छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एनआईए के गठन के विरुद्ध याचिका दायर की है। छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि किसी भी राज्य में पुलिस व्यवस्था राज्य का विषय है। लेकिन केंद्र द्वारा गठित एनआईए किसी भी राज्य में घुसकर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है उस पर मुकदमा चला कर उसे सजा दे सकती है यह केंद्र द्वारा राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण है और भारत का जो संघीय ढांचा है उसके विरुद्ध है। छत्तीसगढ़ सरकार ने मांग की है कि एनआईए को छत्तीसगढ़ मे किसी भी मामले की जाँच करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ में नान घोटाला और झीरम हत्याकांड जैसे बहुचर्चित मामलों की जाँच एनआईए द्वारा की गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान माओवादी हमले में मारे गए विधायक भीमा मंडावी के मामले की जाँच भी एनआईए ही कर रहा है। इस जांच को लेकर राज्य व केंद्र शासन आमने-सामने हैं क्योंकि राज्य सरकार मामले की जाँच प्रदेश पुलिस से करवाना चाहती है। मंडावी की ह्त्या का मामला जब हाईकोर्ट में गया तो कोर्ट ने जांच का जिम्मा एनएआईए को देते हुए राज्य शासन को जांच में सहयोग करने का निर्देश देते हुए समस्त दस्तावेज हैंडओवर करने को कहा है।
क्या है केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी
केंद्र शासन ने आतंकवादी प्रकरणों की जांच के लिए एक संघीय जांच एजेंसी बनाई है। यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है। एजेंसी को किसी भी राज्य में आतंकवादी प्रकरणों की जांच का अधिकार है, इसके लिए किसी विशेष अनुमति की जरूरत नहीं है। एजेंसी 31 दिसंबर 2008 भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के साथ अस्तित्व में आई है। एजेसी के असीमित अधिकार होने के कारण कई राज्य सरकारों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।
मानव अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने इस बारे मे कहा है कि “मैं छत्तीसगढ़ शासन से पूरी तरह सहमत हूं लेकिन मैं यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि इसका गठन चिदंबरम के समय में किया गया था
हिमांशु ने कहा कि चिदंबरम उस वक्त बड़े कारपोरेट के वकील थे और पूंजीपतियों के हितों के लिए खुलकर काम कर रहे थे। देशभर में आदिवासियों की जमीनों पर नए-नए उद्योग और खनन करके जीडीपी बढ़ाने का भूत उनके सर पर भी सवार था। देश में नक्सलवाद का हव्वा खड़ा कर दिया गया था। जो मानव अधिकार कार्यकर्ता या आदिवासी नेता सरकार के जमीन हड़प अभियान का विरोध कर रहे थे उन्हें नक्सली समर्थक कहकर धड़ाधड़ जेलों में बंद किया जा रहा था। और उसी माहौल को भुनाते हुए चिदंबरम ने एनआईए का गठन किया और कहा कि यह माओवादी देश के लिए सबसे बड़ा आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है इसलिए एनआईए का गठन किया जा रहा है।
हिमांशु ने कहा कि “जो सत्तामे होता है उसे ऐसा भ्रम हो जाता है कि अब हमेशा उसी की सत्ता रहेगी। आज भाजपा शासन में है और वह एनआईए का खुलकर दुरुपयोग कर रही है। आज भाजपा जिस राज्य में चाहती है घुसकर किसी भी सामाजिक कार्यकर्ता को उठा लेती है। अब जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है उन्हें समझ में आ रहा है कि यह एनआईए किस तरह से राज्य सरकार के अधिकारों को नजरअंदाज कर रही है और उसमें हस्तक्षेप कर रही है।
छत्तीसगढ़ में नान घोटाला और झीरम हत्याकांड जैसे बहुचर्चित मामलों की जाँच एनआईए द्वारा की गई है। लोकसभा चुनाव के दौरान माओवादी हमले में मारे गए विधायक भीमा मंडावी के मामले की जाँच भी एनआईए ही कर रहा है। इस जांच को लेकर राज्य व केंद्र शासन आमने-सामने हैं क्योंकि राज्य सरकार मामले की जाँच प्रदेश पुलिस से करवाना चाहती है। मंडावी की ह्त्या का मामला जब हाईकोर्ट में गया तो कोर्ट ने जांच का जिम्मा एनएआईए को देते हुए राज्य शासन को जांच में सहयोग करने का निर्देश देते हुए समस्त दस्तावेज हैंडओवर करने को कहा है।
क्या है केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी
केंद्र शासन ने आतंकवादी प्रकरणों की जांच के लिए एक संघीय जांच एजेंसी बनाई है। यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है। एजेंसी को किसी भी राज्य में आतंकवादी प्रकरणों की जांच का अधिकार है, इसके लिए किसी विशेष अनुमति की जरूरत नहीं है। एजेंसी 31 दिसंबर 2008 भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के साथ अस्तित्व में आई है। एजेसी के असीमित अधिकार होने के कारण कई राज्य सरकारों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।
मानव अधिकार कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने इस बारे मे कहा है कि “मैं छत्तीसगढ़ शासन से पूरी तरह सहमत हूं लेकिन मैं यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि इसका गठन चिदंबरम के समय में किया गया था
हिमांशु ने कहा कि चिदंबरम उस वक्त बड़े कारपोरेट के वकील थे और पूंजीपतियों के हितों के लिए खुलकर काम कर रहे थे। देशभर में आदिवासियों की जमीनों पर नए-नए उद्योग और खनन करके जीडीपी बढ़ाने का भूत उनके सर पर भी सवार था। देश में नक्सलवाद का हव्वा खड़ा कर दिया गया था। जो मानव अधिकार कार्यकर्ता या आदिवासी नेता सरकार के जमीन हड़प अभियान का विरोध कर रहे थे उन्हें नक्सली समर्थक कहकर धड़ाधड़ जेलों में बंद किया जा रहा था। और उसी माहौल को भुनाते हुए चिदंबरम ने एनआईए का गठन किया और कहा कि यह माओवादी देश के लिए सबसे बड़ा आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है इसलिए एनआईए का गठन किया जा रहा है।
हिमांशु ने कहा कि “जो सत्तामे होता है उसे ऐसा भ्रम हो जाता है कि अब हमेशा उसी की सत्ता रहेगी। आज भाजपा शासन में है और वह एनआईए का खुलकर दुरुपयोग कर रही है। आज भाजपा जिस राज्य में चाहती है घुसकर किसी भी सामाजिक कार्यकर्ता को उठा लेती है। अब जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है उन्हें समझ में आ रहा है कि यह एनआईए किस तरह से राज्य सरकार के अधिकारों को नजरअंदाज कर रही है और उसमें हस्तक्षेप कर रही है।