अन्ना यूनिवर्सिटी रेप मामले में राजनीतिक उथल-पुथल

Written by sabrang india | Published on: January 8, 2025
अन्ना यूनिवर्सिटी रेप मामले को लेकर लोगों में बेहद नाराजगी है। इस घटना ने सुरक्षा में चूक और राजनीतिक शोषण को उजागर किया है। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा के लिए गांधीजी के सपने को पूरा करने में निरंतर विफलता को उजागर किया है।



"जिस दिन एक महिला रात में सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चल सकेगी, उस दिन हम कह सकते हैं कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है।” ये शब्द राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहे थे। हालांकि, सड़कों पर स्वतंत्र रूप से चलना तो भूल जाएं, भारत की स्वतंत्रता की इस 77वीं वर्षगांठ पर हमें शर्म से अपना सिर झुकाना चाहिए क्योंकि तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के सबसे प्रतिष्ठित और विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों में से एक विश्वविद्यालय में एक छात्रा के साथ रेप का मामला सामने आया है।

23 दिसंबर, 2024 की रात को करीब 7:45 बजे अन्ना यूनिवर्सिटी के पास सड़क किनारे होटल चलाने वाले ज्ञानसेकरन नाम के एक व्यक्ति ने कथित तौर पर परिसर में प्रवेश किया और पीड़िता के अपने प्रेमी के साथ होने के अंतरंग पल का गुप्त तरीके से वीडियो बनाया। उसे पता नहीं था कि यह दरिंदा जल्द ही उसकी जिंदगी को बर्बाद कर देगा। बॉयफ्रेंड पर हमला करने के बाद आरोपी ने पीड़िता को घसीटकर पास की झाड़ियों में ले गया और उसे धमकाया। उसने कहा कि वह "सहयोग करे" (यानी उसके साथ यौन संबंध बनाए)। चेतावनी दी कि अगर उसने मना किया तो वह इस अंतरंग फुटेज को उसके डीन और माता-पिता को भेज देगा। डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 दिसंबर, 2024 को दर्ज की गई एफआईआर में पीड़िता ने बताया कि कैसे वह ब्लैकमेल के दुष्चक्र में फंस गई। आरोपी ने कथित हमले को फिल्माया भी था और फुटेज का इस्तेमाल उसे और धमकाने के लिए किया था, जिसमें कहा गया था कि भविष्य में जब भी उसे बुलाया जाएगा, उसे उसका कहना मानना होगा। उसने हमले के दौरान एक गुमनाम "सर" का भी जिक्र किया, जिसके साथ वह फोन पर था। आरोपी पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 63, 64 और 75 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार आरोपी को 25 दिसंबर, 2024 को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, यह आरोप लगे कि एफआईआर जिसमें पीड़िता का नाम, पिता का नाम, उम्र और निवास जैसे संवेदनशील विवरण शामिल थे वे लीक हो गए। इसने एक बड़े विवाद को जन्म दिया जिसके कारण राज्य में कई घटनाएं शुरू हुईं। कई विपक्षी नेताओं ने राज्य की पुलिस विभाग से इस लीक के पीछे का कारण बताने के लिए कहा। आरोप लगाया कि यह सरकार द्वारा संभावित बलात्कार पीड़ितों को शिकायत दर्ज करने से हतोत्साहित करने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास था। तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश नेता अन्नामलाई ने खुद को छह बार कोड़े मारे और डीएमके के सत्ता से बाहर होने तक जूते न पहनने का संकल्प लिया। इस बीच भाजपा और AIADMK (राज्य में एक अन्य प्रमुख विपक्षी दल) दोनों के आईटी विंग ने आरोपी ज्ञानशेखरन की डीएमके पार्टी के नेताओं के साथ तस्वीरें जारी कीं। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी गुंडों और अपराधियों से जुड़ी हुई है और आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है। जवाब में, डीएमके नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया के जमाने में लोगों के साथ तस्वीरें खिंचवाना आम बात है और इसे समर्थन या जुड़ाव के रूप में गलत नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और बचाव के आरोपों को निराधार और काल्पनिक बताया।

