आमर्त्य सेन बोले- 'जय श्री राम' बंगाली संस्कृति का नारा नहीं, लोगों को पीटने का हथियार बन गया है

Written by sabrang india | Published on: July 6, 2019
पश्चिम बंगाल में इन दिनों जय श्री राम का नारा भी खासा सुनाई दे रहा है। पश्चिम बंगाल के साथ ही देशभर में इस नारे को एक तरह से हूटिंग के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इतना ही नहीं जय श्री राम बुलवाने के लिए या बोलकर हिंसा की जा रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुद भी हूटिंग का सामना करना पड़ा है। इस बीच पश्चिम बंगाल के परिप्रेक्ष्य में नोबेल पुरस्कार विजेता विख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का बयान आया है। 

अमर्त्य सेन ने कहा है कि जय श्री राम का नारा बंगाली संस्कृति का हिस्सा नहीं है और यह जंग छेड़ने का हथियार है। दरअसल अमर्त्य सेन शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मशहूर जादवपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। 

यूनिवर्सिटी के गांधी भवन में अमर्त्य सेन ने Kolkata after Independence: Apersonal Memoir विषय पर अपने विचार रखे। इसी दौरान अमर्त्य सेन से जब बंगाल में इन दिनों काफी सुनाई दे रहे जय श्री राम के नारे को लेकर सवाल किया गया तो इस पर अमर्त्य सेन ने कहा कि ‘मेरी जानकारी के हिसाब से जय श्री राम का नारा पारंपरिक बंगाली नारा नहीं है।’

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री ने कहा कि ‘इसे हाल के दिनों में यहां लाया गया है। अब इसका इस्तेमाल लोगों को पीटने में किया जाता है। मुझे लगता है कि इसका बंगाली संस्कृति से कोई संबंध नहीं है। इन दिनों कोलकाता में राम नवमी ज्यादा सेलिब्रेट की जाती है, जो कि पहले नहीं होता था। अमर्त्य सेन ने कहा कि मैंने अपनी 4 साल की पोती से पूछा था कि उसकी पसंदीदा देवी या देवता कौन हैं? इस पर उसने जवाब दिया कि ‘मां दुर्गा’। बंगाल में मां दुर्गा के प्रभाव की राम नवमी के साथ तुलना नहीं की जा सकती।’

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