पाकिस्तानी हिंदू अपने देश में सबसे कमजोर अल्पसंख्यक समुदायों में से एक हैं। भारतीय मुसलमानों, दलितों और ईसाइयों की तरह उन्हें अपनी मातृभूमि में किसी धर्म विशेष में विश्वास रखने के लिए हमला किया जाता है और नागरिक समाज से शुरुआती नाराजगी, प्रशासन से बुनियादी कार्रवाई और अल्पसंख्यक समुदाय पर अगले हमले की सूचना मिलने तक नजर से बाहर हो जाते हैं।
इस तरह का ताजा हमला कुछ दिनों पहले हुआ, जब पाकिस्तान का हिंदू समुदाय पिछले सप्ताह नौ दिन के नवरात्रि उत्सव का मना रहा था। स्थानीय पाकिस्तानी मीडिया और समाचार एजेंसियों की ख़बरों के मुताबिक, सिंध प्रांत के नागरपारकर क्षेत्र में हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई और देवी की मूर्ति गिराई गई।
यह हमला कथित तौर पर शनिवार को तब हुआ था हिंदू समुदाय पूजा कर रहा था। धार्मिक चरमपंथियों ने नफरत के चलते देवी दुर्गा की मूर्ति को अपमानित किया। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, हालांकि सिंध के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वे इस घटना से अवगत हैं और जल्द ही इस अपमानजनक कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी करेंगे। घटना के चार दिन बाद भी कोई अपडेट नहीं किया गया है।
यह हमला नवरात्रि के सबसे शुभ दिनों में किया गया जो क्षेत्र के हिंदू समुदाय के प्रति अनादर का एक स्पष्ट संदेश भेजता है। देवी दुर्गा को कई हिंदुओं द्वारा दिव्य मां के रूप में पूजा जाता है, और इस तरह के हमलों का उद्देश्य समुदाय की भावनाओं को आहत करना है और यह सांप्रदायिक घृणा को फैलाने का एक स्पष्ट उदाहरण है। अब तक पाकिस्तान के अधिकारियों की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति सहानुभूति या सुरक्षा का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है।
सितंबर में एक राहत जॉन ऑस्टिन, जो ट्विटर पर खुद को 'वकील, लेखक, कार्यकर्ता' के रूप में बताते हैं, ने अपने देश पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट किए। ऑस्टिन ने दावा किया था कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लगभग 171 हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया गया था। उनके द्वारा साझा की गई जानकारी को अगले दिन टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा उठाया गया था।
समाचार रिपोर्ट के अनुसार, राहत ने खुद टीओआई को बताया कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में संघार अहसान उल तालीम मदरसे में हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को एक बड़े समारोह में इस्लाम में परिवर्तित किया गया।
उन्होंने दावा किया कि 'इस्लामिक विचारधारा परिषद के पूर्व सदस्य नूर अहमद तशर ने उन्हें इस्लाम में परिवर्तित किया।' हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता और नेशनल असेंबली (MNA) के एक हिंदू सदस्य खील दास कोहिस्तानी ने 'घटना के बारे में अनभिज्ञता' व्यक्त की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएनए (मेंबर ऑफ नेंशनल असेंबली) और पाकिस्तान हिंदू परिषद के प्रमुख रमेश कुमार वांकवानी ने रिपोर्टर द्वारा बार-बार कोशिश करने के बावजूद फोन नहीं उठाया। समाचार रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से पुष्टि की है कि सभी हिंदू, जो कथित रूप से इस्लाम में परिवर्तित किए गए थे, वे भील समुदाय से थे, जो पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों में सबसे कमजोर और हाशिए पर हैं।
यह उल्लेखनीय है, कि भील एक आदिवासी समुदाय है, जो अपनी परंपराओं का पालन करता है। भारत में उन्हें आदिवासी माना जाता है और कई राज्यों में अनुसूचित जनजाति के रूप में जाना जाता है।
विडंबना यह है कि जो लोग हिंदुत्व के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं और अखंड हिंदू भारत का सपना देखते हैं, उनकी चुप्पी में स्पष्टता है। न केवल भारत में, बल्कि उन बड़े वैश्विक समुदायों में, जो अपने मूल में हिंदुत्व होने का दावा करते हैं। उन सब में एक अजीब सी खामोशी है।
यह एक ज्ञात तथ्य है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में धार्मिक चरमपंथियों द्वारा अल्पसंख्यकों पर नियमित हमले हुए हैं। 10 अक्टूबर को सिंध के बदिन क्षेत्र में एक और मंदिर में कथित रूप से तोड़फोड़ की गई थी। मंदिर के पुजारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अज्ञात लोगों के एक समूह ने आधी रात को मंदिर परिसर में प्रवेश किया, दरवाजा बंद कर दिया और मूर्ति तोड़ दी।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था और एक मामला दर्ज किया गया था। फिर हिंदू कार्यकर्ताओं की ओर से लगभग कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ। समाचार रिपोर्ट के अनुसार, सिंध पुलिस ने शिकायतकर्ता अशोक कुमार ने आरोप लगाया कि संदिग्ध मुहम्मद इस्माइल ने दूरस्थ बदिन जिले में मंदिर में रखी मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया और भाग गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बदिन के पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि शिकायत मिलने के कुछ ही घंटों के भीतर संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया, 'हम अभी तक इसकी पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं कि क्या वह (इस्माइल) मानसिक रूप से स्थिर है और जानबूझकर मुर्तियों (मूर्तियों) को नष्ट कर दिया गया है।'
