नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने रविवार को सभी विपक्षी दलों को एक साथ आने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सभी गैर-सांप्रदायिक ताकतों को वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिये एक साथ आना चाहिए और वाम दलों को उनके साथ शामिल होने में ‘हिचकना’ नहीं चाहिए क्योंकि ‘लोकतंत्र खतरे में है।’
उन्होंने कहा, ‘हमें निश्चित रूप से निरंकुशता के विरुद्ध विरोध जताना चाहिए। हमें निश्चित रूप से उनकी निरंकुश प्रवृत्तियों के खिलाफ लड़ना चाहिए। हमें निश्चित रूप से उन मुद्दों की आलोचना करनी चाहिए जहां हमें गैर-सांप्रदायिक दक्षिणपंथी ताकतों के विरोध की आवश्यकता हो। लेकिन जब बात सांप्रदायिकता से लड़ने की आये तो हमें बिल्कुल अपने हाथ पीछे नहीं खींचने चाहिए, जो आज सबसे बड़ा खतरा बन गया है।’
उन्होंने केन्द्र की बीजेपी सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को ‘महज 31 प्रतिशत वोट मिले और राजनीति में अपने गलत इरादों’ की बदौलत पार्टी सत्ता में आयी। सेन ने यहां के शिशिर मंच सभागार में सवाल-जवाब सत्र के दौरान कहा, ‘वर्ष 2014 में चुनावों में क्या हुआ? एक पार्टी जिसे 55 प्रतिशत सीटें मिलीं, लेकिन वास्तव में उसने कुल मतों का महज 31 प्रतिशत मत पाया... वह सत्ता में आयी...। एक गलत इरादों वाली पार्टी।’
उन्होंने कहा, ‘हमें निश्चित रूप से निरंकुशता के विरुद्ध विरोध जताना चाहिए। हमें निश्चित रूप से उनकी निरंकुश प्रवृत्तियों के खिलाफ लड़ना चाहिए। हमें निश्चित रूप से उन मुद्दों की आलोचना करनी चाहिए जहां हमें गैर-सांप्रदायिक दक्षिणपंथी ताकतों के विरोध की आवश्यकता हो। लेकिन जब बात सांप्रदायिकता से लड़ने की आये तो हमें बिल्कुल अपने हाथ पीछे नहीं खींचने चाहिए, जो आज सबसे बड़ा खतरा बन गया है।’
उन्होंने केन्द्र की बीजेपी सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को ‘महज 31 प्रतिशत वोट मिले और राजनीति में अपने गलत इरादों’ की बदौलत पार्टी सत्ता में आयी। सेन ने यहां के शिशिर मंच सभागार में सवाल-जवाब सत्र के दौरान कहा, ‘वर्ष 2014 में चुनावों में क्या हुआ? एक पार्टी जिसे 55 प्रतिशत सीटें मिलीं, लेकिन वास्तव में उसने कुल मतों का महज 31 प्रतिशत मत पाया... वह सत्ता में आयी...। एक गलत इरादों वाली पार्टी।’