जेल से रिहा होते हुए बोले भीम आर्मी के चंद्रशेखर रावण, '2019 में बीजेपी को उखाड़ फेंकें'

Written by Sabrangindia Staff | Published on: September 14, 2018
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को सोलह महीने बाद सहारनपुर की जेल से रिहा कर दिया गया है. चंद्रशेखर को मई 2017 में सहारनपुर में हुए जातीय दंगा फैलाने के आरोप में रासुका के तहत जेल भेज दिया गया था. गुरुवार की रात 2.30 बजे उन्हें रिहा कर दिया गया. हालांकि, अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण पर से रासुका हटाया गया है या नहीं.



जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखऱ ने कहा कि 'सरकार डरी हुई थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट उसे फटकार लगाने वाली थी. यही वजह है कि अपने आप को बचाने के लिए सरकार ने जल्दी रिहाई का आदेश दे दिया. मुझे पूरी तरह विश्वास है कि वे मेरे खिलाफ दस दिनों के भीतर फिर से कोई आरोप लगाएंगे. मैं अपने लोगों से कहूंगा कि साल 2019 में बीजेपी को उखाड़ फेंकें.' 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण' को समय से पहले रिहा करने का निर्देश जारी किया था. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि रावण की मां के आवेदन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उनकी समय से पहले रिहाई का फैसला लिया गया है. आपको बता दें कि रावण को एक नवंबर 2018 तक जेल में रहना था. हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम को 2019 चुनाव से पहले डैमेज कंट्रोल माना जा रहा है।

बता दें कि पिछले साल 05 मई को सहारनपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर शिमलाना में महाराणा प्रताप जयंती का आयोजन किया गया था जिसमें शामिल होने जा रहे युवकों की शोभा यात्रा पर दलितों ने आपत्ति जताई थी और पुलिस बुला लिया था.

विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों तरफ से पथराव होने लगे थे, जिसमें ठाकुर जाति के एक युवक की मौत हो गई थी. इसके बाद शिमलाना गांव में जुटे हज़ारों लोग करीब तीन किलोमीटर दूर शब्बीरपुर गांव आ गए.

जहां भीड़ ने दलितों के घरों पर हमला कर उनके 50 से ज्यादा घर जला दिए थे. इस हिंसा में 14 दलित गंभीर रूप से घायल हो गए थे. घटना से आक्रोशित दलित युवाओं के संगठन भीम आर्मी ने 09 मई, 2017 को सहारनपुर के गांधी पार्क में एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया था.

इसमें क़रीब एक हज़ार प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे लेकिन प्रशासन की इजाज़त नहीं मिलने के कारण पुलिस ने इसे रोकने की कोशिश की.

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