राजस्थान के अलवर व हरियाणा के बहादुरगढ़ महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (केंद्र सरकार) को, उनके अपने गृह राज्य गुजरात में ही घेरने का ऐलान कर दिया। कहा न सिर्फ कृषि कानूनों की वापसी तक आंदोलन जारी रहेगा। बल्कि इसके लिए देशभर में मार्च निकाले जाएंगे। टिकैत ने कहा कि गुजरात जो केंद्र सरकार के कंट्रोल में हैं, उसे फ्री कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत आजाद है, लेकिन गुजरात के लोग कैद में हैं। अगर वे आंदोलन में शामिल होना चाहें, तो जेल हो जाती है।'
राकेश टिकैत ने कहा कि गुजरात जाकर वह उन्हें आजाद करवाएंगे। टिकैत ने कहा कि आज गुजरात में कलक्टर, एसपी व अन्य बड़े अधिकरियों के फोन नम्बर किसी के पास नहीं हैं। उनके नम्बरों को सार्वजनिक नहीं कर रखा है। गुजरात बंधन में है। गुजरात के व्यक्ति के दिल्ली जाने पर पुलिस घर पहुंच जाती है। गुजरात को आजाद कराना है। गुजरात का आवाम पूरी दुनिया से कटा है। हम वहां के लोगों से सम्पर्क में हैं और हम गुजरात जाएंगे। गुजरात में आगामी बैठक करेंगे।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हल चलाने वाला अब हाथ नहीं जोड़ेगा। कहा हम ही किसान हैं और हम ही जवान हैं। राकेश टिकैत ने आन्दोलनजीवी के जवाब में जहां लाल कृष्ण आडवाणी के मंदिर आन्दोलन का उदाहरण देकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। वहीं टिकैत ने राहुल गांधी के ''हम दो हमारे दो'' वाले बयान से भी सहमति जतायी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को लोकसभा में किसानों का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर तंज कसा था। राहुल ने कहा कि देश को चार लोग चला रहे हैं, हम दो और हमारे दो। राहुल के इस बयान पर टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि सच में ऐसा ही लगता है कि देश को चार लोग ही चला रहे हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि अब अनाज तिजोरी में बंद नहीं होगा। ये भूख का व्यापार करने वाले लोग हैं। भूख पर रोटी की कीमत तय नही होने देंगे। रोटी को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे और ना ही रोटी को बाजार की वस्तु बनने देंगे। जब तक पूरे देश में एमएसपी पर खरीद नहीं होगी तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सरदार भाईयों को आतंकवादी व खालिस्तानी बताया, लेकिन वो हमारे किसान भाई हैं। इस आन्दोलन में देश का प्रत्येक किसान है और ये किसान ही नहीं बल्कि दुकानदारों का भी आन्दोलन है। अगर ये आंदोलन सडक़ की पटरी पर गुजारा करने वाले साढ़े चार करोड़ ठेली-पटरी वालों का रोजगार खत्म हो जाएगा। दो रुपए का सिंदूर मिलना बंद हो जाएगा। ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक तीनों कानून वापस नहीं होंगे और स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू नहीं होगी।
टिकैत ने कहा कि अलवर जिले के किसान शाहजहांपुर बॉर्डर के आंदोलन को मजबूत बनाएं। ये आप सबकी जिम्मेदारी है। मैं आपको पूर्णरूप से जिम्मेदारी देता हूं। टिकैत ने कहा कि अबकि बार 18 फरवरी को ऐतिहासिक जाम होगा। हम रेल की पटरियों पर फूल चढ़ाकर रेल रोकेंगे। हमें पुष्प चढ़ाकर चार घण्टे के लिए पूरे देश में रेल का पहिया रोकना है, जो कि ऐतिहासिक होगा। हम बिना पटरियां उखाड़े रेल रोकेंगे।
टिकैत ने कहा कि आन्दोलन में जाने वाले किसान भाईयों को आप दस रोटी बनाकर दे देना। ये किसान क्रांति है। अब हाथ नहीं जोड़ेंगे बल्कि अपने हक की बात करेंगे। कहा, हमारे पंच भी वही रहेंगे मंच भी वही रहेगा। किसानों के फैसले किसान ही करेगा। किसानों के समर्थन में राजस्थान और पूरे देश ने विश्वास जताया है। वो अब कम नहीं होगा।
