बनारसः गांधी की विरासत सर्व सेवा संघ पर ‘बुल्डोज़र’ के ख़तरे से गांधीवादियों में आक्रोश

Written by विजय विनीत | Published on: July 1, 2023
"महात्मा गांधी युग पुरुष हैं और उन्हें पूरी दुनिया याद करती है। राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी, विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण की विरासत को किसी भी क़ीमता पर ज़मींदोज़ नहीं होने दिया जाएगा। बापू के अहिंसा के हथियार से सरकार के बुल्डोज़र का रुख दिल्ली की ओर मोड़ा जाएगा।"


सत्याग्रह पर बैठे देश भर से आए गांधीवादी

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ पर मंडरा रहे ‘बुल्डोजर’ के खतरे के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की सुनवाई फिलहाल तीन जुलाई तक के लिए टाल दी है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया था कि सुनवाई पूरी होने तक उत्तर रेलवे और वाराणसी जिला प्रशासन राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं करेगा। भारी गहमा-गहमी और ऊहापोह के बीच तमाम सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, लोकतंत्र सेनानी और महात्मा गांधी के अनुयायी धरने पर बैठे और बारिश में भीगते हुए पूरे दिन सत्याग्रह किया। कोई प्रशासनिक अफसर मौके पर नहीं पहुंचा, लेकिन पुलिस और खुफिया एजेंसियां स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

इस बीच महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी, प्रियंका गांधी, मेधा पाटकर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय, डा.राजेश मिश्र, पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल, मनोज राय धूपचंडी, सीपीएम नेता हीरालाल समेत सभी दलों ने महात्मा गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार करने वाली संस्था सर्व सेवा संघ पर बुल्डोजर नहीं चलाने की अपील की है। साथ ही यह भी कहा है कि यह संस्था महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण और संत विनोबा भावे की विरासत है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद ने सर्व सेवा संघ की स्थापना की थी। बुल्डोजर लगाकर अगर इसे ढहाया गया तो देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।

भारी बारिश के बीच नारेबाजी, सत्याग्रह

 सर्व सेवा संघ के संयोजक राम धीरज के नेतृत्व में 30 जून 2023 को विपक्षी दलों के नेताओं ने विरोध मार्च निकाला और सरकार व प्रशासन के खिलाफ जबरदस्‍त नारेबाजी की। महात्मा गांधी की विरासत को बचाने के लिए बड़ी तादाद में जुटे लोगों ने कहा, "जमीन का बैनामा और विलेख-पत्र मौजूद होने के बावजूद शासन और प्रशासन देश की उन महान हस्तियों को जालसाज बताने पर उतारू हैं जिन्होंने सर्व सेवा संघ की स्थापना के लिए चंदा जुटाकर राजघाट पर जमीन खरीदी और रजिस्ट्री कराई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण की विरासत को किसी भी कीमत पर जमींदोज नहीं होने दिया जाएगा। बापू के अहिंसा के हथियार से सरकार के बुल्डोजर का रुख दिल्ली की ओर मोड़ा जाएगा।"

सत्याग्रह में मौजूद कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा, "हम मोदी-योगी के बुल्डोजर का इंतजार कर रहे हैं। सर्व सेवा संघ की संपत्ति बीजेपी की जागीर नहीं, बल्कि भारतरत्न विनोबा भावे और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सतकर्मों की धरोहर है। बापू के विचारों को दुनिया भर में फैलाने के लिए जमीन चंदे के पैसे से यहां खरीदी गई थी। हिम्मत हो तो सरकार हमारे ऊपर बुल्डोजर चलाए।" सत्याग्रह आंदोलन में मौजूद कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राय ने कहा,  "सर्व सेवा संघ बनारस का गौरव है और हम इस पर बुल्डोजर नहीं चलने देगे। इस संस्था के 75 साल गुजर चुके हैं और अब बीजेपी सरकार इस जमीन को रेलवे की बताकर उसे हड़पने की कोशिश में जुटी है। वह जब तक इस आदेश को वापस नहीं लेगी, हम सत्याग्रह आंदोलन चलाते रहेंगे।" सपा नेता और पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह ने बीजेपी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा, " ये डबल इंजन की सरकार लोकतंत्र का कत्ल करती जा रही है। गांधी, विनोबा और जयप्रकाश की विरासत की हिफाजत के लिए हम मर-मिटने के लिए तैयार हैं।"


"नहीं चलने देंगे गोड़सेवाद"

