तिरुमला मंदिर का प्रसाद: लड्डू में घी की जगह मछली का तेल?  

Written by sabrang india | Published on: September 20, 2024
नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की जांच में तिरुपति मंदिर के लड्डू और अन्नदानम के सैम्पल में यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आंध्र प्रदेश में सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है।


फोटो साभार : एक्स

करोड़ों लोगों की आस्‍था से खिलवाड़ का एक बड़ा मामला सामने आया है। प्रसिद्ध तिरुमला मंदिर में मिलने वाले लड्डू में मिलावट की बात सामने आई है।

न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने लड्डू में चर्बी और बीफ पाए जाने की पुष्टि की है। रिपोर्ट में सनसनीखेज खुलासा किया गया है कि तिरुपति मंदिर का लड्डू बनाने में मछली का तेल, बीफ और चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रसाद के रूप में इन लड्डुओं का वितरण न केवल श्रद्धालुओं के बीच किया गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के तौर पर यही लड्डू चढ़ाया जाता था।

रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की जांच में तिरुपति मंदिर के लड्डू और अन्नदानम के सैम्पल में यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद आंध्र प्रदेश में सियासी तूफान उठ खड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने वाईएस जगन मोहन रेड्डी पर आरोप लगाया कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने तिरुमला में लड्डू तैयार करने के लिए घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया। यह प्रसाद भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में आने वाले करोड़ों भक्तों को दिया जाता है।

हर दिन, हजारों भक्त भगवान से आशीर्वाद लेने के लिए आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर आते हैं। यहां उन्हें प्रसाद (आशीर्वाद) के रूप में तिरुपति लड्डू मिलता है। हालांकि, भक्तों के लिए दिया जाने वाला यह प्रसाद अब एक बड़े विवाद का विषय बन गया है।

मुख्यमंत्री नायडू ने दावा किया है कि लड्डू बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली एक प्रमुख सामग्री में पशु वसा और मछली का तेल होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मिलावट उनके पूर्ववर्ती जगन मोहन रेड्डी के शासन के दौरान हुई थी, जिसे वाईएसआर कांग्रेस ने जोरदार खंडन किया है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह विवाद तब शुरू हुआ जब नायडू ने एनडीए विधायक दल की बैठक में दावा किया कि जगन मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली पिछली वाईएसआर कांग्रेस ने तिरुपति लड्डू की तैयारी में घटिया सामग्री और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया।

नायडू ने कहा, "यहां तक कि तिरुमाला लड्डू भी घटिया सामग्री से बनाए गए थे... उन्होंने घी की जगह पशु वसा का इस्तेमाल किया था।" उन्होंने आगे कहा कि इस खुलासे के बाद अब शुद्ध घी का इस्तेमाल किया जा रहा है और मंदिर के अंदर सब कुछ साफ कर दिया गया है।

बाद में, आंध्र प्रदेश के आईटी मंत्री नारा लोकेश ने इसे एक्स पर पोस्ट किया, जिसमें पिछले प्रशासन पर अपनी हैरानी जाहिर की। “तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर हमारा सबसे पवित्र मंदिर है। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जगन प्रशासन ने तिरुपति प्रसादम में घी के बजाय पशु वसा का इस्तेमाल किया। जगन और वाईसीआर पार्टी की सरकार पर शर्म आती है जो करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सकी।”

नायडू के इन दावों पर आंध्र सरकार ने एक प्रयोगशाला रिपोर्ट सार्वजनिक की, जिसने पुष्टि की कि प्रतिष्ठित मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसिद्ध ‘प्रसादम’ में पशु वसा और मछली का तेल मौजूद था। यह रिपोर्ट NDDB CALF (पशुधन और खाद्य में विश्लेषण और सीखने का केंद्र) द्वारा तैयार की गई थी।

टीडीपी नेता अनम वेंकट रमण रेड्डी ने रिपोर्ट सार्वजनिक करते हुए कहा कि इसमें घी में गोमांस की चर्बी, लार्ड और मछली के तेल की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। सैंपल की प्राप्ति की तारीख 9 जुलाई, 2024 थी और लैब रिपोर्ट 16 जुलाई की थी।

रमण रेड्डी ने कहा, "इस घी में मछली का तेल, गोमांस की चर्बी और लार्ड है। ये लार्ड सूअर के वसा ऊतक को पिघलाकर प्राप्त किया जाने वाला हल्का ठोस सफेद वसा उत्पाद है। गठबंधन सरकार द्वारा एनडीडीबी के CALF को नमूने भेजे जाने के बाद इसकी पुष्टि हुई है।"

हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि गलत सकारात्मकता (फॉल्स पॉजिटिव्स) की संभावना है। इसमें कहा गया है कि कुछ परिस्थितियां, जैसे गायों को वनस्पति तेलों से भरपूर चारा खिलाना या दूध को कोलेस्ट्रॉल हटाने जैसे तकनीकी उपचार, गलत सकारात्मकता का कारण बन सकते हैं।

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