"जिला प्रशासन उनके घर को गिराना चाहता है, उनका दावा है कि इससे हिंदू श्रद्धालुओं को मंदिर की परिक्रमा करने में रूकावट आती है। मंदिर के तीन तरफ से गलियों के जरिए पहुंचा जा सकता है, जबकि चौथा हिस्सा (पीछे का हिस्सा) परिवार के घर से सटा हुआ है।"
फोटो साभार: द ऑब्जर्वर पोस्टयसद्दाम हुसैन
संभल में मुस्लिम समुदाय की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। खग्गू सराय के मुस्लिम बहुल इलाके में ‘सदियों पुराने’ मंदिर की खोज के बाद पास के एक परिवार पर घर खाली करने का प्रशासनिक दबाव बढ़ गया है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट ने परिवार के हवाले से लिखा, जिला प्रशासन उनके घर को गिराना चाहता है, उनका दावा है कि इससे हिंदू श्रद्धालुओं को मंदिर की परिक्रमा करने में रूकावट आती है। मंदिर के तीन तरफ से गलियों के जरिए पहुंचा जा सकता है, जबकि चौथा हिस्सा (पीछे का हिस्सा) परिवार के घर से सटा हुआ है।
अपने घर से जबरन निकाले जाने के डर से परिवार ने स्वेच्छा से अपने घर का एक हिस्सा गिरा दिया। प्रशासन फिर भी संतुष्ट नहीं हुआ और उसने पूरी इमारत को गिराने की बात की। जब परिवार ने घर खाली करने से इनकार कर दिया, तो पुलिस ने 16 जनवरी को परिवार के मुखिया मोहम्मद मतीन को सार्वजनिक शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में ले लिया।
चालीस वर्षीय मतीन पेशे से ड्राइवर थे। उन्हें जमानत मिल गई और 24 जनवरी को रिहा कर दिया गया।
अदीबा जमाल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पिछले साल 13 दिसंबर को संभल जिला प्रशासन ने खग्गू सराय इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान लंबे समय से बंद पड़े श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) की खोज करने का दावा किया था। इसके साथ ही मंदिर को पूजा-अर्चना के लिए फिर से खोल दिया गया।
ऐसा माना जाता है कि 2005 तक पूरी हिंदू आबादी पलायन कर चुकी थी, उसके बाद से केवल खास मौके पर ही पूजा-अर्चना होती थी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, ‘मंदिर’ की खोज के बाद पहले सप्ताह में हिंदूत्ववादी समूहों ने नियमित तरीके से पूजा के लिए भीड़ जुटाई। इसके बावजूद धीरे-धीरे लोगों की संख्या कम होती गई। स्थानीय लोगों का दावा है कि इन समूहों ने मंदिर की देखरेख के लिए एक पुजारी को नियुक्त किया है जो हर शाम घर लौट जाता है।
मोहम्मद मतीन की पत्नी उज़मा परवीन ने द वायर हिंदी को बताया, “जब से मंदिर मिला है, तब से जिला प्रशासन हम पर दबाव बना रहा है। सबसे पहले, उन्होंने हमें अपने घर की बालकनी को तोड़ने के लिए कहा, यह दावा करते हुए कि यह ‘मंदिर की जमीन’ पर अतिक्रमण है। कार्रवाई के डर से हमने ऐसा करने के लिए इजाजत दे दी। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। बाद में, संभल की उप-विभागीय मजिस्ट्रेट वंदना मिश्रा ने हमें मंदिर से सटी दीवार को गिराने के लिए कहा। जब हम राजी नहीं हुए, तो उन्होंने हमें यह कहकर धमकाया कि ऐसा करने पर उन्हें पूरा घर तोड़ देना पड़ेगा। हम पर दबाव बढ़ता ही गया।”
