दिल्ली हाईकोर्ट ने पूछा –किस आधार पर तय होता है एसिड अटैक पीड़ितों का मुआवजा

Written by sabrang india | Published on: May 14, 2019
दिल्ली हाईकोर्ट ने एसिड अटैक पीड़ितों को दिए जा रहे मुआवजा की नीति पर दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण से सवाल किया है। हाईकोर्ट ने पूछा कि एसिड हमलों के पीड़ितों का मुआवजा किस आधार पर तय किया जाता है। हाईकोर्ट ने यह सवाल एसिड अटैक की एक पीड़िता की याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा है।

बता दें कि एक महिला ने अपना मुआवजा बढ़ाने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। महिला के अनुसार उसका मुआवजा 25000 रुपए से बढ़ाकर तीन लाख कर दिया जाए। महिला की याचिका को एकल पीठ द्वारा पहले ही खारिज कर दिया गया है। एकल पीठ ने 26 फरवरी को अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि महिला कह रही है कि उसपर एसिड अटैक किया गया था और एसिड जबरन पिलाने की भी कोशिश की गई, परंतु उसके शरीर पर मामूली जख्म हैं जो उसके दावों की पुष्टि नहीं करते हैं। ऐसे में मुआवजा नहीं बढ़ाया जा सकता।

महिला ने मेडिकल रिपोर्ट भी पेश की थी जिसके अनुसार अटैक के बाद वह काफी झुलस गई थी। पर एकल पीठ ने रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया और याचिका खारिज कर दी थी। एकल पीठ ने निर्णय को चुनौती देते हुए महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिक दाखिल करते हुए कहा कि मुआवजा सिर्फ शारीरिक क्षति के लिए नहीं मानसिक कष्टों के लिए भी दिया जाना चाहिए।

फिलहाल हाईकोर्ट में याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति एजे भंभानी की खंडपीठ ने सुनवाई की है। मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन की खंडपीठ ने दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण से सवाल किया कि किस आधार पर एसिड अटैक पीड़ितों का मुआवजा तय किया जाता है। साथ ही खंडपीठ ने प्राधिकरण को मुआवजा नीति से संबंधित सारे दस्तावेज पेश करने का आदेश भी दिया है।

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