आरएसएस की अगले चार महीने में काशी के हर एक गांव में शाखा लगाने की तैयारी में है। इस शाखा में सहभोज के जरिए आरएसएस ओबीसी व दलितों में अपनी पैठ को मजबूत करने की कोशिश करेगा।
प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : आज तक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की अगले चार महीने में काशी के हर एक गांव में शाखा लगाने की तैयारी में है। इस शाखा में सहभोज के जरिए आरएसएस ओबीसी व दलितों में अपनी पैठ को मजबूत करने की कोशिश करेगा। आरएसएस की इस तैयारी को लेकर चुनावी मायने निकाले जा रहे हैं। वहीं कई लोगों का कहना है कि संघ को ओबीसी व दलित केवल वोटों के लिए ही याद आते हैं। ज्ञात हो कि दलितों को उनकी सामाजिक स्थिति को लेकर कई बार निशाना बनाया गया है और उन पर हमले किए गए हैं।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अगले साल मार्च तक काशी के गांव-गांव में शाखा लगाने का लक्ष्य स्वयंसेवकों को मिल गया है। संघ के विचारों को सभी धर्म संप्रदायों के बीच रखा जाएगा। साथ ही सहभोज कार्यक्रमों के जरिये पिछड़े और दलितों में भी संघ अपनी पैठ मजबूत करेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में अपना शताब्दी वर्ष पूरा कर रहा है। इसी के तहत सारे कार्यक्रमों की तैयारियां चल रही हैं।
ज्ञात हो कि मथुरा में हुए स्वयंसेवकों को अगले चार महीने का प्लान मिल गया है। इसमें गांव-गांव तक शाखा पहुंचाने को प्रमुखता से रखा गया है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अखबार को बताया कि इसी के साथ पहले से चल रहे कार्यक्रम सहभोज को तेजी के साथ आगे बढ़ाने को कहा गया है। इसके अलावा एक जलाशय, एक देवालय और एक श्मशान की विचारधारा को लोगों के बीच पहुंचाने को कहा गया है।
ध्यान रहे कि मथुरा में हुए कार्यक्रम में संघ ने सीएम योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के बयान का समर्थन किया था। इन सभी कार्यक्रमों के भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। विपक्ष के पीडीए के काट के रूप में संघ ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदू एकता को बल देना चाहता है ताकि भविष्य में लोग एकजुट रहें और जातियों में बंटकर वोट न करें।
बता दें कि सामाजिक सदभाव की बात करने वाले लोगों का कहना है कि संघ केवल वोट के लिए ही ओबीसी और दलित की बात करता है। वोट को छोड़कर इस समाज के लोगों के निजी विकास को लेकर संघ को चिंता नहीं होती है।
ज्ञात हो कि एक सप्ताह पहले यूपी के कानपुर इलाके में 16 वर्षीय दलित लड़के पर छात्रों के एक समूह ने कथित तौर पर हमला किया और उसे "जय श्री राम" का नारा लगाने के लिए मजबूर किया। द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना तब सामने आई जब हमले का एक वीडियो ऑनलाइन सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : आज तक
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की अगले चार महीने में काशी के हर एक गांव में शाखा लगाने की तैयारी में है। इस शाखा में सहभोज के जरिए आरएसएस ओबीसी व दलितों में अपनी पैठ को मजबूत करने की कोशिश करेगा। आरएसएस की इस तैयारी को लेकर चुनावी मायने निकाले जा रहे हैं। वहीं कई लोगों का कहना है कि संघ को ओबीसी व दलित केवल वोटों के लिए ही याद आते हैं। ज्ञात हो कि दलितों को उनकी सामाजिक स्थिति को लेकर कई बार निशाना बनाया गया है और उन पर हमले किए गए हैं।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अगले साल मार्च तक काशी के गांव-गांव में शाखा लगाने का लक्ष्य स्वयंसेवकों को मिल गया है। संघ के विचारों को सभी धर्म संप्रदायों के बीच रखा जाएगा। साथ ही सहभोज कार्यक्रमों के जरिये पिछड़े और दलितों में भी संघ अपनी पैठ मजबूत करेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 2025 में अपना शताब्दी वर्ष पूरा कर रहा है। इसी के तहत सारे कार्यक्रमों की तैयारियां चल रही हैं।
ज्ञात हो कि मथुरा में हुए स्वयंसेवकों को अगले चार महीने का प्लान मिल गया है। इसमें गांव-गांव तक शाखा पहुंचाने को प्रमुखता से रखा गया है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने अखबार को बताया कि इसी के साथ पहले से चल रहे कार्यक्रम सहभोज को तेजी के साथ आगे बढ़ाने को कहा गया है। इसके अलावा एक जलाशय, एक देवालय और एक श्मशान की विचारधारा को लोगों के बीच पहुंचाने को कहा गया है।
ध्यान रहे कि मथुरा में हुए कार्यक्रम में संघ ने सीएम योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे के बयान का समर्थन किया था। इन सभी कार्यक्रमों के भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। विपक्ष के पीडीए के काट के रूप में संघ ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदू एकता को बल देना चाहता है ताकि भविष्य में लोग एकजुट रहें और जातियों में बंटकर वोट न करें।
बता दें कि सामाजिक सदभाव की बात करने वाले लोगों का कहना है कि संघ केवल वोट के लिए ही ओबीसी और दलित की बात करता है। वोट को छोड़कर इस समाज के लोगों के निजी विकास को लेकर संघ को चिंता नहीं होती है।
ज्ञात हो कि एक सप्ताह पहले यूपी के कानपुर इलाके में 16 वर्षीय दलित लड़के पर छात्रों के एक समूह ने कथित तौर पर हमला किया और उसे "जय श्री राम" का नारा लगाने के लिए मजबूर किया। द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना तब सामने आई जब हमले का एक वीडियो ऑनलाइन सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की।