पत्र में यह भी आग्रह किया गया है कि ब्रिटेन इजराइल को फिलिस्तीन में नरसंहार, नाकाबंदी और युद्ध अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराए।

तस्वीर : सीएनएन
11 जून 2025: भारत भर से 700 से ज्यादा कार्यकर्ताओं और चिंतित नागरिकों ने नई दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़ और गोवा स्थित ब्रिटिश उच्चायोग कार्यालयों के जरिए एक पत्र लिखकर मैडलीन कार्यकर्ताओं और फिलिस्तीन में जारी नरसंहार को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की।
यह पत्र भारत के जमीनी स्तर के आंदोलनों के गठबंधन नेशनल अलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट्स (NAPM) की पहल पर तैयार किया गया और इसे न्याय व मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध अनेक जनसंगठनों और नागरिकों ने हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षरकर्ताओं ने 9 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में इज़रायली बलों द्वारा यूके के झंडे वाले नागरिक जहाज फ्रीडम फ्लोटिला वेसल 'मैडलीन' (Freedom Flotilla vessel Madleen) को जबरन कब्जे में लेने और ग़ाज़ा के लिए मानवीय सहायता की अवैध नाकाबंदी की कड़ी निंदा की है। पत्र में की गई प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं: हिरासत में लिए गए आठ मैडलीन कार्यकर्ताओं की तत्काल और सम्मानजनक रिहाई, जबरन 'निर्वासित' किए गए चार कार्यकर्ताओं को उनके शांतिपूर्ण मिशन पर लौटने की अनुमति, इज़राइल की नाकाबंदी को समाप्त करना, नरसंहार और युद्ध अपराधों के लिए जवाबदेही तय करना और ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की तत्काल और बेरोक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है।
फ्रीडम फ्लोटिला कोलिशन द्वारा भेजे गए ‘मैडलीन’ जहाज़ गाजा के लिए बेहद जरूरी सहायता सामग्री जैसे बच्चों का खाना, भोजन और चिकित्सीय सामान लेकर जा रहा था, जहां इस समय इज़राइल की नाकाबंदी और जारी नरसंहार के कारण जनता भुखमरी का सामना कर रही है। इस पत्र में यह साफ तरीके से कहा गया है कि इजराइल स्थित ब्रिटिश उप-उच्चायोग की कानूनी और राजनयिक जिम्मेदारी है कि वह यूके के झंडे वाले नागरिक जहाज मैडलीन और उसके हिरासत में लिए गए चालक दल की हिफाजत में दखल करे, जैसा कि वियना संधि (Vienna Convention on Consular Relations) के अनुच्छेद 5 में उल्लेख है। इसमें शामिल है: हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं के साथ किए गए व्यवहार के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना, मैडलीन की रिहाई के लिए एफसीडीओ (FCDO) पर कार्रवाई का दबाव बनाना और आईसीसी(ICC) तथा संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा युद्ध अपराधों की जांच में मदद करना।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम (UK) से अपील की है कि वह अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी निभाए और 12 कार्यकर्ताओं की रक्षा में तुरंत दखल करे, जिन्हें अवैध रूप से अपहरण कर चुप करा दिया गया सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने एकजुटता दिखाई। ये साहसी कार्यकर्ता वह कर रहे हैं जो अब तक कोई अंतरराष्ट्रीय संस्था या राष्ट्र प्रभावी रूप से नहीं कर पाया है। वे गाजा के भूखे लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए अवैध नाकाबंदी को प्रत्यक्ष रूप से चुनौती दे रहे हैं। इन कार्यकर्ताओं को मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए दंडित नहीं किया जा सकता, जिनकी परिभाषा और रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने 1948 में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र (Universal Declaration of Human Rights) के बाद से निरंतर संघर्ष किया है।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने भारत भर में स्थित ब्रिटिश उच्चायोग कार्यालयों और तेल अवीव स्थित उसके समकक्ष कार्यालय के जरिए निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
• मैडलीन जहाज के हिरासत में लिए गए आठ कार्यकर्ताओं, जिनमें यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन (MEP Rima Hassan) भी शामिल हैं, की तत्काल और सम्मानजनक रिहाई सुनिश्चित की जाए, उन्हें यातना से सुरक्षा प्रदान की जाए और उनकी राजनयिक छूट की स्थिति स्पष्ट की जाए।
• मैडलीन जहाज और उस पर लदी राहत सामग्री को पुनः प्राप्त कर उसे गाजा में तत्काल सहायता पहुंचाने के लिए बहाल किया जाए।
