PM मोदी के दावे पर स्वामी ने उठाए सवाल, कहा- 10% की दर से वृद्धि करेंगे तभी 5 ट्रिलियन होगी अर्थव्यवस्था

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 7, 2019
अर्थव्यवस्था में चल रही भारी सुस्ती से सवालों के बीच घिरी मोदी सरकार पर अब उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल खड़े किए हैं। पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि भारत 10% की दर से ग्रो करेगा तब जाकर भी 10 साल बाद 5 ट्रिलियन इकनॉमी बन पाएगा। बता दें कि मोदी सरकार ने 2025 तक देश को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही है।



स्वामी ने कहा कि 5 ट्रिलियन की इकनॉमी को हासिल तो किया जा सकता है लेकिन इसके लिए कम से कम 10 साल का वक्त लगेगा। लक्ष्य का हासिल करने के लिए हमें किसानों को सशक्त बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में भी सकारात्मक सुधार करना होगा।

उन्होंने आगे कहा कि हमारा वर्तमान ध्यान माइक्रो इकोनॉमिक प्रोजेक्ट्स जैसे ग्रामीण उज्जवला योजना, ग्रामीण क्षेत्रों के शौचालय निर्माण आदि पर है। हमें अर्थव्यवस्था के सामान्य संतुलन पर ध्यान केंद्रित करना होगा। तभी हम 5-ट्रिलियन अर्थव्यवस्था जैसे महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के बारे में सोच सकते हैं। यह हमारी पहुंच से बाहर नहीं है। सही मायनों में इसमें 10 साल से ज्यादा का समय लग सकता है। यदि हम 10 प्रतिशत की ग्रोथ से आगे बढ़ते हैं तो हमारा देश एक विकसित देश बन जाएगा जो कि सही मायनों में चीन से आगे निकल जाएगा।

सुब्रमण्यम स्वामी टिएकॅन केरल 2019 की बैठक में ट्रिलियन डॉलर 'जीडीपी टारगेट- एस्पिरेशनल या रियलिस्टिक' विषय पर युवा उद्यमियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस दौरान कहा भारत 2050 तक वर्ल्ड इकनॉमिक पॉवर बन सकता है। लेकिन यह सब इस पर निर्भर करेगा की हम कौन सा मॉडल अपनाते हैं। इस मॉडल निश्चित तौर पर चार चीजें उद्देश्य, प्राथमिकताएं, रणनीति और संसाधनों को जुटाना शामिल है।

उन्होंने कहा कि हम मांग की समस्या का सामना कर रहे हैं न कि आपूर्ति की समस्या का। हमें ऐसे कदम उठाने चाहिए जो लोगों को अधिक से अधिक क्रय शक्ति प्रदान करें। कर रियायतें मांग के आधार पर होनी चाहिए। व्यक्तिगत आयकर को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाना चाहिए और अन्य साधनों से संसाधन जुटाने चाहिए।

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज की दर पांच साल और उससे अधिक होनी चाहिए, जिसे बढ़ाकर नौ प्रतिशत किया जाना चाहिए। इसके अलावा यह दर ऋण पर 9 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। अगर हम ऐसा करते हैं तो कैश का प्रवाह शुरू हो जाएगा और आर्थिक सुस्ती दूर हो जाएगी।

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