गांधीवादी नेता एवं सांसद अनिल हेंगड़े, आनंद कुमार, आशा बोथरा, चंदन पाल, पूर्व एमएलसी अरविंद सिंह, ऊषा विश्वकर्मा, आलोक सिंह, अजय पटेल आदि ने बीजेपी सरकार की बुल्डोज़र नीति पर सवालिया निशान लगाया और कहा, "सर्व सेवा संघ पिछले 60 सालों से दो हजार से अधिक किताबों का प्रकाशन कर चुका है। संघ की पुस्तकें देश के 650 रेलवे स्टेशनों के सर्वोदय बुक स्टालों पर बेची जाती हैं। महात्मा गांधी युग पुरुष हैं और उन्हें पूरी दुनिया याद करती है। उनके विचारों का प्रचार-प्रसार करने वाली संस्था सर्व सेवा संघ दुनिया भर के छात्रों, प्रोफेसरों, लेखकों और साहित्यकारों के लिए किसी मरकज से कम नहीं है। हम बीजेपी-आरएसएस की मनमानी और उनका गोड़सेवाद नहीं देंगे।"

राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ पर बुल्डोजर चलाने के लिए उत्तर रेलवे ने 27 जून 2023 को नोटिस चस्पा कराई थी। हाईकोर्ट में मामला लंबित होने के कारण पुलिस-प्रशासन और उत्तर रेलवे के अफसर मौके पर नहीं गए। सूत्र बताते हैं कि रेल अधिकारी चाहते हैं कि बनारस के कलेक्टर एस.राजलिंग ने जिस तरह से उनके फेवर में फैसला सुनाया है, उसी कड़ी में वो ध्वस्तीकरण का आदेश भी जारी करें। उत्तर रेलवे का कोई अफसर इस हाईप्रोफाइल मामले में पचड़े में नहीं फंसना चाहता है। सूत्रों का कहना है कि बनारस जिला प्रशासन और यूपी सरकार के अधिकारी रेल अफसरों पर दबाव बना रहे हैं कि वो हाईकोर्ट के आदेशों की अनदेखी करते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अमल में लाएं। इस बाबत लखनऊ स्थित उत्तर रेलवे मंडल के उप मुख्य अभियंता आकाशदीप का पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने साफ-साफ कहा, "सर्व सेवा संघ के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस वजह से हमने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई रोक दी है। हमें कोर्ट के फैसले का इंतजार है। अदालत के हर फैसला का हम आदर और अक्षरशः पालन करेंगे।"

आखिर क्यों डोल रही उनकी नीयत?

उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के कार्यालय प्रभारी सौरभ सिंह ‘न्यूजक्लिक’ से कहते हैं, "हमारी जमीन पर काफी दिनों से बीजेपी सरकार की नजर गड़ी थी। वो किसी भी तरह से संघ की सारी जमीन हड़प लेना चाहती हैं। इस मामले में कमिश्नर कौशल राज शर्मा की नीति और नीयत सवालों के घेरे में है। उनके निर्देश पर दिसंबर 2020 में सर्व सेवा संघ की तीन एकड़ जमीन जबरन घेर ली गई और उसे काशी विश्वनाथ धाम के ठेकेदारों के हवाले कर दिया गया। इसके बाद कमिश्नर शर्मा के निर्देश पर 15 मई 2023 को सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित गांधी विद्या संस्थान पर जबरन कब्जा करते हुए उसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के हवाले कर दिया गया।

 करीब डेढ़ महीने बाद बनारस के डीएम ने एकतरफा फैसला सुनाते हुए सर्व सेवा संघ की 13 एकड़ जमीन को अवैध बताते हुए 27 जून को नाटकीय ढंग से रेलवे के हवाले करने का फरमान सुना दिया। इस फैसले के एक घंटे बाद ही उत्तर रेलवे ने सर्व सेवा संघ परिसर में रहने वाले 50 कर्मचारियों के घरों, दफ्तरों के अलावा बालवाडी, आरोग्य केंद्र आदि सभी बिल्डिंगों पर नोटिसें चस्पा करा दी। खास बात यह है कि दशकों पुरानी संस्था को खाली करने के लिए उत्तर रेलवे ने सिर्फ 48 घंटे की मोहलत दी और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को तार-तार कर दिया। रेल अफसरों ने मानवाधिकार की धज्जियां भी उड़ाई। इस तरह का आतंक तो आपातकाल में भी देखने को नहीं मिला था।"

सौरभ ने यह भी बताया,  "पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और जगजीवन राम के प्रयास से रेलवे से जमीन खरीदी गई थी। दशकों पहले दो भूखंडों का दाखिल खारिज हो चुका है। एक हिस्से के दाखिल खारिज के लिए साल 2019 में अर्जी दी गई, लेकिन रेलवे ने उस पर एतराज दाखिल कर दिया। बीजेपी सरकार को यह मंजूर नहीं है कि देश में अब गांधी के नाम पर कोई संस्था चलाए। वो गांधी से ज्यादा उनके हत्यारे गोड़से को अहमियत देते हैं। राजघाट पर सर्व सेवा संघ की प्रॉपर्टी सरकार की नहीं है। बीजेपी सरकार गांधी विचारों की हत्या करने पर आमादा है और वह लोकतंत्र का गला घोंटकर दुनिया भर में भारत की जग-हंसाई करा रही है।"

