आर्थिक संकट का सामना कर रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. दरअसल एक आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी के मुताबिक 31 मार्च 2019 तक भारत सरकार के पास एयर इंडिया का 598.55 करोड़ रूपये का बकाया है.
समाचार वेबसाइट स्क्रॉल.इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 598.55 करोड़ रूपये की इस कुल बकाया राशि का करीब 50 फीसदी हिस्सा यानी कि 297.08 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कार्यालय के पास बकाया है. बकाया राशि का ज्यादातर हिस्सा विमान रखरखाव से संबंधित है.
दरअसल सेवानिवृत्त कोमोडोर लोकेश बत्रा ने 3 अप्रैल को आरटीआई से इस संबंध में जानकारी मांगी थी जिसका जवाब उन्हें शुक्रवार (17 मई) को मिला. बत्रा ने कहा कि साल 2008 के भुगतान अभी तक लंबित हैं.
बत्रा ने कहा कि मीडिया अक्सर रिपोर्ट करता रहता है कि कर्मचारियों के वेतन में देरी होती है, लेकिन क्यों? अंतत: ये करदाता हैं, जो शासन के खर्चों का भुगतान करते हैं.
उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने साल 2016 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत सरकार द्वारा भुगतान में देरी के वजह से एयरलाइन का फाइनेंस प्रभावित हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2017 तक सरकार के पास एयर इंडिया का 513.27 करोड़ रुपये बकाया बकाया था.
एयर इंडिया ने इस संबंध में दी गई सूचना को किसी व्यक्ति द्वारा बुक किए गए फ्लाइट पर आया खर्च या विमान के रखरखाव पर आए खर्च के आधार पर विभाजित किया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय में कैबिनेट सचिव प्रधानमंत्री की फ्लाइट से संबंधित जानकारी मैनेज करते हैं. इस विभाग पर एयर इंडिया का 297.081 करोड़ रुपये बकाया है, जो जमा की गई कुल राशि का 37 फीसदी है.
ये सभी बकाया राशि 2018 और 2019 के बीच का है. सबसे ज्यादा बकाया राशि जुलाई 2018 में 203.54 करोड़ रुपये है.
राष्ट्रपति के फ्लाइट का प्रबंधन संभालने वाले रक्षा मंत्रालय पर एयर इंडिया का 212.19 करोड़ रुपये बकाया है, जो इस मंत्रालय को दिए गए बिल का लगभग 70 फीसदी है.
सबसे पुराना बिल साल 2009 का है और इस साल का 4.44 करोड़ रुपये बकाया है. सबसे ज्यादा बकाया जुलाई 2018 का है. इस महीने में बोइंग 747-400 के रखरखाव के लिए 160.76 करोड़ रुपये का खर्चा आया.
विदेश मंत्रालय उपराष्ट्रपति के उड़ानों को मैनेज करता है. इस मंत्रालय ने अपना 82 फीसदी बकाया का भुगतान कर दिया है और फिलहाल इस पर एयर इंडिया का 66.946 करोड़ रुपये बकाया है. इस विभाग में सबसे पुराना बकाया 2008 और 2009 का है.
समाचार वेबसाइट स्क्रॉल.इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 598.55 करोड़ रूपये की इस कुल बकाया राशि का करीब 50 फीसदी हिस्सा यानी कि 297.08 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री कार्यालय के पास बकाया है. बकाया राशि का ज्यादातर हिस्सा विमान रखरखाव से संबंधित है.
दरअसल सेवानिवृत्त कोमोडोर लोकेश बत्रा ने 3 अप्रैल को आरटीआई से इस संबंध में जानकारी मांगी थी जिसका जवाब उन्हें शुक्रवार (17 मई) को मिला. बत्रा ने कहा कि साल 2008 के भुगतान अभी तक लंबित हैं.
बत्रा ने कहा कि मीडिया अक्सर रिपोर्ट करता रहता है कि कर्मचारियों के वेतन में देरी होती है, लेकिन क्यों? अंतत: ये करदाता हैं, जो शासन के खर्चों का भुगतान करते हैं.
उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने साल 2016 की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत सरकार द्वारा भुगतान में देरी के वजह से एयरलाइन का फाइनेंस प्रभावित हो रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2017 तक सरकार के पास एयर इंडिया का 513.27 करोड़ रुपये बकाया बकाया था.
एयर इंडिया ने इस संबंध में दी गई सूचना को किसी व्यक्ति द्वारा बुक किए गए फ्लाइट पर आया खर्च या विमान के रखरखाव पर आए खर्च के आधार पर विभाजित किया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय में कैबिनेट सचिव प्रधानमंत्री की फ्लाइट से संबंधित जानकारी मैनेज करते हैं. इस विभाग पर एयर इंडिया का 297.081 करोड़ रुपये बकाया है, जो जमा की गई कुल राशि का 37 फीसदी है.
ये सभी बकाया राशि 2018 और 2019 के बीच का है. सबसे ज्यादा बकाया राशि जुलाई 2018 में 203.54 करोड़ रुपये है.
राष्ट्रपति के फ्लाइट का प्रबंधन संभालने वाले रक्षा मंत्रालय पर एयर इंडिया का 212.19 करोड़ रुपये बकाया है, जो इस मंत्रालय को दिए गए बिल का लगभग 70 फीसदी है.
सबसे पुराना बिल साल 2009 का है और इस साल का 4.44 करोड़ रुपये बकाया है. सबसे ज्यादा बकाया जुलाई 2018 का है. इस महीने में बोइंग 747-400 के रखरखाव के लिए 160.76 करोड़ रुपये का खर्चा आया.
विदेश मंत्रालय उपराष्ट्रपति के उड़ानों को मैनेज करता है. इस मंत्रालय ने अपना 82 फीसदी बकाया का भुगतान कर दिया है और फिलहाल इस पर एयर इंडिया का 66.946 करोड़ रुपये बकाया है. इस विभाग में सबसे पुराना बकाया 2008 और 2009 का है.