उज़मा ने कहा, “प्रशासन की बार-बार चेतावनी के बावजूद, हम अपना घर तोड़ने के लिए सहमत नहीं हुए। फिर, 16 जनवरी को पुलिस ने मेरे पति को थाने बुलाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनका दावा था कि वह शांति भंग कर रहे थे और हिंदू भक्तों को मंदिर में प्रार्थना करने से रोक रहे थे।”
उनका मानना है कि उनके पति की गिरफ्तारी का उद्देश्य उन्हें घर खाली करने के लिए डराना-धमकाना था।
नखासा पुलिस स्टेशन में मतीन पर बीएनएसएस की धारा 126, 135 और 170 के तहत आरोप लगाए गए हैं। उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए एसडीएम वंदना मिश्रा ने द वायर हिंदी को बताया कि “आरोपी मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश में बाधा डाल रहा था और उन्हें परेशान कर रहा था।”
उजमा ने जोर देकर कहा कि मतीन ने 2002 में अपनी कमाई से जमीन खरीदी थी, न कि विरासत में मिली थी।
उन्होंने दावा किया, "उन्होंने कड़ी मेहनत करके खुद ही यह जमीन खरीदी है। हमारे पास सभी कानूनी दस्तावेज हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि घर को लोन के लिए बैंक में गिरवी रखा गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई है।
उजमा ने कहा, "हमारे पास कोई और संपत्ति नहीं है। हम गरीब लोग हैं। मेरे पति ड्राइवर हैं। अगर वे इस घर को गिरा देंगे, तो हम कहां जाएंगे?"
मतीन और उजमा के तीन बच्चे हैं, जिनमें सबसे बड़ा 16 साल का और सबसे छोटा 10 साल का है।
नखासा थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर ने मोहम्मद मतीन की गिरफ्तारी की पुष्टि की, लेकिन प्रशासन द्वारा परिवार पर घर गिराने के लिए दबाव डालने की किसी भी बात से इनकार किया।
उन्होंने कहा, "मुझे ऐसी धमकियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसके अलावा मेरे अधिकारियों ने ऐसा कोई वारंट जारी नहीं किया है।"
13 दिसंबर को, संभल के जिला प्रशासन ने नखासा थाने के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत खग्गू सराय में एक हिंदू मंदिर की खोज करने का दावा किया। अधिकारियों ने बताया कि 1978 के दंगों के बाद, हिंदू आबादी धीरे-धीरे इलाके से पलायन कर गई, जिससे मंदिर वीरान हो गया।
हालांकि, इस दावे ने लोगों के बीच बहस छेड़ दी है। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "मंदिर कहां गया कि उन्हें इसे 'खोजना' पड़ा? मंदिर हमेशा से यहीं था।"
"समय के साथ हिंदुओं के चले जाने के बाद, मंदिर की देखभाल या पूजा करने वाला कोई नहीं बचा, इसलिए इसे यूं ही छोड़ दिया गया।"
उजमा परवीन ने बताया कि इलाके में लंबे समय से रहने वाले एक हिंदू परिवार के पास अभी भी मंदिर की चाबियां हैं। उन्होंने कहा, "विशेष अवसरों पर, परिवार का कोई सदस्य मंदिर की सफाई और रखरखाव के लिए आता है। हमें इससे कभी कोई समस्या नहीं हुई, न ही हमने कभी इसे नुकसान पहुंचाया।"
यह घटना संभल में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच सामने आई है। 19 नवंबर, 2024 को शहर की शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एक याचिका दायर की गई थी, जिसे अदालत ने उसी दिन मंजूरी दे दी थी। सर्वेक्षण रात भर किया गया था।