साल 1948 में बना था संघ

सर्व सेवा संघ के जिस परिसर को लेकर बितंडा खड़ा किया जा रहा है वहां संघ प्रकाशन, आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आने वाले बच्चों के लिए बालवाड़ी, गेस्ट हाउस, पुस्तकालय, मीटिंग हॉल, गांधी आरोग्य केंद्र (प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र), युवा प्रशिक्षण केंद्र और खादी के प्रचार-प्रसार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लोकतंत्र सेनानी राम धीरज बताते हैं, "सर्व सेवा अप्रैल, 1948 में पांच संगठनों-अखिल भारत चरखा संघ, अखिल भारत ग्राम उद्योग संघ, अखिल भारत गो सेवा संघ, हिंदुस्तानी तालिमी संघ और महरोगी सावा मंडल के विलय के बाद यह संस्था अस्तित्व में आई थी। महात्मा गांधी की मौत के बाद उनके विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए मार्च 1948 में राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ का गठन किया गया था, जिसकी पहली बैठक देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अगुवाई में हुई थी।"

"विनोबा भावे की पहल पर करीब 62 साल पहले बनारस के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गई थी। इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने साल 1960 में इसी जमीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना कराई, जिसके भवन का एक हिस्सा साल 1961 में और दूसरा 1962 में निर्मित हुआ। निर्माण के समय जयप्रकाश नारायण खुद सर्व सेवा संघ में मौजूद थे। गांधी के अनुयायियों ने श्रमदान के जरिये संस्था के भवनों की नींव खुद खोदी थी।"

राष्ट्रीय मुद्दा बनी गांधी की विरासत

रामधीरज इस बात से बेहद आहत हैं कि बीजेपी सरकार और उत्तर रेलवे के अधिकारी विनोबा भावे, लाल बहादुर शास्त्री, डा.राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण को जालसाज बताने की जिद पर अड़े हैं। वह कहते हैं, "आचार्य विनोबा भावे की पहल पर ही सभी जमीनें सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 और 1970 में उत्तर रेलवे को पूरी कीमत देकर खरीदी थी। नार्दन रेलवे, लखनऊ के डिवीज़नल इंजीनियर द्वारा हस्ताक्षरित तीन बैनामे हमारे पास आज भी मौजूद हैं। साल 1971 तक यहां तीन चरणों में निर्माण कार्य पूरे किए गए, जिसके लिए गांधी स्मारक निधि और जयप्रकाश नारायण आदि नेताओं ने दान राशि जुटाई थी। समझ में यह नहीं आ रहा है कि बीजेपी और आरएसएस के लोग हमारी जमीन पर क्यों नजर गड़ाए हुए हैं।"

"देश को आजाद कराने वाले पुरोधा आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज, जयप्रकाश नारायण, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के सिर पर कूटरचित दस्तावेज और फर्जीनामा का लांक्षन मढ़ना न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि तानाशाही का द्योतक भी है। मोदी सरकार एन-केन-प्रकारेण संस्था की जमीन हथियाकर उसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के हवाले कर देना चाहती है। साथ ही वह उन पुरोधाओं का नाम इतिहास के पन्नों से मिटाना पर आमादा है जिन्होंने देश को आजाद कराया था। बीजेपी के इस कृत्य के आगे ‘शैतानियत’ और ‘अंधेरगर्दी’ जैसे शब्द भी बेमानी हैं।"

 इस बीच महात्मा गांधी के पौत्र एवं जाने-माने शिक्षाविद राजमोहन गांधी ने अपनी दादा की विरासत को बचाने के लिए मोदी सरकार से गुहार लगाई है। एक बयान में उन्होंने कहा है, "सर्व सेवा संघ में साधना केंद्र का उद्घाटन खुद पूर्व प्रधानमंत्री स्व.लाल बहादुर शास्त्री ने किया था। गांधीवादी विचारों के इस अध्ययन केंद्र को नहीं हटाया जाना चाहिए।" इस बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया पर उठाकर इस मामले को गरमा दिया है। सर्व सेवा संघ से जुड़े लोग देशभर से समर्थन की मांग कर रहे हैं। उनकी अपील है कि वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ के परिसर पहुंचकर बीजेपी सरकार की नफरत और फरेब भरी मुहिम को विफल करें। वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक प्रदीप कुमार कहते हैं, "बापू की विरासत को बचाने के लिए अब देश भर से आवाज उठने लगी है। सर्व सेवा संघ परिसर में गांधीवादियों के सत्याग्रह के तूल पकड़ने से अब यह राष्ट्रव्यापी मुद्दा बनता जा रहा है। गांधीवादियों के गुस्से के चलते आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को खासी कीमत चुकानी पड़ सकती है।"

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

साभार- न्यूजक्लिक

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