पद्मावती विरोध को राजपूत वोट जुटाने का जरिया न बनाएं बीजेपी के नेता

Written by सबरंगइंडिया स्टाफ | Published on: November 21, 2017


राजपूतों की करणी सेना की ओर से संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती के विरोध को देखते हुए मशहूर डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने कहा कि यह राजपूत वोटरों का वोट खींचने की कोशिश है। बीजेपी सरकारों की ओर से इस फिल्म पर बैन की मांग करने वालों का समर्थन किया जा रहा है।

बेनेगल की इस बात में भरपूर दम है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि वह फिल्मों में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ मंजूर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा है कि अगर फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है तो फिर इसके निर्माता-निर्देशक इसे फिल्म का विरोध करने वालों को दिखा क्यों नहीं रहे हैं।

उधर, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी करणी सेना का समर्थन करते हुए पद्मावती को राष्ट्रीय माता करार दिया। उनके साथ मौजूद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने संजय लीला भंसाली को पापी कीड़ा करार दिया और पद्मावती के जयकारे लगवाए।

श्याम बेनेगल ने इस मामले में सेंसर बोर्ड के रवैये की भी आलोचना की है और कहा है कि उसका बर्ताव अजीब है। इस मामले में कोई स्टैंड लेने के बजाय बोर्ड ने इस मामले में ढीला रवैया अपनाया हुआ है। जबकि इस बीच राजनीतिक नेता इस पर अपनी रोटी सेंकने में लगे हैं। गुजरात, हिमाचल दोनों राज्यों में ठाकुरों का अच्छा वोट बैंक है। लिहाजा, यह मुद्दा बीजेपी के लिए सुनहरा अवसर बन कर आया है। बीजेपी के बड़े नेता समाज को बांटने वाली जिस जातिगत राजनीति की आलोचना करते हैं उसी की इस्तेमाल कर रहे हैं। चाल, चरित्र और चेहरा  की बात करने वाली पार्टी दिखा रही है कि फौरी फायदे के लिए वह किस कदर विभाजन की राजनीति का इस्तेमाल कर सकती है।

बहरहाल, बेनेगल जैसे दिग्गज अगर कह रहे हैं कि इस फिल्म के जरिये देश में राजपूत वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है तो इस पर यकीन न करने की कोई वजह नहीं दिखती।
 

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