24 नवंबर को दूसरे सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसके नतीजे में पांच लोगों की मौत हो गई और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इस अशांति के बाद अधिकारी जामा मस्जिद के पास एक ‘सत्यव्रत’ पुलिस चौकी बना रहे हैं। इन घटनाक्रमों ने संभल को अस्थिरता की स्थिति में डाल दिया है।
21 जनवरी को उजमा परवीन ने संभल में हाल ही में हुई हिंसा की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग को एक पत्र लिखा, जिसमें उनके मामले की निष्पक्ष जांच का आग्रह किया गया।
अपने पत्र में, उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर, 2000 को, उनके पति मोहम्मद मतीन ने राम सेवक नाम के एक व्यक्ति से एक पुराना, टूटा फूटा घर खरीदा था। बाद में उन्होंने उस जगह पर एक नया घर बनाया, जहां वह अब अपने पति और बच्चों के साथ शांति से रहती हैं। उन्होंने कहा कि वे नियमित रूप से प्रोपर्टी टैक्ट देते हैं और यह घर पंजाब नेशनल बैंक की संभल शाखा में गिरवी रखा हुआ है, जिसके सभी कानूनी दस्तावेज बैंक के पास हैं।
उजमा ने आगे आरोप लगाया कि संभल जिला प्रशासन कई दिनों से उनके परिवार को परेशान कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि 7 जनवरी को एसडीएम वंदना मिश्रा ने व्यक्तिगत रूप से उनके घर का दौरा किया और उन्हें दो दिनों के भीतर इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया। उजमा के अनुसार, एसडीएम ने चेतावनी दी, "यदि आप अपना घर नहीं तोड़ते हैं, तो हम इसे बलपूर्वक बुलडोजर से ध्वस्त कर देंगे।"
उजमा ने आगे लिखा कि मोहम्मद मतीन की गिरफ्तारी उनके परिवार पर दबाव बनाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास था और प्रशासनिक अधिकारी अक्सर उन्हें धमकाने और डराने के लिए उनके घर आते हैं। जबकि मतीन को जमानत मिल गई है, लेकिन परिवार अभी भी डर में जी रहा है।
हालांकि, मंदिर की फिर से खोज से स्थानीय लोगों को कम से कम एक फायदा हुआ है। पहले, आसपास के क्षेत्र में बिजली के खंभे नहीं थे, जिससे लोगों को दूर के खंभों से बिजली लेनी पड़ती थी। लेकिन मंदिर की खोज के तुरंत बाद, इलाके में नए बिजली के खंभे लगाए गए।
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यूपी के कुशीनगर में मस्जिद का एक हिस्सा बुलडोजर से गिराया गया, अतिक्रमण का आरोप
फोटो साभार: द ऑब्जर्वर पोस्टयसद्दाम हुसैन
संभल में मुस्लिम समुदाय की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। खग्गू सराय के मुस्लिम बहुल इलाके में ‘सदियों पुराने’ मंदिर की खोज के बाद पास के एक परिवार पर घर खाली करने का प्रशासनिक दबाव बढ़ गया है।
द ऑब्जर्वर पोस्ट ने परिवार के हवाले से लिखा, जिला प्रशासन उनके घर को गिराना चाहता है, उनका दावा है कि इससे हिंदू श्रद्धालुओं को मंदिर की परिक्रमा करने में रूकावट आती है। मंदिर के तीन तरफ से गलियों के जरिए पहुंचा जा सकता है, जबकि चौथा हिस्सा (पीछे का हिस्सा) परिवार के घर से सटा हुआ है।
अपने घर से जबरन निकाले जाने के डर से परिवार ने स्वेच्छा से अपने घर का एक हिस्सा गिरा दिया। प्रशासन फिर भी संतुष्ट नहीं हुआ और उसने पूरी इमारत को गिराने की बात की। जब परिवार ने घर खाली करने से इनकार कर दिया, तो पुलिस ने 16 जनवरी को परिवार के मुखिया मोहम्मद मतीन को सार्वजनिक शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में ले लिया।