28 दिसंबर, 2024 को मद्रास उच्च न्यायालय ने तीन महिला पुलिस अधिकारियों वाली एक विशेष जांच टीम (SIT) के गठन का आदेश दिया और पीड़िता को दोहरे हादसे यानी बलात्कार और एफआईआर लीक होने के कारण पीड़िता को शर्मिंदा करने के मामले के लिए 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया। अदालत ने एफआईआर तैयार करने के तरीके को लेकर कड़ी निंदा की और टिप्पणी की कि पुरुषों की तरह महिलाओं की भी इच्छाएं होती हैं और उन्हें अपनी पसंद के व्यक्ति से प्रेम करने या संबंध बनाने की स्वतंत्रता होती है। कोर्ट ने इस पर जोर दिया कि इस तरह के व्यक्तिगत निर्णयों का इस गंभीर प्रकृति के घटनाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

अदालत ने परिसर की सुरक्षा में गंभीर चूक को भी उजागर किया जिसमें सीसीटीवी कैमरों की खराबी और सुरक्षा गार्डों की तैनाती में कमी की ओर इशारा किया गया जिससे अनधिकृत लोगों को विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने का मौका मिल गया।

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने स्पष्ट किया कि एफआईआर लीक तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुई है और यह पुराने आपराधिक कानून (आईपीसी) से नए आपराधिक कानून (बीएनएस) में डेटा माइग्रेट करते समय हुआ। इसका राज्य और संसद द्वारा उठाए गए बेतूका कदम से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी, भाजपा के विवादित नेता अन्नामलाई ने तथ्यों को गलत तरीके से पेश करके और ध्यान खींचने की कोशिश करके राज्य सरकार को बदनाम करना जारी रखा क्योंकि उन्हें बस यही चाहिए।

2 जनवरी, 2025 को मद्रास उच्च न्यायालय ने अन्ना विश्वविद्यालय बलात्कार मामले के राजनीतिकरण पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाइयों में न्याय के प्रति वास्तविक चिंता का अभाव है। अदालत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता अन्नामलाई ने अफसोस जताया कि कोई भी आरोपी के हिस्ट्रीशीटर के रूप में इसके इतिहास पर चर्चा नहीं कर रहा है। उसके खिलाफ कई लंबित आपराधिक मामले हैं। अन्नामलाई को सबसे पहले कानून के बारे में जानकारी हासिल करनी चाहिए कि व्यक्ति के पिछले बुरे चरित्र का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है और इसके अलावा निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करना अदालत का कर्तव्य है और यह मूर्खों के राजनीतिक ध्यान आकर्षित करने के लिए कोई तरीका नहीं बन सकता। केवल वे ही नहीं बल्कि तेलंगाना के पूर्व राज्यपाल और तमिलनाडु भाजपा इकाई के पूर्व प्रमुख डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन, अभिनेता से राजनेता बनी खुशबू सुंदर, एनटीके नेता सीमन जैसे कई लोग इसी तरह के पब्लिसिटी स्टंट में शामिल रहे हैं जिन्हें बाद में पुलिस अधिकारियों ने हिरासत में लिया।

निजी रंजिशें निपटाने के बजाय नेताओं को रेप के मूल कारणों को हल करने पर ध्यान देना चाहिए। पूरे भारतीय इतिहास में ऐसा कोई नेता नहीं हुआ जिसके कार्यकाल में देश में रेप की कोई घटना नहीं हुई। तुलना अक्सर इस बात पर निर्भर करती है कि किसके कार्यकाल में कानून-व्यवस्था में अपेक्षाकृत कम गिरावट देखी गई। दुख की बात है कि आजादी के 77 साल बाद भी हम महात्मा गांधी के सुरक्षित और अधिक समतापूर्ण समाज के सपने को पूरा करने में विफल रहे हैं।

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