दिल्ली दंगा मामला: तेजी से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने जज का तबादला रद्द किया

Written by sabrang india | Published on: June 21, 2025
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी पिछले साल सितंबर से कड़कड़डूमा कोर्ट में 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ी ‘बड़ी साजिश’ के मामले में रोजाना सुनवाई कर रहे थे। हालांकि, 30 मई को उनका तबादला कर दिया गया था, जिसे अब दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।


फोटो साभार : मिंट

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में साल 2020 में हुए दंगों से जुड़ी ‘बड़ी साजिश’ के मामले की सुनवाई में तेजी लाने के उद्देश्य से दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार, 18 जून को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) समीर बाजपेयी का तबादला रद्द कर दिया। गौरतलब है कि उनका तबादला 30 मई को किया गया था।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एएसजे समीर बाजपेयी के तबादले की वकीलों ने आलोचना की थी। उनका कहना था कि यह तबादला मामले की सुनवाई को और ज्यादा धीमा कर देगा। पहले से ही लंबित जांच और लगातार हो रहे न्यायाधीशों के तबादलों के कारण केस की कार्यवाही में देरी हो रही है।

एएसजे समीर बाजपेयी पिछले साल सितंबर से कड़कड़डूमा कोर्ट में इस मामले की रोजाना सुनवाई कर रहे थे। उनके तबादले के बाद, एएसजे ललित कुमार को यह मामला सौंपा गया, जिन्होंने सुनवाई को दोबारा शुरू करने के आदेश दिए थे। हालांकि, अब हाईकोर्ट द्वारा तबादला रद्द किए जाने के बाद एएसजे बाजपेयी इस मामले की सुनवाई को जारी रखेंगे।

एक वकील ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज पेपर को बताया, ‘मामले के तेजी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यूएपीए समेत गंभीर धाराओं के तहत आरोपित 18 में से अधिकांश आरोपी पिछले चार वर्षों से जेल में बंद हैं।’

इस मामले में दिल्ली पुलिस का दावा है कि फरवरी 2020 में हुई हिंसा ‘एक गहरी साजिश का हिस्सा’ था।

इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तन्हा, अतहर खान, सफूरा ज़रगर, शरजील इमाम और नताशा नरवाल शामिल हैं।

वर्षों से जेल में बंद इन आरोपियों के परिजन लगातार उनकी रिहाई की मांग करते रहे हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के उस सिद्धांत का हवाला देते हैं जिसमें कहा गया है कि ‘जमानत नियम है, जेल अपवाद।

पिछले वर्ष नई दिल्ली में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा आयोजित एक जनसभा में उमर खालिद के पिता एस.क्यू.आर. इलियास ने कहा था, "कहा जाता है कि किसी भी लोकतंत्र के तीन स्तंभ होते हैं - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। और ये सभी एक-दूसरे से स्वतंत्र होनी चाहिए। लेकिन जब देश के मुख्य न्यायाधीश अपने निजी निवास पर प्रधानमंत्री को धार्मिक समारोह में आमंत्रित करते हैं और उन तस्वीरों को सार्वजनिक रूप से साझा किया जाता है, तो ऐसे में क्या मुझे न्याय की कोई उम्मीद बची है?"

दिल्ली दंगा मामला

बता दें कि साल 2020 के फरवरी में दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। दिल्ली पुलिस द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, दंगों में कुल 53 लोगों की जान गई, जिनमें से 40 मुसलमान और 13 हिंदू थे। इसके अलावा, सैकड़ों लोग घायल हुए और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ। पुलिस ने इस हिंसा से संबंधित 758 एफआईआर दर्ज कीं। खबरों के अनुसार, दंगों के सिलसिले में दो हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।

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