चालीस वर्षीय मतीन पेशे से ड्राइवर थे। उन्हें जमानत मिल गई और 24 जनवरी को रिहा कर दिया गया।
अदीबा जमाल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि पिछले साल 13 दिसंबर को संभल जिला प्रशासन ने खग्गू सराय इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान लंबे समय से बंद पड़े श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) की खोज करने का दावा किया था। इसके साथ ही मंदिर को पूजा-अर्चना के लिए फिर से खोल दिया गया।
ऐसा माना जाता है कि 2005 तक पूरी हिंदू आबादी पलायन कर चुकी थी, उसके बाद से केवल खास मौके पर ही पूजा-अर्चना होती थी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, ‘मंदिर’ की खोज के बाद पहले सप्ताह में हिंदूत्ववादी समूहों ने नियमित तरीके से पूजा के लिए भीड़ जुटाई। इसके बावजूद धीरे-धीरे लोगों की संख्या कम होती गई। स्थानीय लोगों का दावा है कि इन समूहों ने मंदिर की देखरेख के लिए एक पुजारी को नियुक्त किया है जो हर शाम घर लौट जाता है।
मोहम्मद मतीन की पत्नी उज़मा परवीन ने द वायर हिंदी को बताया, “जब से मंदिर मिला है, तब से जिला प्रशासन हम पर दबाव बना रहा है। सबसे पहले, उन्होंने हमें अपने घर की बालकनी को तोड़ने के लिए कहा, यह दावा करते हुए कि यह ‘मंदिर की जमीन’ पर अतिक्रमण है। कार्रवाई के डर से हमने ऐसा करने के लिए इजाजत दे दी। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। बाद में, संभल की उप-विभागीय मजिस्ट्रेट वंदना मिश्रा ने हमें मंदिर से सटी दीवार को गिराने के लिए कहा। जब हम राजी नहीं हुए, तो उन्होंने हमें यह कहकर धमकाया कि ऐसा करने पर उन्हें पूरा घर तोड़ देना पड़ेगा। हम पर दबाव बढ़ता ही गया।”
उज़मा ने कहा, “प्रशासन की बार-बार चेतावनी के बावजूद, हम अपना घर तोड़ने के लिए सहमत नहीं हुए। फिर, 16 जनवरी को पुलिस ने मेरे पति को थाने बुलाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनका दावा था कि वह शांति भंग कर रहे थे और हिंदू भक्तों को मंदिर में प्रार्थना करने से रोक रहे थे।”
उनका मानना है कि उनके पति की गिरफ्तारी का उद्देश्य उन्हें घर खाली करने के लिए डराना-धमकाना था।
नखासा पुलिस स्टेशन में मतीन पर बीएनएसएस की धारा 126, 135 और 170 के तहत आरोप लगाए गए हैं। उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए एसडीएम वंदना मिश्रा ने द वायर हिंदी को बताया कि “आरोपी मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश में बाधा डाल रहा था और उन्हें परेशान कर रहा था।”
उजमा ने जोर देकर कहा कि मतीन ने 2002 में अपनी कमाई से जमीन खरीदी थी, न कि विरासत में मिली थी।
उन्होंने दावा किया, "उन्होंने कड़ी मेहनत करके खुद ही यह जमीन खरीदी है। हमारे पास सभी कानूनी दस्तावेज हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि घर को लोन के लिए बैंक में गिरवी रखा गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई है।
उजमा ने कहा, "हमारे पास कोई और संपत्ति नहीं है। हम गरीब लोग हैं। मेरे पति ड्राइवर हैं। अगर वे इस घर को गिरा देंगे, तो हम कहां जाएंगे?"
