छत्तीसगढ़: बेला भाटिया को करना पड़ा जेल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन, CM भूपेश बघेल ने जताया खेद

Published on: January 11, 2019
जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के अघोषित युद्धक्षेत्र यानि बस्तर में रहकर कार्य कर रहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील बेला भाटिया को बुधवार 9 जनवरी की शाम जगदलपुर के ज़िला जेल के बाहर धरना प्रदर्शन करने का कदम उठाना पड़ा. घटना के दुसरे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके लिए खेद व्यक्त किया. दरअसल ऐसे लोगों की बस्तर संभाग में लम्बी फ़ेहरिस्त है जिनको नक्सली होने के शक की बिनाह पर जेल में बंद कर दिया गया है. सालाना जारी किए जाने वाले सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऐसे ज़्यादातर लोग आख़िर में निर्दोष साबित होते हैं.

जगदलपुर में कुछ ऐसे ही लोगों की पैरवी कर रहीं बेला भाटिया अपने मुवक्किल की, कोर्ट में पेशी की तारिख मालूम करने पुलिस के पास गई थीं, पर उन्हें जानकारी नहीं दी जा रही थी. बेला ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से पुलिस उन्हें इसी तरह परेशान कर रही है. तरह तरह के बहाने बना कर ज़रूरी जानकारियों के लिए उन्हें चक्कर कटवाए जाते हैं. जेल प्रशासन का कहना है कि ऐसे तथ्य गोपनीय होने के कारण उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं. बेला भाटिया ने हमें बताया कि मुवक्किल की पेशी से जुडी जानकारी उसके वकील को मुहैया कराने से पुलिस, कानूनन मना नहीं कर सकती...लेकिन ये बस्तर है.  

लगभग 3 घंटे से भी ज़्यादा धरने पर बैठे रहने के बाद रात में जेल प्रशासन ने बेला भाटिया को जानकारी उपलब्ध कराई.

मुख्यमंत्री ने ट्वीटर पर जताया खेद
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस घटना के सम्बन्ध में खेद व्यक्त करते हुए ट्वीटर पर लिखा कि “प्रसिद्द सामजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया जी को कल जेल परिसर में सत्याग्रह करने को मजबूर होना पड़ा. ये बेहद दुखद है. कांग्रेस की सरकार सभी सामजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ खाड़ी है. मैं पूरा प्रयास करूँगा कि आप सभी को भविष्य में ऐसी किसी परेशानी का सामना न करना पड़े.”



मुख्यमंत्री द्वारा दिए इस बयान पर बेला भाटिया ने ख़ुशी व्यक्त की है कि “मैं मुख्यमंत्री जी के आश्वासन से खुश हूं मेरी उम्मीद है कि वे बस्तर ए सभी जेलों की स्थिति का जायजा लेंगे, जाँच करवाएंगे, और इन जेलों में कानून का कोई उल्लंघन न हो इसका हरपुर प्रयास करेंगे”

चूँकि बेला ट्विटर इस्तेमाल नहीं कर रही हैं इसलिए उनकी तरफ़ से उनका बयान उनकी साथी कार्यकर्ता प्रियंका शुक्ला ने ट्विट किया है.


कल्लूरी की बहाली और बेला भाटिया का सत्याग्रह
क्या ये महज़ संयोग है कि एसआरपी कल्लूरी को बड़े पद पर बिठाया गया, और उसके कुछ दिनों बाद ही मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया को पुलिस द्वारा परेशान किया जाने लगा.

कुछ साल पहले बेला भाटिया के घर पर हुए हमले के बाद ही एसआरपी कल्लूरी को बस्तर से हटा कर पीएचक्यू भेज दिया गया था. कल्लूरी के द्वारा भूपेश बघेल को झीरम-2 की धमकी देने की ख़बरें मीडिया में आ चुकी हैं, इसलिए चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद ये उम्मीद की जा रही थी कि एसआरपी कल्लूरी पर लगे कई आरोपों की जांच की जाएगी. पर भूपेश बघेल द्वारा कल्लूरी को ऐन्टी करप्शन ब्यूरो का चीफ़ बना देना और कल्लूरी को ही नान घोटाले और झीरम काण्ड की जाँच का ज़िम्मा सौंप दिया जाना सभी के लिए अचम्भे की ख़बर थी.
 

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