पहली सूची जारी होते ही गुजरात में अमित शाह ने डेरा डाल लिया है।
पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली पाटीदार अनामत आंदोलन समिति और कांग्रेस के गठजोड़ से गुजरात में बीजेपी भारी परेशानी में है। लेकिन इससे भी ज्यादा परेशान है अपनी पार्टी में बढ़ रहे असंतोष से। इसने पार्टी के सर्वशक्तिमान माने जाने वाले अध्यक्ष अमित शाह के भी पसीने छुड़ा दिए हैं। भाजपा अब तक 16 मौजूदा विधायकों के टिकट काट चुकी है। इसका खामियाजा इसे भुगतना पड़ सकता है। इस बढ़ते असंतोष की वजह से ही पार्टी अब बूथ पर 10 की जगह 30 कार्यकर्ताओं को उतार रही है।
भाजपा ने अब तक 106 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इनमें 16 विधायकों-मंत्रियों के टिकट काटे गए हैं। नतीजतन वे पार्टी से बेहद नाराज चल रहे हैं। यही वजह है कि पहली सूची जारी होते ही गुजरात में अमित शाह ने डेरा डाल लिया है।
इधर, असंतोष है कि बढ़ता ही जा रहा है। टिकट बंटवारे से नाराज कार्यकर्ताओं ने अहमदाबाद में पार्टी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। पाटन से भाजपा सांसद ने बेटे को टिकट न मिलने पर इस्तीफा देने की धमकी दी।
गुजरात में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, भाजपा के लिए मोर्चा कठिन होता जा रहा है। यह पहली बार है कि 20 साल से ज्यादा वक्त पर राज्य पर काबिज भाजपा में आत्मविश्वास कम दिख रहा है और पार्टी के सारे दिग्गजों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रह है। पाटीदार, दलितों और पिछड़ों की घेराबंदी से भाजपा का निकलना अब मुश्किल दिख रहा है। पिछले कुछ वक्त से पूरे देश और खास कर गुजरात में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों का विरोध हो रहा है। जीएसटी और नोटबंदी ने गुजरात को दो बड़े उद्योगों कपड़ा और हीरा उद्योग की रीढ़ तोड़ कर रख दी है। गुजरात में इस बार के चुनाव में इन दोनों इंडस्ट्री पर पड़ी मार की गुंज सुनाई पड़ने के पूरे आसार हैं।