वाराणसी: महात्मा गांधी और विनोबा भावे की विरासत पर चलेगा बुलडोजर! सर्व सेवा संघ का भवन खाली कराया

Written by sabrang india | Published on: July 24, 2023
वाराणसी में शनिवार को सर्व सेवा संघ के भवन को खाली कराया गया। पिछले माह ही इस भवन को लेकर सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच मालिकाना हक को लेकर सुनवाई हुई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भवन में रहने वाले लोगों की याचिका को खारिज कर दिया था।


 
गांधी-जेपी की विरासत के नाम से मशहूर राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ का भवन व परिसर शनिवार को खाली करा लिया गया। बुलडोजर व भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे प्रशासनिक व रेलवे के अधिकारियों ने सामान बाहर निकलवाना शुरू किया तो पदाधिकारी व लोगों ने विरोध किया। 

इसके बाद पुलिस ने सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल और संयोजक रामधीरज सहित आठ लोगों को शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। देर शाम मेडिकल कराने के बाद सभी आरोपियों को पुलिस आयुक्त की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से जेल भेज दिया गया। सामान हटाने के दौरान पुलिस व संघ पदाधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। पदाधिकारियों ने दुर्व्यवहार के आरोप भी लगाए। जैसे ही सारा सामान बाहर आ जाएगा, वैसे ही बुलडोजर चल सकता है।

गौरतलब है कि शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद प्रशासनिक कार्रवाई की शुरूआत की गई। परिसर में रहने वाले लोगों का मकान खाली कराने के  बाद बुलडोजर चलने की उम्मीद है। 27 जून 2023 को जिला प्रशासन की तरफ से भवन को खाली कराने का आदेश दिया गया था। इसके बाद से संघ के सभी सदस्य धरने पर बैठे थे। मौके पर मौजूद परिषद के सदस्य राम धीरज ने कहा, 'प्रशासन हमारे साथ मनमानी कर रहा है, हमने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशानुसार सिविल कोर्ट में वाद डाला है। शुक्र्वार को न्यायधीश मौजूद न रहने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी थी। ऐसे में शनिवार को बिना किसी सूचना के हमारे भवन को खाली कराने के लिे पुलिस वाले पहुंचे। हमें घरों से बाहर निकाल दिया। हमने जब सवाल किया तो कह रहे हैं कि वकील को बुलाइये।'

राम धीरज ने आगे कहा, जब हमारा वकील आया तो वो हमें कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं। हमने उनसे बस कुछ समय का मौका मांगा, ताकि हम यहां जिला जज से वाद पर बात कर सकें।  





सर्व सेवा संघ में उथल पुथल की कुछ तस्वीरें

मालिकाना हक को लेकर विवाद: 
दरअसल, सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच मालिकाना हक को लेकर बीते माह सुनवाई हुई थी। वाराणसी जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने सुनवाई करते हुए रेलवे के हक में फैसला दे दिया। उन्होंने संघ के भवन को अवैध निर्माण घोषित करते हुए जमीन खाली करने के निर्देश भी दे दिए। इसके बाद रेलवे प्रशासन ने 30 जून को संघ के भवन को ध्वस्त करने की तिथि भी निर्धारित कर दी थी। शुरूआत के क्रम में यहां के लोगों ने जिला प्रशासन के फैसले पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए मामले की सुनवाई निचली कोर्ट में करने का आदेश दिया। इसके बाद इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस पंकज मित्तल ने भी वादी पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। अंत में इन्होंने हाईकोर्ट के निर्देशानुसार निचली अदालत में सुनवाई के लिए याचिका डाली लेकिन शुक्रवार को जज मौजूद न होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। 

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