इस तरह का ताजा हमला कुछ दिनों पहले हुआ, जब पाकिस्तान का हिंदू समुदाय पिछले सप्ताह नौ दिन के नवरात्रि उत्सव का मना रहा था। स्थानीय पाकिस्तानी मीडिया और समाचार एजेंसियों की ख़बरों के मुताबिक, सिंध प्रांत के नागरपारकर क्षेत्र में हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की गई और देवी की मूर्ति गिराई गई।
यह हमला कथित तौर पर शनिवार को तब हुआ था हिंदू समुदाय पूजा कर रहा था। धार्मिक चरमपंथियों ने नफरत के चलते देवी दुर्गा की मूर्ति को अपमानित किया। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, हालांकि सिंध के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि वे इस घटना से अवगत हैं और जल्द ही इस अपमानजनक कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी करेंगे। घटना के चार दिन बाद भी कोई अपडेट नहीं किया गया है।
यह हमला नवरात्रि के सबसे शुभ दिनों में किया गया जो क्षेत्र के हिंदू समुदाय के प्रति अनादर का एक स्पष्ट संदेश भेजता है। देवी दुर्गा को कई हिंदुओं द्वारा दिव्य मां के रूप में पूजा जाता है, और इस तरह के हमलों का उद्देश्य समुदाय की भावनाओं को आहत करना है और यह सांप्रदायिक घृणा को फैलाने का एक स्पष्ट उदाहरण है। अब तक पाकिस्तान के अधिकारियों की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति सहानुभूति या सुरक्षा का कोई आश्वासन नहीं दिया गया है।
सितंबर में एक राहत जॉन ऑस्टिन, जो ट्विटर पर खुद को 'वकील, लेखक, कार्यकर्ता' के रूप में बताते हैं, ने अपने देश पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट किए। ऑस्टिन ने दावा किया था कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लगभग 171 हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया गया था। उनके द्वारा साझा की गई जानकारी को अगले दिन टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा उठाया गया था।
समाचार रिपोर्ट के अनुसार, राहत ने खुद टीओआई को बताया कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में संघार अहसान उल तालीम मदरसे में हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को एक बड़े समारोह में इस्लाम में परिवर्तित किया गया।
उन्होंने दावा किया कि 'इस्लामिक विचारधारा परिषद के पूर्व सदस्य नूर अहमद तशर ने उन्हें इस्लाम में परिवर्तित किया।' हालांकि, टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेता और नेशनल असेंबली (MNA) के एक हिंदू सदस्य खील दास कोहिस्तानी ने 'घटना के बारे में अनभिज्ञता' व्यक्त की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएनए (मेंबर ऑफ नेंशनल असेंबली) और पाकिस्तान हिंदू परिषद के प्रमुख रमेश कुमार वांकवानी ने रिपोर्टर द्वारा बार-बार कोशिश करने के बावजूद फोन नहीं उठाया। समाचार रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से पुष्टि की है कि सभी हिंदू, जो कथित रूप से इस्लाम में परिवर्तित किए गए थे, वे भील समुदाय से थे, जो पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों में सबसे कमजोर और हाशिए पर हैं।
यह उल्लेखनीय है, कि भील एक आदिवासी समुदाय है, जो अपनी परंपराओं का पालन करता है। भारत में उन्हें आदिवासी माना जाता है और कई राज्यों में अनुसूचित जनजाति के रूप में जाना जाता है।
विडंबना यह है कि जो लोग हिंदुत्व के प्रतिनिधि और कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं और अखंड हिंदू भारत का सपना देखते हैं, उनकी चुप्पी में स्पष्टता है। न केवल भारत में, बल्कि उन बड़े वैश्विक समुदायों में, जो अपने मूल में हिंदुत्व होने का दावा करते हैं। उन सब में एक अजीब सी खामोशी है।
यह एक ज्ञात तथ्य है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में धार्मिक चरमपंथियों द्वारा अल्पसंख्यकों पर नियमित हमले हुए हैं। 10 अक्टूबर को सिंध के बदिन क्षेत्र में एक और मंदिर में कथित रूप से तोड़फोड़ की गई थी। मंदिर के पुजारी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि अज्ञात लोगों के एक समूह ने आधी रात को मंदिर परिसर में प्रवेश किया, दरवाजा बंद कर दिया और मूर्ति तोड़ दी।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था और एक मामला दर्ज किया गया था। फिर हिंदू कार्यकर्ताओं की ओर से लगभग कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ। समाचार रिपोर्ट के अनुसार, सिंध पुलिस ने शिकायतकर्ता अशोक कुमार ने आरोप लगाया कि संदिग्ध मुहम्मद इस्माइल ने दूरस्थ बदिन जिले में मंदिर में रखी मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया और भाग गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बदिन के पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि शिकायत मिलने के कुछ ही घंटों के भीतर संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया, 'हम अभी तक इसकी पुष्टि नहीं कर पा रहे हैं कि क्या वह (इस्माइल) मानसिक रूप से स्थिर है और जानबूझकर मुर्तियों (मूर्तियों) को नष्ट कर दिया गया है।'