• हिंद रजब फाउंडेशन की शिकायत का समर्थन करें, जिसमें शैयेट 13, वाइस एडमिरल डेविड सार सलामा और मैडलीन, कॉन्शियंस और मावी मरमारा घटनाओं में युद्ध अपराधों में शामिल अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के खिलाफ ब्रिटेन की आपराधिक जांच के लिए दबाव डाला गया है, तथा इजराइल को जिम्मेदार ठहराया गया है।
• इजराइल की अवैध नाकाबंदी को समाप्त करने की मांग की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि गाजा तक मानवीय सहायता के लिए सभी स्थल और समुद्री मार्गों तक तत्काल, बेरोक और सुरक्षित पहुंच उपलब्ध हो।
• ब्रिटेन से आग्रह किया जाए कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सक्रिय भूमिका निभाए, ताकि इजराइल के खिलाफ कड़े प्रतिबंध और कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
• ब्रिटेन से आग्रह किया जाए कि वह ग़ाज़ा में मानवीय मिशनों की सुरक्षा के लिए यूरोपीय संघ (EU) के नौसैनिक एस्कॉर्ट्स का नेतृत्व करे, ताकि इजराइल की आक्रामकता के बावजूद राहत सामग्री सुरक्षित रूप से पहुंचाई जा सके।
इस पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना ब्रिटेन की जिम्मेदारी है। इजराइल द्वारा मैडलीन कार्यकर्ताओं का जबरन अपहरण, अवैध रूप से हिरासत में रखना, तथा गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने में बाधा डालना -ये सभी कृत्य न केवल निंदनीय हैं, बल्कि इन्हें ब्रिटेन एवं वैश्विक समुदाय द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। इसके अलावा, इजराइल द्वारा भूखमरी को ‘युद्ध का हथियार’ बनाकर इस्तेमाल करना और सहायता केंद्रों पर हमले करना निंदा योग्य है।
इन हस्ताक्षरकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम सरकार से आग्रह किया है कि वह हिरासत में लिए गए सभी लोगों की तत्काल रिहाई, गाजा में मानवीय सहायता की बिना रुकावट पहुंच और इजराइल के नरसंहारात्मक युद्ध अपराधों की त्वरित जांच एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई शुरू करे। वे यह भी मांग करते हैं कि इज़राइल को मिल रही खुली छूट खत्म की जाए, जो विशेष रूप से ब्रिटेन और अन्य प्रभावशाली सरकारों की निष्क्रियता और मिलीभगत के कारण संभव हो पा रही है।
पूरा ज्ञापन, जिसमें हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची भी शामिल है, यहां देखा जा सकता है।

तस्वीर : सीएनएन
11 जून 2025: भारत भर से 700 से ज्यादा कार्यकर्ताओं और चिंतित नागरिकों ने नई दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़ और गोवा स्थित ब्रिटिश उच्चायोग कार्यालयों के जरिए एक पत्र लिखकर मैडलीन कार्यकर्ताओं और फिलिस्तीन में जारी नरसंहार को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की।
यह पत्र भारत के जमीनी स्तर के आंदोलनों के गठबंधन नेशनल अलायंस ऑफ पीपल्स मूवमेंट्स (NAPM) की पहल पर तैयार किया गया और इसे न्याय व मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध अनेक जनसंगठनों और नागरिकों ने हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षरकर्ताओं ने 9 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में इज़रायली बलों द्वारा यूके के झंडे वाले नागरिक जहाज फ्रीडम फ्लोटिला वेसल 'मैडलीन' (Freedom Flotilla vessel Madleen) को जबरन कब्जे में लेने और ग़ाज़ा के लिए मानवीय सहायता की अवैध नाकाबंदी की कड़ी निंदा की है। पत्र में की गई प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं: हिरासत में लिए गए आठ मैडलीन कार्यकर्ताओं की तत्काल और सम्मानजनक रिहाई, जबरन 'निर्वासित' किए गए चार कार्यकर्ताओं को उनके शांतिपूर्ण मिशन पर लौटने की अनुमति, इज़राइल की नाकाबंदी को समाप्त करना, नरसंहार और युद्ध अपराधों के लिए जवाबदेही तय करना और ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की तत्काल और बेरोक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है।
