल एजेंसी बनाया है, इसके साथ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी अनुसंधान संगठन को भी नोडल एजेंसी बनी गई है.
4. भारत सरकार द्वारा 2013 में राष्ट्रीय सुरक्षा नीति जारी की गई, इसके तहत राष्ट्रीय अतिसंवेदनशील सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure protection center-NCIIPC) का भी गठन किया गया है.
5. इसके अलावा भारत सरकार द्वारा कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In)’ की स्थापना की गई, जो साइबर सुरक्षा के लिए बनाया गया है.
6. भारत सरकार ने Indian Cyber Crime Co-ordination Centre-I4C की स्थापना की है.
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्ट-इन (CERT-In) ने सभी सरकारी और निजी एजेंसियों को साइबर सुरक्षा उलंघन की घटनाओं को रिपोर्ट करने के साथ छह घंटे के अन्दर अनिवार्य रूप से सूचित करने के लिए कहा है. CERT-In को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 70B के तहत साइबर सुरक्षा घटनाओं पर जानकारी एकत्र करने, विश्लेषण करने और प्रसारित करने का अधिकार है.
CERT-In (कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम-इंडिया) क्या है?
यह एक नोडल एजेंसी है जिसका कार्य हैकिंग और फ़िशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटना है. CERT-In भारतीय साइबर स्पेस को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संगठन है. यह संगठन साइबर घटनाओं पर जानकारी को एकत्र करने, उसका विश्लेषण और प्रसार करता है, साथ ही साइबर सुरक्षा घटनाओं पर अलर्ट भी जारी करता है. CERT-In घटना निवारण और प्रतिक्रिया सेवाओं के साथ-साथ सुरक्षा गुणवत्ता प्रबंधन सेवाएँ भी प्रदान करता है.
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि तकनीकि क्रांति के फायदे और नुकसान दोनों ही हैं लेकिन तकनीकी बदलाव अवश्यम्भावी है और उससे पैदा हुए अवसर का उपयोग और चुनौतियों का सामना करना लोगों की नियति है. तकनीकि क्रांति के परिणामस्वरूप सामने आए साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा को सख्त बनाया जा रहा है. आपदा में भी अवसर तलाश करने वाली सरकार को आज जरुरत है साइबर सुरक्षा में पैदा हुए अवसर को युवाओं तक पहुँचाने की समुचित व्यवस्था की जाए.
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