यूथ फॉर इक्वालिटी के सदस्यों ने जलाया भारत का 'संविधान', कई जगह एफआईआर दर्ज

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 11, 2018
9 अगस्त को दिल्ली के जंतर मंतर पर यूथ फॉर इक्वालिटी के सदस्यों द्वारा संविधान की प्रति जलाए जाने का विरोध देशभर से सामने आ रहा है. संविधान बचाने के लिए दलित संगठनों के लोग संसद मार्ग थाने में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर कराने के लिए एकत्रित हो रहे हैं.



यूथ फॉर इक्वालिटी के सदस्यों ने 9 अगस्त को संविधा की प्रतियां जलाते हुए बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के विरोध में नारेबाजी की थी. यूथ फॉर इक्वालिटी के सदस्यों के इस कृत्य के बाद से देशभर के दलितों में रोष का माहौल है. इस मामले पर कई जगह एफआईआर कराई गई है. इसी कड़ी में संसद मार्ग थाने में भी एफआईआर कराई जाएगी.

संविधान की प्रति जलाए जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है. लेकिन अभी तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. संसद में एससी/एसटी बिल पारित होने के बाद इस घटना को अंजाम दिया गया है. उस दौरान पुलिस भी मौजूद थी लेकिन आरक्षण विरोधी खेमा नारेबाजी करते हुए संविधान की प्रतियां जला रहा था.

बता दें कि 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने एक मामले पर फैसले के दौरान एससी/एसटी एक्ट में गिरफ्तारी संबंधी प्रावधानों को कमजोर कर दिया था. इसके विरोध में दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया. इससे दलित भले ही नाराज थे लेकिन कथित सवर्णों का एक खेमा खुश था. आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी के दलित सांसदों ने भी सरकार पर दवाब बनाया और नौ अगस्त को भारत बंद बुलाया था.
 
इनकी मांग थी कि मोदी सरकार बिल लाकर इसपर मजबूती वाला कानून बनाए. दवाब में आई मोदी सरकार ने संसद में बिल पारित करा दिया. इसके बाद से ही आरक्षण विरोधी व दलित विरोधी ताकतें गुस्से में हैं. इसके विरोध में ही यूथ फॉर इक्वालिटी के सदस्यों द्वारा इस कृत्य को अंजाम दिया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा उपसभापति के रूप में एनडीए प्रत्याशी हरिवंश की जीत के बाद दिए गए अपने भाषण में कांग्रेस उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिसे 'अपमानजनक' मानकर सदन के रिकॉर्ड से हटा दिया है. इससे पहले राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू ने शिकायत पर कहा था कि भाषण को देखा जाएगा और यदि कुछ आपत्तिजनक लगा तो उसे रिकॉर्ड से हटा दिया जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई थी. इसके बाद उनके बयान के उस हिस्से को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया. आमतौर पर सदन में भाषण के दौरान किसी आपत्तिजनक बात को कह देना आम बात है, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि प्रधानमंत्री के भाषण के किसी हिस्से को हटाना पड़े.

एनडीए उम्मीदवार हरिवंश नारायण सिंह को जीत की बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह चुनाव दो हरि के बीच में था. अब सदन पर 'हरि-कृपा' बनी रहेगी. पीएम मोदी ने इसके बाद बीके हरिप्रसाद के नाम का जिक्र कर एक टिप्पणी की, जिस पर कांग्रेस पार्टी ने आपत्ति की. राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक प्रधानमंत्री के भाषण के एक हिस्से को आपत्तिजनक और अपमानजनक माना गया और उसे रिकॉर्ड से हटा दिया गया है.

राज्यसभा के उपसभापति चुनाव के लिए गुरुवार को वोट डाले गये. चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार हरिवंश और विपक्ष के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद के बीच सीधा मुकाबला था. इस चुनाव में  हरिवंश को जीत मिली. जनता दल यूनाइटेड से राज्यसभा सांसद हरिवंश ने कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद को हरा दिया. एनडीए उम्मीदवार हरिवंश को सदन में 125 वोट मिले, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बीके हरिप्रसाद को 105 वोट ही मिले.

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