फ्रीडम फ्लोटिला कोलिशन द्वारा भेजे गए ‘मैडलीन’ जहाज़ गाजा के लिए बेहद जरूरी सहायता सामग्री जैसे बच्चों का खाना, भोजन और चिकित्सीय सामान लेकर जा रहा था, जहां इस समय इज़राइल की नाकाबंदी और जारी नरसंहार के कारण जनता भुखमरी का सामना कर रही है। इस पत्र में यह साफ तरीके से कहा गया है कि इजराइल स्थित ब्रिटिश उप-उच्चायोग की कानूनी और राजनयिक जिम्मेदारी है कि वह यूके के झंडे वाले नागरिक जहाज मैडलीन और उसके हिरासत में लिए गए चालक दल की हिफाजत में दखल करे, जैसा कि वियना संधि (Vienna Convention on Consular Relations) के अनुच्छेद 5 में उल्लेख है। इसमें शामिल है: हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं के साथ किए गए व्यवहार के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना, मैडलीन की रिहाई के लिए एफसीडीओ (FCDO) पर कार्रवाई का दबाव बनाना और आईसीसी(ICC) तथा संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा युद्ध अपराधों की जांच में मदद करना।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम (UK) से अपील की है कि वह अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी निभाए और 12 कार्यकर्ताओं की रक्षा में तुरंत दखल करे, जिन्हें अवैध रूप से अपहरण कर चुप करा दिया गया सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने एकजुटता दिखाई। ये साहसी कार्यकर्ता वह कर रहे हैं जो अब तक कोई अंतरराष्ट्रीय संस्था या राष्ट्र प्रभावी रूप से नहीं कर पाया है। वे गाजा के भूखे लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए अवैध नाकाबंदी को प्रत्यक्ष रूप से चुनौती दे रहे हैं। इन कार्यकर्ताओं को मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए दंडित नहीं किया जा सकता, जिनकी परिभाषा और रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने 1948 में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र (Universal Declaration of Human Rights) के बाद से निरंतर संघर्ष किया है।
हस्ताक्षरकर्ताओं ने भारत भर में स्थित ब्रिटिश उच्चायोग कार्यालयों और तेल अवीव स्थित उसके समकक्ष कार्यालय के जरिए निम्नलिखित मांगें रखी हैं:
• मैडलीन जहाज के हिरासत में लिए गए आठ कार्यकर्ताओं, जिनमें यूरोपीय संसद सदस्य रीमा हसन (MEP Rima Hassan) भी शामिल हैं, की तत्काल और सम्मानजनक रिहाई सुनिश्चित की जाए, उन्हें यातना से सुरक्षा प्रदान की जाए और उनकी राजनयिक छूट की स्थिति स्पष्ट की जाए।
• मैडलीन जहाज और उस पर लदी राहत सामग्री को पुनः प्राप्त कर उसे गाजा में तत्काल सहायता पहुंचाने के लिए बहाल किया जाए।
• हिंद रजब फाउंडेशन की शिकायत का समर्थन करें, जिसमें शैयेट 13, वाइस एडमिरल डेविड सार सलामा और मैडलीन, कॉन्शियंस और मावी मरमारा घटनाओं में युद्ध अपराधों में शामिल अन्य वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के खिलाफ ब्रिटेन की आपराधिक जांच के लिए दबाव डाला गया है, तथा इजराइल को जिम्मेदार ठहराया गया है।
• इजराइल की अवैध नाकाबंदी को समाप्त करने की मांग की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि गाजा तक मानवीय सहायता के लिए सभी स्थल और समुद्री मार्गों तक तत्काल, बेरोक और सुरक्षित पहुंच उपलब्ध हो।
• ब्रिटेन से आग्रह किया जाए कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सक्रिय भूमिका निभाए, ताकि इजराइल के खिलाफ कड़े प्रतिबंध और कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
• ब्रिटेन से आग्रह किया जाए कि वह ग़ाज़ा में मानवीय मिशनों की सुरक्षा के लिए यूरोपीय संघ (EU) के नौसैनिक एस्कॉर्ट्स का नेतृत्व करे, ताकि इजराइल की आक्रामकता के बावजूद राहत सामग्री सुरक्षित रूप से पहुंचाई जा सके।
इस पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना ब्रिटेन की जिम्मेदारी है। इजराइल द्वारा मैडलीन कार्यकर्ताओं का जबरन अपहरण, अवैध रूप से हिरासत में रखना, तथा गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने में बाधा डालना -ये सभी कृत्य न केवल निंदनीय हैं, बल्कि इन्हें ब्रिटेन एवं वैश्विक समुदाय द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। इसके अलावा, इजराइल द्वारा भूखमरी को ‘युद्ध का हथियार’ बनाकर इस्तेमाल करना और सहायता केंद्रों पर हमले करना निंदा योग्य है।
इन हस्ताक्षरकर्ताओं ने यूनाइटेड किंगडम सरकार से आग्रह किया है कि वह हिरासत में लिए गए सभी लोगों की तत्काल रिहाई, गाजा में मानवीय सहायता की बिना रुकावट पहुंच और इजराइल के नरसंहारात्मक युद्ध अपराधों की त्वरित जांच एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई शुरू करे। वे यह भी मांग करते हैं कि इज़राइल को मिल रही खुली छूट खत्म की जाए, जो विशेष रूप से ब्रिटेन और अन्य प्रभावशाली सरकारों की निष्क्रियता और मिलीभगत के कारण संभव हो पा रही है।
पूरा ज्ञापन, जिसमें हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची भी शामिल है, यहां देखा जा सकता है।