अरब सागर से पानी लाने का झांसा देकर फंस गई भाजपा

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: November 29, 2018
राजस्थान में विधानसभा चुनावों में मुश्किलों में फंसी भारतीय जनता पार्टी की सरकार हर तरह के वादे करने में जुट गई है। इसी क्रम में उसने चुनाव घोषणा पत्र जारी करके, राजस्थान की सूखी धरती को अरब सागर के पानी से हरा करने का वादा कर डाला है।

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भाजपा अपने इस वादे से बुरी तरह से घिर गई है। कुछ लोग इसे हास्यास्पद वादा मान रहे हैं तो कुछ लोग इसमें भाजपा के व्यापारिक मित्रों के हित साधने की कवायद देख रहे हैं।

वैसे तो भाजपा ने प्रदेश में रोजगार देने, किसानों की आय दोगुनी करने हेतु कदम उठाने समेत सिंचाई की विभिन्न परियोजनाओं का भी जिक्र किया है, लेकिन इसमें सबसे खास बात यही है कि पार्टी ने मारवाड़ में अरब सागर का पानी लाकर यहां इनलैंड पोर्ट बनाने की योजना को मूर्त रूप देने का वादा किया है।

सवाल उठ रहे हैं कि समुद्री खारा पानी राजस्थान की जनता के किस काम आ सकता है। सीधे-सीधे न तो यह पानी पीने के काम आ सकता है और न ही इसे सिंचाई के काम में लाया जा सकता है।

समुद्री पानी को उपयोग योग्य बनाना संभव तो है, लेकिन यह प्रक्रिया बहुत महंगी है। इसी कारण ये संदेह किया जा रहा है कि भाजपा के पास अंबानी या अडानी के लिए ज़रूर कोई ऐसा प्लान है जिसके जरिए उनकी कंपनियां कोई प्लांट लगाएंगी जिसमें खारे पानी को मीठा बनाने की जुगत होगी।

अरब सागर का पानी इस्तेमाल में कैसे लाया जाएगा, ये बताने के बजाय पार्टी ने घोषणा पत्र में आगे की बातें कर दी हैं। मसलन, अरब सागर के पानी को गुजरात होते हुए राजस्थान के सांचौर और जालोर तक लाया जाएगा और यहां कृत्रिम इनलैंड पोर्ट बनाया जाएगा। इससे यहां व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

ध्यान देने वाली बात है कि राजस्थान के पश्चिम-दक्षिण भूभाग से अरब सागर का सबसे निकटतम किनारा कांडला पोर्ट है। कांडला पोर्ट से जालोर की दूरी ही करीब 400 किलोमीटर है यानी इसके लिए सरकार को करीब 350 से 400 किलोमीटर का इनलैंड पोर्ट बनाना होगा।

वैसे ये प्रोजेक्ट कोई पहली बार घोषित नहीं हो रहा है। मंत्री नितिन गडकरी का ये प्लान पहले से है, लेकिन ये साफ समझ में आ रहा है कि इसमें काम सरकार के बजाय किसी निजी कंपनी को ही मिलना है। निजी कंपनी जमकर फायदा उठाएगी और जो पानी अगर जनता को मिलेगा भी तो वह बहुत महंगा होगा।

एक सवाल ये भी है कि पिछले पांच सालों में केंद्र और राजस्थान तथा गुजरात में भाजपा की तो सरकारें रही हैं, तो फिर इस परियोजना पर काम शुरू क्यों नहीं हुआ।
 
 

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