छत्तीसगढ़ में मरीजों के साथ खिलवाड़: दवाओं में फिर मिली भारी गड़बड़ी

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: July 6, 2018
छत्तीसगढ़ में दवा कंपनियों की मनमानी और लापरवाही मरीजों के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है और उनकी जान जोखिम में डाल रही है। 

Health Care

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, हाल ही में अस्थमा और एंटी एलर्जी में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं मोंटेक और सिट्राजिन सैंपल जांच में खरी नहीं उतरी हैं। बढ़ते प्रदूषण के कारण अस्थमा के मरीज बढ़ रहे हैं और मोंटेक और सिट्राजिन का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है, लेकिन अब पता चला है कि दवा के नाम पर मरीजों का पैसा भी बर्बाद हो रहा है, और सेहत भी खतरे में पड़ती जा रही है।

इसके पहले ऑपरेशन में मरीजों के अंग को सुन्न करने वाली लिग्नोकेन दवा और दर्द निवारक दवा डायक्लोफेनिक भी खराब गुणवत्ता की मिली थी। सीजीएमएससी से मानसिक रोगियों को नींद देने वाली दवा डायजापाम की क्वालिटी भी संदेह के घेर में है, और इसके करीब16 हजार सैंपलों की आपूर्ति रोकनी पड़ी है।

छत्तीसगढ़ के दवा बाजारों में लगातार खराब क्वालिटी की दवाओं की सप्लाई हो रही है और समय-समय पर इनका खुलासा भी होता रहा है, लेकिन कंपनियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण ये सिलसिला थम नहीं रहा है।

ऐसा पाया गया है कि इन दवाओं की खराब क्वालिटी के कारण मरीजों के शरीर में खुजली और अन्य समस्याएं भी देखने में आ रही हैं। इसके बाद बिलासपुर सीजीएमएसी के अफसरों ने जिला अस्पताल, सिम्स और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इनका वितरण न करने के निर्देश दिए हैं।

रायपुर के जिला अस्पताल में दी जाने वाली दर्द निवारक डायक्लोफेनिक टेबलेट खाने के बाद मरीजों को पेट में जलन और शरीर में खुजली की शिकायत हो रही थी। इसके बाद दवाओं का पूरा स्टॉक सील करवाया गया था। बाद में जांच में दवाओं को घटिया पाया गया था।

ये हालत तब है जबकि कारपोरेशन की ओर से हर साल दवाओं की टेस्टिंग में ही 40-40 लाख खर्च किए जाते हैं। कारपोरेशन का दावा है कि सभी दवाएं लेबोरेटरी जांच में खरी पाए जाने के बाद ही सरकारी अस्पतालों में भेजी जाती हैं।

बाकी ख़बरें