जम्मू-कश्मीर में अब कोई भी ख़रीद सकता है ज़मीन, PAGD ने दी तीखी प्रतिक्रिया

Written by sabrang india | Published on: October 28, 2020
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, जम्मू-कश्मीर के भू-स्वामित्व क़ानून में जो संशोधन किया गया है, वह अस्वीकार्य है। यहां तक कि ग़ैर कृषि भूमि की ख़रीद और कृषि भूमि के ट्रांसफ़र के लिए डोमिसाइल की अनिवार्यता को हटाकर और आसान कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर अब सेल के लिए तैयार है और इससे ग़रीबों और छोटे भू मालिकों को इसका नुक़सान होगा।



इसके अलावा उमर अब्दुल्लाह ने दूसरे ट्वीट में कहा है कि इस बात को लेकर भ्रम की स्थिति है कि यह क़ानून केवल जम्मू-कश्मीर पर ही लागू होगा या लद्दाख़ पर भी लागू होगा।


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उनकी यह तीखी प्रतिक्रिया केंद्र सरकार के उस फैसले के बाद आयी है जिसमें जम्मू कश्मीर के पुराने 11 कानूनों को निरस्त कर दिया गया है। इसके साथ ही कोई भी भारतीय नागर बिना डोमिसाइल के कृषि भूमि को छोड़कर जमीन खरीद सकता है। 

गृह मंत्रालय ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केंद्रीय क़ानूनों के अनुरूप) के तीसरे आदेश 2020 के तहत 11 क़ानूनों को निरस्त किया। अधिसूचना के मुताबिक़, यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

द प्रिंट की एक खबर के अनुसार, नवीनतम अधिसूचना के साथ भारत में कोई भी अब जम्मू और कश्मीर में जमीन खरीद सकता है, लेकिन शर्तें लागू होंगी। कृषि भूमि अभी भी नहीं खरीदी जा सकती है। अन्य सभी भूमि जम्मू और कश्मीर के नगरपालिका क्षेत्रों में एक अधिवास के बिना खरीदी जा सकती है।

केंद्र शासित प्रदेश के विपक्षी दलों ने इसे 'विश्वासघात' बताया है और नवगठित पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) ने यह बयान जारी किया है-



जिन क़ानूनों को पूरे तौर पर निरस्त किया जा रहा है, उनमें जम्मू-कश्मीर एलिनेशन ऑफ़ लैंड एक्ट, जम्मू ऐंड कश्मीर बिग लैंडेड इस्टेट्स एबोलिशन एक्ट, जम्मू ऐंड कश्मीर कॉमन लैंड्स (रेगूलेशन) एक्ट, 1956 आदि शामिल है।





गृह मंत्रालय ने पहले के अधिकांश भूमि क़ानूनों को निरस्त कर दिया है, जिसमें जम्मू ऐंड कश्मीर ऑफ़ प्रीवेंशन ऑफ़ फ्रैग्मेंटेशन ऑफ़ एग्रीकल्चर होल्डिंग एक्ट, 1960 शामिल है।

इसके अलावा इसमें जम्मू ऐंड कश्मीर ऑन कन्वर्सन ऑफ़ लैंड ऐंड एलिनेशन ऑफ़ आर्चार्ड एक्ट, 1975; जम्मू कश्मीर राइट ऑफ़ प्रायर पर्चेज़ एक्ट, 1936; जम्मू कश्मीर टिनेंसी (स्टे ऑफ़ इजेक्टमेंट प्रोसिडिंग्स) एक्ट 1966 का खंड 3; द जम्मू ऐंड कश्मीर यूटिलाइज़ेशन ऑफ़ लैंड एक्ट 2010; और द जम्मू ऐंड कश्मीर अंडरग्राउंड यूटिलिटिज़ एक्ट शामिल हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में इस अधिसूचना पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कृषि भूमि को किसानों के लिए आरक्षित रखा गया है और कोई भी इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।

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