उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर में खनन कार्य पर रोक लगाई, अधिकारियों को फटकारा

Written by sabrang india | Published on: January 8, 2025
आयुक्तों की रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमि का धंसना चिंताजनक स्तर पर है और “क्षेत्र में सोपस्टोन खनन गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को जन्म दे रहा है, जिसका खामियाजा समुदाय को भुगतना पड़ रहा है।”


साभार : लाइव लॉ

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को बागेश्वर में अगले आदेश तक सभी खनन कार्यों पर रोक लगाते हुए इसे विडंबनापूर्ण बताया कि प्रशिक्षित अधिकारियों ने पहाड़ी की तलहटी में खनन कार्यों की अनुमति दी है जबकि ऊंचाई पर राजस्व गांवों हैं।

यह निर्णय न्यायालय द्वारा नियुक्त आयुक्तों द्वारा जिले में सोपस्टोन खनन पर एक रिपोर्ट पेश करने के बाद लिया गया।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र की पीठ ने आदेश में कहा, “रिपोर्ट न केवल चिंताजनक है, बल्कि चौंकाने वाली भी है। रिपोर्ट और तस्वीरें स्पष्ट रूप से खननकर्ताओं द्वारा पूर्ण अराजकता को दर्शाती हैं और स्थानीय प्रशासन द्वारा उल्लंघन पर आंखें मूंद लेने का प्रमाण हैं। इसके अलावा, प्रथम दृष्टया रिपोर्ट और तस्वीरें बताती हैं कि पहले से ही आवासीय घरों को नुकसान पहुंचा चुकी खनन गतिविधियां भविष्य में भूस्खलन और निश्चित रूप से जानमाल को नुकसान पहुंचा सकती है।”

आयुक्तों की रिपोर्ट में कहा गया है कि भूमि का धंसना चिंताजनक स्तर पर है और “क्षेत्र में सोपस्टोन खनन गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को जन्म दे रहा है, जिसका खामियाजा समुदाय को भुगतना पड़ रहा है।”

न्यायालय ने कहा कि तस्वीरें विशाल दरारों को दर्शाती हैं जो भविष्य में भूस्खलन का संकेत देती हैं जिससे कई लोगों की जान जा सकती है। न्यायालय ने कहा, "अगले आदेशों तक बागेश्वर जिले में सभी खनन कार्य तत्काल प्रभाव से स्थगित रहेंगे।"

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अवैध रूप से पेड़ों की कटाई, खदान संचालकों द्वारा वन भूमि का अनधिकृत इस्तेमाल करना, नेपाल से विदेशी श्रमिकों को काम पर रखना और श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। इसमें वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण तथा झरनों के सूखने की ओर भी इशारा किया गया है।

कांडा-कन्याल, कांडा और अन्य खनन स्थलों के गांवों में भूमि धंसने की समस्या पाई गई।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एनजीटी में प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र की वनस्पतियों में ओक, देवदार और सरू के पेड़ हैं और वहां के वन्यजीवों में तेंदुआ, जंगली सूअर और लोमड़ी हैं।

डक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने सोपस्टोन खनन गतिविधियों के कारण घरों में दरारें पड़ने की खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की।

बताया गया कि बागेश्वर की कांडा तहसील के कई गांवों में दरारें पड़ गई हैं। इससे पहले कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की पीठ ने ग्रामीणों की समस्याओं को समझने में न्यायालय की सहायता के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए थे और उन्हें रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

न्यायालय इस मामले की सुनवाई 9 जनवरी को करेगा।

बाकी ख़बरें