मध्यप्रदेश में कांग्रेस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केवल घोषणाएं करने वाला घोषणावीर मुख्यमंत्री कहती रही है। अब जबकि मुख्यमंत्री का कार्यकाल समाप्त होने को है, और विधानसभा चुनाव सिर पर आ चुके हैं तो ये साफ जाहिर हो गया है कि मुख्यमंत्री की घोषणाएं केवल घोषणाएं ही रह गई हैं और उन पर अमल नहीं हो सका है।

कमाल की बात तो ये है कि जनता का आशीर्वाद लेने जन आशीर्वाद यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब भी लगातार घोषणाएं करने में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री सचिवालय के आंकड़ों से यह पता चला है कि करीब एक हजार घोषणाएं अधूरी पड़ी हैं और कम से कम इस कार्यकाल में तो पूरी होने वाली नहीं हैं। इन घोषणाओं में से करीब 64 तो ऐसी हैं, जिनकी फाइलें ही अब बंद हो गई हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणाओं में गंभीरता की कमी इतनी रही है कि अधिकारियों ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया है। कई मामलों में विभागों ने इन पर ढिलाई बरती। नईदुनिया की खबर के मुताबिक, 2015 में जिन सड़कों को बनाने की घोषणा शिवराज सिंह चौहान ने की थी, उनके प्रस्ताव ग्रामीण यांत्रिकी सेवा से अब जाकर लोक निर्माण विभाग को मिल सके हैं।
मुख्यमंत्री की हवाई घोषणाओं की सूची काफी लंबी है। इनमें सतना में मैहर नगर के चारों ओर रिंग रोड बनाने की घोषणा रही है। तीन साल से इस पर कुछ काम नहीं हुआ है।
इसके अलावा नरसिंहपुर में मुख्यमंत्री ने दो साल पहले 10 किलोमीटर रिंग रोड बनाने का ऐलान किया था, लेकिन उसके लिए जमीन ही नहीं मिली है।
भोपाल में संत हिरदाराम नगर में थ्री ईएमई सेंटर से कैलाश नगर जाने वाले मार्ग के रेलवे फाटक पर फ्लाई ओवर का ऐलान भी जमीन के अभाव में ही अटका पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने इंदौर शहर में एक और बस अड्डा बनाने की घोषणा कर डाली थी, लेकिन नगरीय विकास विभाग इस काम को मुश्किल बता रहा है क्योंकि वहां पहले से आईएसबीटी बन रहा है।
मुख्यमंत्री ने पान उमरिया को नगर परिषद बनाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में वे इसे भूल गए। इसी तरह से उन्होंने भोपाल के कमलापार्क के रानी कमलापति महल के जीर्णोद्धार की घोषणा कर दी थी लेकिन बाद में पता लगा कि यह इमारत तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है।

कमाल की बात तो ये है कि जनता का आशीर्वाद लेने जन आशीर्वाद यात्रा पर निकले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब भी लगातार घोषणाएं करने में जुटे हैं।
मुख्यमंत्री सचिवालय के आंकड़ों से यह पता चला है कि करीब एक हजार घोषणाएं अधूरी पड़ी हैं और कम से कम इस कार्यकाल में तो पूरी होने वाली नहीं हैं। इन घोषणाओं में से करीब 64 तो ऐसी हैं, जिनकी फाइलें ही अब बंद हो गई हैं।
मुख्यमंत्री की घोषणाओं में गंभीरता की कमी इतनी रही है कि अधिकारियों ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया है। कई मामलों में विभागों ने इन पर ढिलाई बरती। नईदुनिया की खबर के मुताबिक, 2015 में जिन सड़कों को बनाने की घोषणा शिवराज सिंह चौहान ने की थी, उनके प्रस्ताव ग्रामीण यांत्रिकी सेवा से अब जाकर लोक निर्माण विभाग को मिल सके हैं।
मुख्यमंत्री की हवाई घोषणाओं की सूची काफी लंबी है। इनमें सतना में मैहर नगर के चारों ओर रिंग रोड बनाने की घोषणा रही है। तीन साल से इस पर कुछ काम नहीं हुआ है।
इसके अलावा नरसिंहपुर में मुख्यमंत्री ने दो साल पहले 10 किलोमीटर रिंग रोड बनाने का ऐलान किया था, लेकिन उसके लिए जमीन ही नहीं मिली है।
भोपाल में संत हिरदाराम नगर में थ्री ईएमई सेंटर से कैलाश नगर जाने वाले मार्ग के रेलवे फाटक पर फ्लाई ओवर का ऐलान भी जमीन के अभाव में ही अटका पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने इंदौर शहर में एक और बस अड्डा बनाने की घोषणा कर डाली थी, लेकिन नगरीय विकास विभाग इस काम को मुश्किल बता रहा है क्योंकि वहां पहले से आईएसबीटी बन रहा है।
मुख्यमंत्री ने पान उमरिया को नगर परिषद बनाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में वे इसे भूल गए। इसी तरह से उन्होंने भोपाल के कमलापार्क के रानी कमलापति महल के जीर्णोद्धार की घोषणा कर दी थी लेकिन बाद में पता लगा कि यह इमारत तो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है।