मतीन और उजमा के तीन बच्चे हैं, जिनमें सबसे बड़ा 16 साल का और सबसे छोटा 10 साल का है।
नखासा थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर ने मोहम्मद मतीन की गिरफ्तारी की पुष्टि की, लेकिन प्रशासन द्वारा परिवार पर घर गिराने के लिए दबाव डालने की किसी भी बात से इनकार किया।
उन्होंने कहा, "मुझे ऐसी धमकियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है, इसके अलावा मेरे अधिकारियों ने ऐसा कोई वारंट जारी नहीं किया है।"
13 दिसंबर को, संभल के जिला प्रशासन ने नखासा थाने के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत खग्गू सराय में एक हिंदू मंदिर की खोज करने का दावा किया। अधिकारियों ने बताया कि 1978 के दंगों के बाद, हिंदू आबादी धीरे-धीरे इलाके से पलायन कर गई, जिससे मंदिर वीरान हो गया।
हालांकि, इस दावे ने लोगों के बीच बहस छेड़ दी है। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा, "मंदिर कहां गया कि उन्हें इसे 'खोजना' पड़ा? मंदिर हमेशा से यहीं था।"
"समय के साथ हिंदुओं के चले जाने के बाद, मंदिर की देखभाल या पूजा करने वाला कोई नहीं बचा, इसलिए इसे यूं ही छोड़ दिया गया।"
उजमा परवीन ने बताया कि इलाके में लंबे समय से रहने वाले एक हिंदू परिवार के पास अभी भी मंदिर की चाबियां हैं। उन्होंने कहा, "विशेष अवसरों पर, परिवार का कोई सदस्य मंदिर की सफाई और रखरखाव के लिए आता है। हमें इससे कभी कोई समस्या नहीं हुई, न ही हमने कभी इसे नुकसान पहुंचाया।"
यह घटना संभल में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव के बीच सामने आई है। 19 नवंबर, 2024 को शहर की शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एक याचिका दायर की गई थी, जिसे अदालत ने उसी दिन मंजूरी दे दी थी। सर्वेक्षण रात भर किया गया था।
24 नवंबर को दूसरे सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसके नतीजे में पांच लोगों की मौत हो गई और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया।
इस अशांति के बाद अधिकारी जामा मस्जिद के पास एक ‘सत्यव्रत’ पुलिस चौकी बना रहे हैं। इन घटनाक्रमों ने संभल को अस्थिरता की स्थिति में डाल दिया है।
21 जनवरी को उजमा परवीन ने संभल में हाल ही में हुई हिंसा की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग को एक पत्र लिखा, जिसमें उनके मामले की निष्पक्ष जांच का आग्रह किया गया।
अपने पत्र में, उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर, 2000 को, उनके पति मोहम्मद मतीन ने राम सेवक नाम के एक व्यक्ति से एक पुराना, टूटा फूटा घर खरीदा था। बाद में उन्होंने उस जगह पर एक नया घर बनाया, जहां वह अब अपने पति और बच्चों के साथ शांति से रहती हैं। उन्होंने कहा कि वे नियमित रूप से प्रोपर्टी टैक्ट देते हैं और यह घर पंजाब नेशनल बैंक की संभल शाखा में गिरवी रखा हुआ है, जिसके सभी कानूनी दस्तावेज बैंक के पास हैं।
उजमा ने आगे आरोप लगाया कि संभल जिला प्रशासन कई दिनों से उनके परिवार को परेशान कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि 7 जनवरी को एसडीएम वंदना मिश्रा ने व्यक्तिगत रूप से उनके घर का दौरा किया और उन्हें दो दिनों के भीतर इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया। उजमा के अनुसार, एसडीएम ने चेतावनी दी, "यदि आप अपना घर नहीं तोड़ते हैं, तो हम इसे बलपूर्वक बुलडोजर से ध्वस्त कर देंगे।"
उजमा ने आगे लिखा कि मोहम्मद मतीन की गिरफ्तारी उनके परिवार पर दबाव बनाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास था और प्रशासनिक अधिकारी अक्सर उन्हें धमकाने और डराने के लिए उनके घर आते हैं। जबकि मतीन को जमानत मिल गई है, लेकिन परिवार अभी भी डर में जी रहा है।
हालांकि, मंदिर की फिर से खोज से स्थानीय लोगों को कम से कम एक फायदा हुआ है। पहले, आसपास के क्षेत्र में बिजली के खंभे नहीं थे, जिससे लोगों को दूर के खंभों से बिजली लेनी पड़ती थी। लेकिन मंदिर की खोज के तुरंत बाद, इलाके में नए बिजली के खंभे लगाए गए।
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