सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस के पीड़ित परिवार और उनके गवाहों की सुरक्षा का जिम्मा CRPF को सौंपा

Written by sabrang india | Published on: October 28, 2020
नई दिल्ली। 27 अक्टूबर 2020 को सीजेआई जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की  बेंच ने निर्देश दिया कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान हाथरस गैंगरेप और हत्या मामले में पीड़ित के परिवार को गवाह सुरक्षा प्रदान करें।



सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को भी मामले की चल रही सीबीआई जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया है, साथ ही मामले में अपने पिछले आदेश से पीड़ित की पहचान और उसके परिवार की पहचान हटाने का भी आदेश दिया है। तीन जजों की बेंच ने कोर्ट को मामले के उन सभी पहलुओं को देखने को कहा है जो पिटीशन में हस्तक्षेप आवेदन में मांग की गई थी। उत्तर प्रदेश के बाहर मामले के ट्रांसफर की बात को जांच के अंत तक खुला रखा जाएगा।

सीआरपीएफ द्वारा गवाहों की सुरक्षा के विषय पर कोर्ट ने आदेश दिया कि सीआरपीएफ पीड़ित परिवार और गवाहों को आज के आदेश के एक सप्ताह के भीतर सुरक्षा प्रदान करे। 

इसमें आगे कहा गया, राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामे के आधार पर हम आश्वस्त  हैं कि राज्स सरकार द्वारा पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। हालांकि वर्तमान प्रकृति के मामले में सामान्य धारणा और निराशावाद को संबोधित करना जरूरी है जिसके बिना इसे न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है। राज्य पुलिस के सुरक्षाकर्मियों पर बिना आक्षेप डाले बिना हम यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि पीड़ित परिवार और गवाहों को सीआरपीएफ के द्वारा एक सप्ताह के भीतर सुरक्षा प्रदान की जाए। 

बता दें कि सिटिजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया गया था जिसमें न्यायिक जांच की निगरानी, केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों द्वारा गवाहों की सुरक्षा और पीड़िता के दाह संस्कार की परिस्थितियों की जांच करने के लिए एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति की प्रार्थना की गई थी। 

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