राजद्रोह के मामलों में केंद्र का कोई रोल नहीं- केंद्र सरकार

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 18, 2021
नई दिल्ली। राजद्रोह के मामलों में दोषिसिद्धि की दर काफी कम होने को लेकर विपक्ष के निशाने पर आई सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र की कोई भूमिका नहीं होती और राज्य सरकारें मामले दर्ज कराती हैं। गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।



राजद्रोह के मामलों में दोषिसिद्धि की दर काफी कम होने को लेकर विपक्ष की आलोचना के बीच रेड्डी ने कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र की कोई भूमिका नहीं होती और राज्य सरकारें मामले दर्ज कराती हैं। रेड्डी ने कहा कि इस संबंध में केंद्र राज्यों को कोई निर्देश नहीं देता और भारत सरकार ने किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कोई गलत मामला नहीं दर्ज कराया है।

इस दौरान कई विपक्षी सदस्यों ने कहा कि 2019 में 96 ऐसे मामले दर्ज किए गए, जिनमें दो मामलों में ही दोषसिद्धि हुई। विपक्ष ने सवाल किया कि क्या सरकार फर्जी मुकदमे दर्ज करा रही है। इस पर रेड्डी ने कहा कि जिन 96 मामलों का जिक्र किया गया है, उन सभी मामलों में अदालत का फैसला नहीं आया है। उन्होंने कहा कि कई मामले विभिन्न चरणों में हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ मामले जांच के चरण में हैं तो कुछ मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किया गया है वहीं कुछ में सुनवाई चल रही है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने आंकड़ों में राजद्रोह के मामले शामिल करने का प्रयास किया है। उन्होंने दावा किया कि पहले की सरकारों में इसे छिपाया जाता था।

रेड्डी ने कहा कि संसद से पारित होने के बाद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई टिप्पणियां की गईं, लेकिन उन्हें पूर्ण आजादी दी गई। 100 से अधिक दिनों से चल रहे मौजूदा किसान आंदोलन के दौरान कई बयान दिए गए, लेकिन सरकार ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र और प्रेस की आजादी के लिए प्रतिबद्ध है और कोई भी व्यक्ति संविधान के तहत बोल सकता है तथा सरकार इसमें कोई रुकावट नहीं पैदा करती।

बता दें कि बीते फरवरी महीने में केंद्र सरकार ने बताया था कि देश के विभिन्न भागों में 2019 के दौरान राजद्रोह के 93 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 96 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 76 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप-पत्र दायर किए गए, जबकि 29 लोगों को अदालतों द्वारा बरी कर दिया गया।

इससे पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बताया था कि साल 2019 के दौरान देश भर में दर्ज राजद्रोह और कठोर यूएपीए मामलों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसमें सिर्फ तीन फीसदी राजद्रोह मामलों में आरोपों को साबित किया जा सका है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में राजद्रोह के 93 मामले दर्ज किए गए थे, जो साल 2018 में दर्ज 70 और साल 2017 में दर्ज 51 मामलों से अधिक थी
इसी तरह यूएपीए के तहत साल 2019 में 1,226 मामले दर्ज किए गए। इससे पहले 2018 में यूएपीए के तहत 1,182 मामले और 2017 में 901 मामले दर्ज किए गए थे।

 

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