मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश मुजफ्फरनगर जिले में छह साल पहले हुए दंगे के दौरान लिसाढ़ गांव के एक मुकदमे में एडीजे-12 कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में 12 आरोपियों को बरी कर दिया।
बता दें कि 27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में कुछ युवाओं के बीच हुई छोटी सी नोक-झोंक में दो ममेरे भाइयों सचिन-गौरव और अन्य पक्ष के शाहनवाज की मौत हो गई थी। जिसके बाद हिंसा फैलनी शुरू हो गई थी। फिर 7 सितंबर को नंगला मंदौड़ की महापंचायत से लौटते लोगों पर हमले के बाद जिले में दंगा भड़क गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार इस घटना के बाद पूरे जिले में तनाव फैल गया था।
दंगे का एक मुकदमा लिसाढ़ निवासी मुहम्मद सुलेमान ने 16 सितंबर 2013 को फुगाना थाने में दर्ज कराया था। सुलेमान ने मुकदमा दर्ज कराते हुए कहा था कि “7 सितंबर शाम 6:30 बजे वे अपने परिवार के साथ ही थे। तभी अचानक उसी गांव के 15-20 लोग घर में घुस आए और हिंसा पर उतर गए। हथियारों से लैस भीड़ ने न सिर्फ धार्मिक भड़काऊ नारेबाजी की अपितु परिजनों के साथ मारपीट की। इतना ही नहीं भीड़ ने लगभग करीब डेढ़ लाख की नगदी, जेवरात और अन्य सामानों को लूटा और मकान में आग भी लगा दी। जिसके बाद परिवार जान बचाकर किसी तरह भागा।“
सुलेमान ने भीड़ में मौजूद नरेंद्र उर्फ लाला, धर्मेंद्र उर्फ काला, बिजेंद्र, राजेंद्र, अनुज, अमित, ब्रह्म, सुरेंद्र, कृष्णा, निशु, शोकेंद्र, बिट्टू उर्फ अरुण के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। इस मुकदमे की सुनवाई एडीजे-12 संजीव कुमार तिवारी की कोर्ट में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से मौके पर मौजूद तीन गवाह भी पेश किए गए थे। परंतु कोर्ट में बयान के दौरान गवाहों ने अपना पक्ष बदल लिया। वहीं इस मुकदमे में गठवाला खाप के मुखिया बाबा हरिकिशन को भी नामजद किया गया था। परंतु एसआईटी ने जांच के दौरान बाबा हरिकिशन का नाम निकाल दिया था और उक्त 12 समेत 13 के खिलाफ चार्जशीट दी थी।
बता दें कि 27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में कुछ युवाओं के बीच हुई छोटी सी नोक-झोंक में दो ममेरे भाइयों सचिन-गौरव और अन्य पक्ष के शाहनवाज की मौत हो गई थी। जिसके बाद हिंसा फैलनी शुरू हो गई थी। फिर 7 सितंबर को नंगला मंदौड़ की महापंचायत से लौटते लोगों पर हमले के बाद जिले में दंगा भड़क गया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार इस घटना के बाद पूरे जिले में तनाव फैल गया था।
दंगे का एक मुकदमा लिसाढ़ निवासी मुहम्मद सुलेमान ने 16 सितंबर 2013 को फुगाना थाने में दर्ज कराया था। सुलेमान ने मुकदमा दर्ज कराते हुए कहा था कि “7 सितंबर शाम 6:30 बजे वे अपने परिवार के साथ ही थे। तभी अचानक उसी गांव के 15-20 लोग घर में घुस आए और हिंसा पर उतर गए। हथियारों से लैस भीड़ ने न सिर्फ धार्मिक भड़काऊ नारेबाजी की अपितु परिजनों के साथ मारपीट की। इतना ही नहीं भीड़ ने लगभग करीब डेढ़ लाख की नगदी, जेवरात और अन्य सामानों को लूटा और मकान में आग भी लगा दी। जिसके बाद परिवार जान बचाकर किसी तरह भागा।“
सुलेमान ने भीड़ में मौजूद नरेंद्र उर्फ लाला, धर्मेंद्र उर्फ काला, बिजेंद्र, राजेंद्र, अनुज, अमित, ब्रह्म, सुरेंद्र, कृष्णा, निशु, शोकेंद्र, बिट्टू उर्फ अरुण के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। इस मुकदमे की सुनवाई एडीजे-12 संजीव कुमार तिवारी की कोर्ट में हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से मौके पर मौजूद तीन गवाह भी पेश किए गए थे। परंतु कोर्ट में बयान के दौरान गवाहों ने अपना पक्ष बदल लिया। वहीं इस मुकदमे में गठवाला खाप के मुखिया बाबा हरिकिशन को भी नामजद किया गया था। परंतु एसआईटी ने जांच के दौरान बाबा हरिकिशन का नाम निकाल दिया था और उक्त 12 समेत 13 के खिलाफ चार्जशीट दी थी।