जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बीते 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिल पर हुए हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव जारी है. इसके जवाब में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया था. इस हवाई हमले के बाद से पाकिस्तानी वायुक्षेत्र का इस्तेमाल प्रतिबंधित हो जाना एयर इंडिया के लिए महंगा पड़ रहा है. इस प्रतिबंध के बाद उड़ानें लंबी हो गई हैं, क्योंकि उन्हें किसी न किसी जगह रुककर जाना पड़ता है, इसलिए एयर लाइन को अब साठ करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च कर चुकी है, यह रकम प्रत्येक दिन बढ़ती जा रही है.
पश्चिम की ओर जाने वाली एयर इंडिया की उड़ानें अब पाकिस्तान के वायुक्षेत्र से होकर नहीं जा सकतीं, और उन्हें यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका जाने के लिए दक्षिण की ओर होकर, यानी गुजरात के ऊपर से होते हुए अरब सागर पार कर जाना पड़ता है. एयर इंडिया के लिए सबसे ज़्यादा दिक्कत पैदा करने वाली उड़ानें अमेरिका के पूर्वी तट - वाशिंगटन, न्यूयार्क, नेवार्क तथा शिकागो - जाने वाली उड़ानें हैं.
ये उड़ानें अब नॉन-स्टॉप नहीं जा सकतीं और इन्हें शारजाह या विएना में ईंधन भरवाने के लिए रुकना पड़ता है. ईंधन के लिए हर बार रुकने पर, जो आते और जाते - दोनों वक्त अनिवार्य हो जाता है, एयरलाइन को औसतन लगभग 50 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसके अलावा एयरलाइन को क्रू तथा इंजीनियरों को विएना में भी तैनात रखना पड़ता है, इसलिए 16 मार्च तक एयर इंडिया लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
हालांकि प्रशांत महासागर के ऊपर से होकर दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जाने वाली उड़ान इससे प्रभावित नहीं हुई है.
हर उड़ान के साथ बढ़ते जा रहे घाटे की वजह से एयर इंडिया ने विएना में रुकना सिर्फ दो उड़ानों के लिए तय किया है, जबकि शेष सभी उड़ानों में मुंबई में ही दोबारा ईंधन भरा जा रहा है. लेकिन यह भी दिक्कत वाला काम है, क्योंकि उत्तरी अमेरिका की ओर जाने वाली उड़ानों में मुंबई में ईंधन भरा जाना भी काफी महंगा पड़ता है. दरअसल, हर विमान में यात्रियों की संख्या पर पाबंदियां लगाई गई हैं. यदि कोई विमान कम यात्री लेकर आता है, तो उसकी कमाई भी कम होती है, और ऐसा हर सेक्टर में होता है.
उधर, यात्रियों के लिए सबसे बड़ी चिंता उड़ान में लगने वाला वक्त है. बहुत ज़्यादा लम्बी उड़ानें, जब से एयर इंडिया ने बोइंग 777-300ईआर तथा बोइंग 777-200एलआर विमानों को फ्लीट में शामिल किया, अब पहले के मुकाबले लगभग चार घंटे ज़्यादा वक्त लेने लगी हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिका जाने वाली उड़ानें अब पुनः ईंधन भरे जाने का वक्त मिलाकर 18 घंटे से भी ज़्यादा समय लेंगी.
एयर इंडिया की यूरोप जाने वाली बोइंग 787-800 'ड्रीमलाइनर' सेवा पर भी पाकिस्तानी वायुक्षेत्र बंद हो जाने से खासा असर पड़ा है. एयरलाइन ने बर्मिंघम तथा मैड्रिड जाने वाली उड़ानों को रद्द कर दिया है, क्योंकि इसके लिए उन्हें एक अतिरिक्त पायलट तैनात करना पड़ता है. यूरोप में किसी भी गंतव्य पर जाने वाली हर उड़ान को इस वक्त लगभग दो घंटे ज़्यादा लग रहे हैं.
पश्चिम की ओर जाने वाली एयर इंडिया की उड़ानें अब पाकिस्तान के वायुक्षेत्र से होकर नहीं जा सकतीं, और उन्हें यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका जाने के लिए दक्षिण की ओर होकर, यानी गुजरात के ऊपर से होते हुए अरब सागर पार कर जाना पड़ता है. एयर इंडिया के लिए सबसे ज़्यादा दिक्कत पैदा करने वाली उड़ानें अमेरिका के पूर्वी तट - वाशिंगटन, न्यूयार्क, नेवार्क तथा शिकागो - जाने वाली उड़ानें हैं.
ये उड़ानें अब नॉन-स्टॉप नहीं जा सकतीं और इन्हें शारजाह या विएना में ईंधन भरवाने के लिए रुकना पड़ता है. ईंधन के लिए हर बार रुकने पर, जो आते और जाते - दोनों वक्त अनिवार्य हो जाता है, एयरलाइन को औसतन लगभग 50 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसके अलावा एयरलाइन को क्रू तथा इंजीनियरों को विएना में भी तैनात रखना पड़ता है, इसलिए 16 मार्च तक एयर इंडिया लगभग 60 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है.
हालांकि प्रशांत महासागर के ऊपर से होकर दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जाने वाली उड़ान इससे प्रभावित नहीं हुई है.
हर उड़ान के साथ बढ़ते जा रहे घाटे की वजह से एयर इंडिया ने विएना में रुकना सिर्फ दो उड़ानों के लिए तय किया है, जबकि शेष सभी उड़ानों में मुंबई में ही दोबारा ईंधन भरा जा रहा है. लेकिन यह भी दिक्कत वाला काम है, क्योंकि उत्तरी अमेरिका की ओर जाने वाली उड़ानों में मुंबई में ईंधन भरा जाना भी काफी महंगा पड़ता है. दरअसल, हर विमान में यात्रियों की संख्या पर पाबंदियां लगाई गई हैं. यदि कोई विमान कम यात्री लेकर आता है, तो उसकी कमाई भी कम होती है, और ऐसा हर सेक्टर में होता है.
उधर, यात्रियों के लिए सबसे बड़ी चिंता उड़ान में लगने वाला वक्त है. बहुत ज़्यादा लम्बी उड़ानें, जब से एयर इंडिया ने बोइंग 777-300ईआर तथा बोइंग 777-200एलआर विमानों को फ्लीट में शामिल किया, अब पहले के मुकाबले लगभग चार घंटे ज़्यादा वक्त लेने लगी हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि अमेरिका जाने वाली उड़ानें अब पुनः ईंधन भरे जाने का वक्त मिलाकर 18 घंटे से भी ज़्यादा समय लेंगी.
एयर इंडिया की यूरोप जाने वाली बोइंग 787-800 'ड्रीमलाइनर' सेवा पर भी पाकिस्तानी वायुक्षेत्र बंद हो जाने से खासा असर पड़ा है. एयरलाइन ने बर्मिंघम तथा मैड्रिड जाने वाली उड़ानों को रद्द कर दिया है, क्योंकि इसके लिए उन्हें एक अतिरिक्त पायलट तैनात करना पड़ता है. यूरोप में किसी भी गंतव्य पर जाने वाली हर उड़ान को इस वक्त लगभग दो घंटे ज़्यादा लग रहे हैं.