इससे पहले टिकैत ने कहा कि अब कृषि कानूनों की वापसी होने पर ही घर वापसी करेंगे। हमारा मंच और पंच नहीं बदलेंगे। सिंघु बॉर्डर हमारा ऑफिस बना रहेगा। अगर सरकार आज बात करना चाहे तो भी तैयार हैं, अगर 10 दिन बाद या फिर अगले साल बात करना चाहे तो भी हम तैयार हैं। हम दिल्ली में कीलें उखाड़े बिना यहां से लौटेंगे नहीं। टिकैत को सुनने को महिलाएं भी भारी संख्या में जुटीं।
राकेश टिकैत ने कहा कि गुजरात जाकर वह उन्हें आजाद करवाएंगे। टिकैत ने कहा कि आज गुजरात में कलक्टर, एसपी व अन्य बड़े अधिकरियों के फोन नम्बर किसी के पास नहीं हैं। उनके नम्बरों को सार्वजनिक नहीं कर रखा है। गुजरात बंधन में है। गुजरात के व्यक्ति के दिल्ली जाने पर पुलिस घर पहुंच जाती है। गुजरात को आजाद कराना है। गुजरात का आवाम पूरी दुनिया से कटा है। हम वहां के लोगों से सम्पर्क में हैं और हम गुजरात जाएंगे। गुजरात में आगामी बैठक करेंगे।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हल चलाने वाला अब हाथ नहीं जोड़ेगा। कहा हम ही किसान हैं और हम ही जवान हैं। राकेश टिकैत ने आन्दोलनजीवी के जवाब में जहां लाल कृष्ण आडवाणी के मंदिर आन्दोलन का उदाहरण देकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। वहीं टिकैत ने राहुल गांधी के ''हम दो हमारे दो'' वाले बयान से भी सहमति जतायी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को लोकसभा में किसानों का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर तंज कसा था। राहुल ने कहा कि देश को चार लोग चला रहे हैं, हम दो और हमारे दो। राहुल के इस बयान पर टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि सच में ऐसा ही लगता है कि देश को चार लोग ही चला रहे हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि अब अनाज तिजोरी में बंद नहीं होगा। ये भूख का व्यापार करने वाले लोग हैं। भूख पर रोटी की कीमत तय नही होने देंगे। रोटी को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे और ना ही रोटी को बाजार की वस्तु बनने देंगे। जब तक पूरे देश में एमएसपी पर खरीद नहीं होगी तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा।
टिकैत ने कहा कि केन्द्र सरकार ने सरदार भाईयों को आतंकवादी व खालिस्तानी बताया, लेकिन वो हमारे किसान भाई हैं। इस आन्दोलन में देश का प्रत्येक किसान है और ये किसान ही नहीं बल्कि दुकानदारों का भी आन्दोलन है। अगर ये आंदोलन सडक़ की पटरी पर गुजारा करने वाले साढ़े चार करोड़ ठेली-पटरी वालों का रोजगार खत्म हो जाएगा। दो रुपए का सिंदूर मिलना बंद हो जाएगा। ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक तीनों कानून वापस नहीं होंगे और स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू नहीं होगी।
टिकैत ने कहा कि अलवर जिले के किसान शाहजहांपुर बॉर्डर के आंदोलन को मजबूत बनाएं। ये आप सबकी जिम्मेदारी है। मैं आपको पूर्णरूप से जिम्मेदारी देता हूं। टिकैत ने कहा कि अबकि बार 18 फरवरी को ऐतिहासिक जाम होगा। हम रेल की पटरियों पर फूल चढ़ाकर रेल रोकेंगे। हमें पुष्प चढ़ाकर चार घण्टे के लिए पूरे देश में रेल का पहिया रोकना है, जो कि ऐतिहासिक होगा। हम बिना पटरियां उखाड़े रेल रोकेंगे।
टिकैत ने कहा कि आन्दोलन में जाने वाले किसान भाईयों को आप दस रोटी बनाकर दे देना। ये किसान क्रांति है। अब हाथ नहीं जोड़ेंगे बल्कि अपने हक की बात करेंगे। कहा, हमारे पंच भी वही रहेंगे मंच भी वही रहेगा। किसानों के फैसले किसान ही करेगा। किसानों के समर्थन में राजस्थान और पूरे देश ने विश्वास जताया है। वो अब कम नहीं होगा।
इससे पहले टिकैत ने कहा कि अब कृषि कानूनों की वापसी होने पर ही घर वापसी करेंगे। हमारा मंच और पंच नहीं बदलेंगे। सिंघु बॉर्डर हमारा ऑफिस बना रहेगा। अगर सरकार आज बात करना चाहे तो भी तैयार हैं, अगर 10 दिन बाद या फिर अगले साल बात करना चाहे तो भी हम तैयार हैं। हम दिल्ली में कीलें उखाड़े बिना यहां से लौटेंगे नहीं। टिकैत को सुनने को महिलाएं भी भारी संख्या में जुटीं।